Dharali : क्या है कल्पकेदार शिव मंदिर की कहानी, धराली आपदा में फिर धरती में समाया, कितना पुराना, लोगों में क्यों अनहोनी का डर
What is the mystery of Kalpa Kedar : धराली में आई प्राकृतिक आपदा के बीच एक रहस्यमयी कहानी सामने आई है। रौद्र रूप में आए मलबे में ऐतिहासिक शिव मंदिर भी दब गया है। इस मंदिर का नाम कल्प केदार है। इसे लेकर कई तरह की कहानियां सामने आई हैं। मंदिर का ...

What is the mystery of Kalpa Kedar : धराली में आई प्राकृतिक आपदा के बीच एक रहस्यमयी कहानी सामने आई है। रौद्र रूप में आए मलबे में ऐतिहासिक शिव मंदिर भी दब गया है। इस मंदिर का नाम कल्प केदार है। इसे लेकर कई तरह की कहानियां सामने आई हैं। मंदिर का वास्तु शिल्प केदारनाथ धाम की तरह है। स्थानीय लोगों के मुताबिक जिस तरह केदारनाथ धाम के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर वर्षों बर्फ में दबा रहा उसी तरह कल्प केदार मंदिर भी किसी आपदा के कारण जमीन में दबा रहा था। कतुरे शैली में निर्मित इस शिव मंदिर की वास्तुकला केदारनाथ धाम की तरह है। प्राचीन शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग का आकार केदारनाथ की तरह ही नंदी की पीठ की तरह है।
क्या है मंदिर का रहस्य
मीडिया खबरों के मुताबिक 1945 में खुदाई में यह मंदिर मिला था और इसे महाभारतकालीन बताया जाता है। मीडिया को स्थान लोगों ने बताया कि पहले भी खीर गंगा ने मंदिर को अपनी चपेट में लिया था। 1945 में खुदाई के बाद मंदिर के निकलने के बाद पूजा शुरू हुई थी। खुदाई के बाद भी मंदिर धरातल से नीचे ही था। श्रद्धालु नीचे जाकर मंदिर में पूजा-पाठ करते थे।
स्थानीय लोगों ने मीडिया को बताया कि मंदिर के गर्भगृह में जहां शिवलिंग स्थापित वहां अक्सर खीरगंगा का जल आ जाता था। लोगों ने मंदिर में जाने के लिए मिट्टी निकालकर रास्ता बनाया था जो एकबार फिर मलबे में दब गया है। लोगों ने मंदिर को फिर से मलबे में समा जाने को लेकर कई तरह की शंकाएं जाहिर की हैं।
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आपदा के लिए कौन जिम्मेदार
इंदौर के रंगकर्मी, पत्रकार और नर्मदा परिक्रमा, चारों धाम, देवभूमि की पदयात्रा कर चुके ओम द्विवेदी ने बताया कि कल्प केदारनाथ मंदिर भागरथी के ठीक किनारे हैं जैसे ही भागरथी में बाढ़ आती है खीरगंगा में जल बढ़ता है और मलबा नीचे की तरफ आने लगता है। उन्होंने कल्प केदारनाथ के बारे में बताया कि अभी आधा मंदिर अभी जमीन के अंदर। केवल ऊपर शिखर है और शिवलिंग की स्थापना है। आसपास सुंदर बगीचें हैं। जो मलबे में समा गए। उन्होंने बताया कि पहाड़ किसी के सगे नहीं होते। नदियों के किनारे घर बनेंगे तो बाढ़ तो आएगी। इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma