स्पाइसजेट ने फ्लाइट में फ्री-फॉल की खबर को गलत बताया:कहा- मानसून के कारण हल्का टर्बुलेंस हुआ; पैसेंजर ने दावा किया था- प्लेन अचानक नीचे आया
दिल्ली से श्रीनगर जा रही स्पाइसजेट की फ्लाइट में फ्री फॉल होने की खबर को स्पाइसजेट ने खारिज किया है। कंपनी ने कहा कि इस तरह के दावे बिलकुल गलत, आधारहीन और भ्रामक हैं। स्पाइसजेट ने साफ किया कि विमान को श्रीनगर पहुंचने से पहले मानसून के कारण थोड़ी देर के लिए हल्का टर्बुलेंस (हवा में कंपन) महसूस हुआ था, जो सामान्य है। उस दौरान सीट बेल्ट साइन ऑन था और क्रू ने यात्रियों को सीट बेल्ट बांधने की घोषणा पहले ही कर दी थी। इससे पहले अर्जिमंद हुसैन नाम के X अकाउंट पर वीडियो पोस्ट किया था। उसने दावा किया था कि प्लेन बनिहाल दर्रे के ऊपर से गुजरते वक्त कई सौ मीटर नीचे गिर गया। हुसैन ने लिखा था कि वह केवल इस फ्री फॉल के आखिरी पल ही कैद कर पाया। यूजर ने लिखा था कि कुछ ही देर पहले सभी खिड़कियों के शीशे बंद करने के निर्देश दिए गए थे और इसके बाद ही घटना घटी। पहले जानिए क्या है फ्री फॉल कंडीशन किसी प्लेन में फ्री फॉल वह कंडीशन होती है जब प्लेन कुछ देर के लिए केवल जीरो ग्रैविटी (गुरुत्वाकर्षण के अधीन) में आकर गिरता है। इससे उसमें मौजूद लोगों को लगता है कि उनमें कोई वजन नहीं है। आसान शब्दों में कहें तो प्लेन का फ्री फॉल ऐसा अनुभव होता है, मानो वह आसमान से गिर रहा हो। असल में यह एक कंट्रोल्ड प्रोसेस होती है। फ्री फॉल कंडीशन या तो वैज्ञानिक प्रयोग, स्पेस ट्रेनिंग या फिर रेयर टेक्निकल खराबी के कारण होती है। फ्री फॉल 2 तरह के होते हैं... 1. नियंत्रित फ्री फॉल या पैराबॉलिक फ्लाइट : यह फ्री फॉल जानबूझकर किया जाता है। इसे वैज्ञानिक या अंतरिक्ष एजेंसियां करती हैं। इस कंडीशन में प्लेन ऊपर की ओर झुकता है, लगभग 45°, फिर इंजन बंद कर दिए जाते हैं या थ्रस्ट कम कर दिया जाता है, जिससे वह परबोला बनाते हुए गिरता है। इससे अंदर बैठे लोगों को 20–30 सेकंड तक जीरो ग्रैविटी महसूस होती है। NASA, ESA और ISRO जैसे संगठन इसका इस्तेमाल एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग के लिए करते हैं। इसे वॉमिट कॉमेट भी कहा जाता है, क्योंकि इस कंडीशन बहुत लोग उल्टी कर देते हैं। 2. अनवॉन्टेड फ्री फॉल, इमरजेंसी मालफंक्शन: जब किसी कारण से प्लेन का इंजन फेल हो जाए, एयर प्रेशर गिर जाए, या कंट्रोल सिस्टम काबू में न हो, तो प्लेन बिना कंट्रोल के नीचे गिर सकता है। ऐसे में यात्रियों को तेज झटका, झूलने जैसा अहसास और कभी-कभी वजन जीरो होने जैसा अनुभव होता है। हालांकि यह बहुत ही रेयर कंडीशन है और ज्यादातर मामलों में पायलट तुरंत प्लेन को संभाल लेते हैं। फ्री फॉल में कैसा लगता है... ये खबर भी पढ़ें... अहमदाबाद प्लेन क्रैश: एक्सपर्ट बोले-पायलटों को जल्दबाजी में दोषी बताया: रिपोर्ट में जरूरी हस्ताक्षर नहीं; जांच समिति में अनुभवी पायलट हों एविएशन एक्सपर्ट सनत कौल ने एअर इंडिया फ्लाइट AI171 की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट ठीक नहीं लग रही है। इसमें जरूरी हस्ताक्षर भी नहीं हैं, जबकि यह जरूरी होता है। कौल का कहना है कि इस जांच टीम में ऐसे पायलट को शामिल किया जाना चाहिए, जिसे बोइंग 787 या कम से कम 737 विमान की पूरी समझ हो। पढ़ें पूरी खबर...
दिल्ली से श्रीनगर जा रही स्पाइसजेट की फ्लाइट में फ्री फॉल होने की खबर को स्पाइसजेट ने खारिज किया है। कंपनी ने कहा कि इस तरह के दावे बिलकुल गलत, आधारहीन और भ्रामक हैं। स्पाइसजेट ने साफ किया कि विमान को श्रीनगर पहुंचने से पहले मानसून के कारण थोड़ी देर के लिए हल्का टर्बुलेंस (हवा में कंपन) महसूस हुआ था, जो सामान्य है। उस दौरान सीट बेल्ट साइन ऑन था और क्रू ने यात्रियों को सीट बेल्ट बांधने की घोषणा पहले ही कर दी थी। इससे पहले अर्जिमंद हुसैन नाम के X अकाउंट पर वीडियो पोस्ट किया था। उसने दावा किया था कि प्लेन बनिहाल दर्रे के ऊपर से गुजरते वक्त कई सौ मीटर नीचे गिर गया। हुसैन ने लिखा था कि वह केवल इस फ्री फॉल के आखिरी पल ही कैद कर पाया। यूजर ने लिखा था कि कुछ ही देर पहले सभी खिड़कियों के शीशे बंद करने के निर्देश दिए गए थे और इसके बाद ही घटना घटी। पहले जानिए क्या है फ्री फॉल कंडीशन किसी प्लेन में फ्री फॉल वह कंडीशन होती है जब प्लेन कुछ देर के लिए केवल जीरो ग्रैविटी (गुरुत्वाकर्षण के अधीन) में आकर गिरता है। इससे उसमें मौजूद लोगों को लगता है कि उनमें कोई वजन नहीं है। आसान शब्दों में कहें तो प्लेन का फ्री फॉल ऐसा अनुभव होता है, मानो वह आसमान से गिर रहा हो। असल में यह एक कंट्रोल्ड प्रोसेस होती है। फ्री फॉल कंडीशन या तो वैज्ञानिक प्रयोग, स्पेस ट्रेनिंग या फिर रेयर टेक्निकल खराबी के कारण होती है। फ्री फॉल 2 तरह के होते हैं... 1. नियंत्रित फ्री फॉल या पैराबॉलिक फ्लाइट : यह फ्री फॉल जानबूझकर किया जाता है। इसे वैज्ञानिक या अंतरिक्ष एजेंसियां करती हैं। इस कंडीशन में प्लेन ऊपर की ओर झुकता है, लगभग 45°, फिर इंजन बंद कर दिए जाते हैं या थ्रस्ट कम कर दिया जाता है, जिससे वह परबोला बनाते हुए गिरता है। इससे अंदर बैठे लोगों को 20–30 सेकंड तक जीरो ग्रैविटी महसूस होती है। NASA, ESA और ISRO जैसे संगठन इसका इस्तेमाल एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग के लिए करते हैं। इसे वॉमिट कॉमेट भी कहा जाता है, क्योंकि इस कंडीशन बहुत लोग उल्टी कर देते हैं। 2. अनवॉन्टेड फ्री फॉल, इमरजेंसी मालफंक्शन: जब किसी कारण से प्लेन का इंजन फेल हो जाए, एयर प्रेशर गिर जाए, या कंट्रोल सिस्टम काबू में न हो, तो प्लेन बिना कंट्रोल के नीचे गिर सकता है। ऐसे में यात्रियों को तेज झटका, झूलने जैसा अहसास और कभी-कभी वजन जीरो होने जैसा अनुभव होता है। हालांकि यह बहुत ही रेयर कंडीशन है और ज्यादातर मामलों में पायलट तुरंत प्लेन को संभाल लेते हैं। फ्री फॉल में कैसा लगता है... ये खबर भी पढ़ें... अहमदाबाद प्लेन क्रैश: एक्सपर्ट बोले-पायलटों को जल्दबाजी में दोषी बताया: रिपोर्ट में जरूरी हस्ताक्षर नहीं; जांच समिति में अनुभवी पायलट हों एविएशन एक्सपर्ट सनत कौल ने एअर इंडिया फ्लाइट AI171 की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट ठीक नहीं लग रही है। इसमें जरूरी हस्ताक्षर भी नहीं हैं, जबकि यह जरूरी होता है। कौल का कहना है कि इस जांच टीम में ऐसे पायलट को शामिल किया जाना चाहिए, जिसे बोइंग 787 या कम से कम 737 विमान की पूरी समझ हो। पढ़ें पूरी खबर...