13 साल बाद पाकिस्तान का कोई विदेश मंत्री बांग्लादेश पहुंचा। बड़ी उम्मीद थी कि शेख हसीना के जाने के बाद मोहम्मद युनूस के साथ रिश्ते काफी नजदीक होंगे। लेकिन जैसे ही इशाक डार गए तो पहले तो युनूस ने मिलने के लिए टाइम नहीं दिया। फिर एक दिन इंतजार करते रहे। बताया जाता है कि युनूस बहुत खुश नहीं हैं। वो ये नहीं चाहते हैं कि दुनिया इस तरह से देखे कि हम भारत के खिलाफ जाकर पाकिस्तान के करीब आ रहे हैं। युनूस ने समय दिया और इसके साथ ही कुछ शर्तें रख दी। ये शर्तें थी कि 1971 के नरसंहार के लिए आधिकारिक रूप से माफी मांगनी पड़ेगी। इसके साथ ही दूसरी शर्ते थी कि 4 बिलियन डॉलर का कंपनसेशन देना पड़ेगा। उस वक्त जो संपत्ति का नुकसान हुआ और लोगों को मारा गया। मुलाकात हुई और बात हुई। इसके साथ ही युनूस ने तीसरी शर्त रखी कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्ते द्विपक्षीय नहीं बल्कि सार्क को पुन:जीवित करके होंगे।
सार्क का नाम आते ही भारत, अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका जैसे देश अपने आप हो जाते हैं। इन सभी के साथ भारत के अच्छे रिश्ते हैं। कुल मिलाकर बांग्लादेश की सरकार से पाकिस्तान को सीधा सिग्नल मिल गया है कि भारत के खिलाफ हम तुम्हारा साथ कतई नहीं देने वाले हैं। बांग्लादेश को भी ये पता है कि पाकिस्तान से उन्हें आतंकवाद के खिलाफ कुछ नहीं मिल पाएगा। पूरे दौरे का लब्बोलुआब ये रहा कि ढाका और इस्लामाबाद के बीच एक डायरेक्ट फ्लाइट होगी। फ्री वीजा का प्रपोजल लेकर गए थे। लेकिन उस पर बातचीत अभी नहीं हुई है।
डार ऐसे समय में पड़ोसी देश की यात्रा पर आये हैं जब पिछले साल छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया था। बांग्लादेश के विदेश सचिव असद आलम सियाम ने ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर डार का स्वागत किया। हिना रब्बानी खार नवंबर 2012 में ढाका जाने वाली पाकिस्तान की आखिरी विदेश मंत्री थीं। उन्होंने उस समय की प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्लामाबाद में होने वाले शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया था। डार को अप्रैल में बांग्लादेश की यात्रा पर जाना था लेकिन पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत के साथ हुए तनाव के कारण इसमें देरी हो गई।