पेरप्लेक्सिटी CEO अरविंद श्रीनिवास की चेतावनी: 'AI से ऐसा मत करो', वायरल हुआ संदेश।

Perplexity के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने अपने एआई ब्राउज़र, कॉमेट (Comet) के दुरुपयोग के खिलाफ चेतावनी जारी की है। यह मामला तब सामने आया जब एक भारतीय वेब डेवलपर अमृत निगम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें कॉमेट AI ने खुद ही कोर्सेरा का “AI Ethics, Responsibility and Creativity” नामक ऑनलाइन कोर्स पूरा कर लिया। वीडियो के कैप्शन में उन्होंने लिखा, “बस अपना कोर्स पूरा कर लिया,” और अरविंद श्रीनिवास, पेरप्लेक्सिटी और कॉमेट एआई को टैग किया।इस पर श्रीनिवास ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और स्पष्ट किया, “बिल्कुल भी ऐसा मत करें।” उनका यह जवाब तेजी से वायरल हो गया और ऑनलाइन चर्चा का विषय बन गया। कई लोगों ने प्रतिक्रिया में कहा कि अगर पेरप्लेक्सिटी ने इसे रोकने का उपाय नहीं किया, तो लोग लगातार इसका दुरुपयोग करेंगे। कुछ ने यह भी कहा कि कोर्स में नामांकन लेने का मतलब ही है कि छात्र खुद ही सीखें और पूरा करें, न कि एआई से कोर्स का काम करवाया जाए। वहीं, कई लोग मानते हैं कि छात्र अक्सर कॉमेट जैसी एआई टूल्स का इस्तेमाल “साप्ताहिक क्विज़, असाइनमेंट और साधारण कामों” को पूरा करने में कर लेते हैं।कॉमेट एआई जुलाई में लॉन्च हुआ था और यह ब्राउज़िंग को अधिक स्मार्ट और इंटरैक्टिव बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अक्टूबर से यह सभी के लिए मुफ्त हो गया। इस ब्राउज़र के जरिए वेब पेजों का सारांश पढ़ना, रिसर्च करना, ईमेल लिखना, फॉर्म भरना और यहां तक कि होटल बुकिंग जैसे कार्य भी आसानी से किए जा सकते हैं। कॉमेट उपयोगकर्ताओं की ब्राउज़िंग आदतों और टैब को याद रखता है, जिससे अनुभव अधिक व्यक्तिगत और सुविधाजनक बनता है। फिलहाल यह Windows और macOS पर उपलब्ध है, जबकि मोबाइल वर्ज़न में वॉइस कमांड की सुविधा जल्द आएगी।दिलचस्प बात यह है कि कॉमेट पहले भी चर्चा में रहा है। एक Reddit यूज़र ने बताया था कि कॉमेट ने स्वतः ही ज़ेरोधा पर स्टॉक ट्रेड किया और IPO के लिए आवेदन भी कर दिया। उस समय श्रीनिवास ने इसे “कॉमेट का सबसे रोमांचक फीचर” बताते हुए कहा था, “एजेंट्स की दुनिया यहां है।”हालांकि, इस बार की चेतावनी यह दिखाती है कि एआई टूल्स बहुत शक्तिशाली हो सकते हैं, लेकिन इनके उपयोग में नैतिकता, जिम्मेदारी और ऑटोमेशन की सीमा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े होते हैं। जानकारों का कहना है कि ऐसे प्लेटफॉर्म पर नियम और गाइडलाइन्स साफ होने चाहिए ताकि तकनीक का सही और सुरक्षित उपयोग हो सके।

Oct 12, 2025 - 09:24
 0
Perplexity के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने अपने एआई ब्राउज़र, कॉमेट (Comet) के दुरुपयोग के खिलाफ चेतावनी जारी की है। यह मामला तब सामने आया जब एक भारतीय वेब डेवलपर अमृत निगम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें कॉमेट AI ने खुद ही कोर्सेरा का “AI Ethics, Responsibility and Creativity” नामक ऑनलाइन कोर्स पूरा कर लिया। वीडियो के कैप्शन में उन्होंने लिखा, “बस अपना कोर्स पूरा कर लिया,” और अरविंद श्रीनिवास, पेरप्लेक्सिटी और कॉमेट एआई को टैग किया।

इस पर श्रीनिवास ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और स्पष्ट किया, “बिल्कुल भी ऐसा मत करें।” उनका यह जवाब तेजी से वायरल हो गया और ऑनलाइन चर्चा का विषय बन गया। कई लोगों ने प्रतिक्रिया में कहा कि अगर पेरप्लेक्सिटी ने इसे रोकने का उपाय नहीं किया, तो लोग लगातार इसका दुरुपयोग करेंगे। कुछ ने यह भी कहा कि कोर्स में नामांकन लेने का मतलब ही है कि छात्र खुद ही सीखें और पूरा करें, न कि एआई से कोर्स का काम करवाया जाए। वहीं, कई लोग मानते हैं कि छात्र अक्सर कॉमेट जैसी एआई टूल्स का इस्तेमाल “साप्ताहिक क्विज़, असाइनमेंट और साधारण कामों” को पूरा करने में कर लेते हैं।

कॉमेट एआई जुलाई में लॉन्च हुआ था और यह ब्राउज़िंग को अधिक स्मार्ट और इंटरैक्टिव बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अक्टूबर से यह सभी के लिए मुफ्त हो गया। इस ब्राउज़र के जरिए वेब पेजों का सारांश पढ़ना, रिसर्च करना, ईमेल लिखना, फॉर्म भरना और यहां तक कि होटल बुकिंग जैसे कार्य भी आसानी से किए जा सकते हैं। कॉमेट उपयोगकर्ताओं की ब्राउज़िंग आदतों और टैब को याद रखता है, जिससे अनुभव अधिक व्यक्तिगत और सुविधाजनक बनता है। फिलहाल यह Windows और macOS पर उपलब्ध है, जबकि मोबाइल वर्ज़न में वॉइस कमांड की सुविधा जल्द आएगी।

दिलचस्प बात यह है कि कॉमेट पहले भी चर्चा में रहा है। एक Reddit यूज़र ने बताया था कि कॉमेट ने स्वतः ही ज़ेरोधा पर स्टॉक ट्रेड किया और IPO के लिए आवेदन भी कर दिया। उस समय श्रीनिवास ने इसे “कॉमेट का सबसे रोमांचक फीचर” बताते हुए कहा था, “एजेंट्स की दुनिया यहां है।”

हालांकि, इस बार की चेतावनी यह दिखाती है कि एआई टूल्स बहुत शक्तिशाली हो सकते हैं, लेकिन इनके उपयोग में नैतिकता, जिम्मेदारी और ऑटोमेशन की सीमा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े होते हैं। जानकारों का कहना है कि ऐसे प्लेटफॉर्म पर नियम और गाइडलाइन्स साफ होने चाहिए ताकि तकनीक का सही और सुरक्षित उपयोग हो सके।