तौकीर बोले- RSS-VHP और बजरंग दल आतंकवादी संगठन:बरेली में कहा- भाजपा जालिमों की सरकार, छांगुर बाबा की तरह मुझे भी फंसा सकते हैं
अपने भड़काऊ और विवादित बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले मौलाना तौकीर रज़ा ने सीधे शब्दों में कहा कि "बीजेपी की सरकार जालिमों की सरकार है। उन्होंने कहा कि बीजेपी, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठन आतंकवादी संगठन हैं। यह तमाम संगठन एक ही माँ के बच्चे हैं और वह माँ है – आरएसएस। आरएसएस ने जो संस्कार दिए हैं, उसी आधार पर ये संगठन काम कर रहे हैं। बीजेपी और उसके सहयोगी संगठन जो कुछ कर रहे हैं, वो खुला आतंकवाद है। और इस आतंकवाद को सरकार बढ़ावा दे रही है। सरकार इनकी सरपरस्ती करती है और मुस्लिम दुश्मनी को खुलेआम प्रमोट कर रही है।" पढ़िए दैनिक भास्कर से खास बातचीत देश में दो कानून चल रहे हैं, एक मुसलमानों के लिए और एक बाकियों के लिए उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में आज दो कानून चल रहे हैं। एक कानून वो है जो इन आतंकवादी संगठनों को खुली छूट देता है – वो मुसलमानों को सताते रहें, बहन-बेटियों को बेइज्जत करते रहें, धर्म परिवर्तन कराते रहें, और उन्हें कुछ नहीं कहा जाएगा। दूसरा कानून वो है जो अगर किसी मुसलमान से ज़रा सी भी गलती हो जाए तो उसे बढ़ा-चढ़ाकर प्रचारित किया जाता है और उस पर सख्त कार्रवाई की जाती है। संविधान की शपथ लेने वालों की जिम्मेदारी है कि यह देश एक कानून से चले, लेकिन सरकार ने यह जिम्मेदारी छोड़ दी है। धर्मांतरण के आरोप झेल रहे छांगुर बाबा के समर्थन में उतरे तौकीर रज़ा मौलाना ने धर्मांतरण मामले में गिरफ्तार छांगुर बाबा का बचाव करते हुए कहा कि वो अपने धर्म का प्रचार कर रहे थे, जो हर किसी का अधिकार है। उन्होंने कहा – “अगर यही पैमाना है, तो मुझे भी छांगुर बाबा बना दिया जाएगा। मेरे खिलाफ भी ISI, लश्करे तैयबा, पाकिस्तान से संबंध, विदेशी फंडिंग जैसे आरोप दिखाए जा सकते हैं। जो भी सरकार के खिलाफ बोलेगा, उसके साथ यही होगा।”उन्होंने कहा कि मुसलमानों को इस देश में अपने मजहब की अच्छाई बयान करने का अधिकार है, लेकिन बीजेपी और आरएसएस जैसे संगठन हमारा यह हक छीन रहे हैं। उन्होंने कहा कि छांगुर बाबा की सिर्फ इतनी गलती थी कि उनके पास जो लोग धर्म परिवर्तन के लिए आ रहे थे वो उन्हें डीएम के पास भेजते। छांगुर बाबा एक पीर है। इस्लाम नया धर्म है, इसलिए लोग पुराने को छोड़कर इसे अपना रहे हैं तौकीर रज़ा ने कहा – “इस्लाम नया मजहब है, और इंसान का स्वभाव होता है कि वो नया अपनाता है और पुराने को रिजेक्ट करता है। जब इस्लाम भारत आया था, तब पूरी की पूरी बस्तियां मुसलमान बन गईं। इस्लाम की अच्छाईयां थीं, इसलिए लोगों ने उसे अपनाया।”उन्होंने कहा – “हमारा मजहब दूसरों को मुसलमान बनाने पर नहीं, पहले खुद को मुसलमान बनाने पर जोर देता है। सबसे पहले जिम्मेदारी यह है कि मुसलमान खुद सही अमल करें, वरना गैर-मुस्लिम को मुसलमान बनाने की कोई अहमियत नहीं।” मुसलमान को मुसलमान बनाना असल जिम्मेदारी, लालच देकर धर्म परिवर्तन इस्लाम में नहीं उन्होंने साफ कहा कि मोहब्बत, नौकरी, या किसी भी लालच के नाम पर धर्म परिवर्तन कराना इस्लाम में मना है। जो मुसलमान भटक गए हैं, उन्हें मुसलमान बनाना मस्जिदों, उलमा की जिम्मेदारी है। अगर कोई मुस्लिम लड़का या लड़की धर्म बदलवाने के नाम पर काम कर रहा है, तो वह गलत है और इस्लाम के खिलाफ है। उन्होंने कहा – “जो लोग इस्लाम की तस्वीर बिगाड़ रहे हैं, वे भी गुनहगार हैं।” मोदी, योगी, धामी और हेमंता सिर्फ नफरत की राजनीति कर रहे हैं मौलाना तौकीर रज़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी और असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा शर्मा को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा – “इनमें कुछ नया करने की ताकत नहीं है। ये सिर्फ हिंदू-मुसलमान की बात कर नफरत फैला रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी इसी राह पर चलकर पीएम बने, अब ये लोग भी उसी फॉर्मूले पर चल रहे हैं।”हेमंता शर्मा को विदेशी बताते हुए मौलाना बोले – “वह बोलता नहीं, बकता है। उसकी बातें झूठी हैं और वह खुद विदेशी एजेंडे का हिस्सा है।” मोहिबुल्ला नदवी ने मस्जिद को बदनाम किया सांसद मोहिबुल्ला नदवी पर निशाना साधते हुए तौकीर रज़ा बोले – “मोहिबुल्ला नदवी ने मस्जिद को सियासत का अड्डा बना दिया। मस्जिद इबादत की जगह है, राजनीति की नहीं। मस्जिद में मीटिंग कर उन्होंने पूरी मुस्लिम कौम को आहत किया है। यह हर मुसलमान की धार्मिक भावना से खिलवाड़ है। अगर अंग्रेजों के खिलाफ जंग के वक्त मस्जिदों में मीटिंग होती थीं, तो वो अलग दौर था। लेकिन आज राजनीति के लिए मस्जिद का इस्तेमाल बेहद गलत है।” मस्जिदों की तस्वीर और रस्म-रिवाज पर बोले – “हिंदू परंपराएं हमारी मस्जिदों तक आ गई हैं” उन्होंने कहा कि “जब इस्लाम भारत में आया, तो लोगों ने अपने रस्म-रिवाज के साथ इस्लाम अपनाया। शगुन, लगन, मूर्ति, तस्वीर जैसी चीज़ें हमारे घर और मस्जिदों में नहीं होनी चाहिए थीं, लेकिन सदियों से वो शामिल होती चली गईं। अगर किसी मुस्लिम ने मंदिर को मस्जिद बनाया होता, तो वह मंदिर की तरह न रहता। लेकिन असल में यह मंदिर को मस्जिद की शक्ल देने वालों की धार्मिक ईमानदारी थी।”
अपने भड़काऊ और विवादित बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले मौलाना तौकीर रज़ा ने सीधे शब्दों में कहा कि "बीजेपी की सरकार जालिमों की सरकार है। उन्होंने कहा कि बीजेपी, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठन आतंकवादी संगठन हैं। यह तमाम संगठन एक ही माँ के बच्चे हैं और वह माँ है – आरएसएस। आरएसएस ने जो संस्कार दिए हैं, उसी आधार पर ये संगठन काम कर रहे हैं। बीजेपी और उसके सहयोगी संगठन जो कुछ कर रहे हैं, वो खुला आतंकवाद है। और इस आतंकवाद को सरकार बढ़ावा दे रही है। सरकार इनकी सरपरस्ती करती है और मुस्लिम दुश्मनी को खुलेआम प्रमोट कर रही है।" पढ़िए दैनिक भास्कर से खास बातचीत देश में दो कानून चल रहे हैं, एक मुसलमानों के लिए और एक बाकियों के लिए उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में आज दो कानून चल रहे हैं। एक कानून वो है जो इन आतंकवादी संगठनों को खुली छूट देता है – वो मुसलमानों को सताते रहें, बहन-बेटियों को बेइज्जत करते रहें, धर्म परिवर्तन कराते रहें, और उन्हें कुछ नहीं कहा जाएगा। दूसरा कानून वो है जो अगर किसी मुसलमान से ज़रा सी भी गलती हो जाए तो उसे बढ़ा-चढ़ाकर प्रचारित किया जाता है और उस पर सख्त कार्रवाई की जाती है। संविधान की शपथ लेने वालों की जिम्मेदारी है कि यह देश एक कानून से चले, लेकिन सरकार ने यह जिम्मेदारी छोड़ दी है। धर्मांतरण के आरोप झेल रहे छांगुर बाबा के समर्थन में उतरे तौकीर रज़ा मौलाना ने धर्मांतरण मामले में गिरफ्तार छांगुर बाबा का बचाव करते हुए कहा कि वो अपने धर्म का प्रचार कर रहे थे, जो हर किसी का अधिकार है। उन्होंने कहा – “अगर यही पैमाना है, तो मुझे भी छांगुर बाबा बना दिया जाएगा। मेरे खिलाफ भी ISI, लश्करे तैयबा, पाकिस्तान से संबंध, विदेशी फंडिंग जैसे आरोप दिखाए जा सकते हैं। जो भी सरकार के खिलाफ बोलेगा, उसके साथ यही होगा।”उन्होंने कहा कि मुसलमानों को इस देश में अपने मजहब की अच्छाई बयान करने का अधिकार है, लेकिन बीजेपी और आरएसएस जैसे संगठन हमारा यह हक छीन रहे हैं। उन्होंने कहा कि छांगुर बाबा की सिर्फ इतनी गलती थी कि उनके पास जो लोग धर्म परिवर्तन के लिए आ रहे थे वो उन्हें डीएम के पास भेजते। छांगुर बाबा एक पीर है। इस्लाम नया धर्म है, इसलिए लोग पुराने को छोड़कर इसे अपना रहे हैं तौकीर रज़ा ने कहा – “इस्लाम नया मजहब है, और इंसान का स्वभाव होता है कि वो नया अपनाता है और पुराने को रिजेक्ट करता है। जब इस्लाम भारत आया था, तब पूरी की पूरी बस्तियां मुसलमान बन गईं। इस्लाम की अच्छाईयां थीं, इसलिए लोगों ने उसे अपनाया।”उन्होंने कहा – “हमारा मजहब दूसरों को मुसलमान बनाने पर नहीं, पहले खुद को मुसलमान बनाने पर जोर देता है। सबसे पहले जिम्मेदारी यह है कि मुसलमान खुद सही अमल करें, वरना गैर-मुस्लिम को मुसलमान बनाने की कोई अहमियत नहीं।” मुसलमान को मुसलमान बनाना असल जिम्मेदारी, लालच देकर धर्म परिवर्तन इस्लाम में नहीं उन्होंने साफ कहा कि मोहब्बत, नौकरी, या किसी भी लालच के नाम पर धर्म परिवर्तन कराना इस्लाम में मना है। जो मुसलमान भटक गए हैं, उन्हें मुसलमान बनाना मस्जिदों, उलमा की जिम्मेदारी है। अगर कोई मुस्लिम लड़का या लड़की धर्म बदलवाने के नाम पर काम कर रहा है, तो वह गलत है और इस्लाम के खिलाफ है। उन्होंने कहा – “जो लोग इस्लाम की तस्वीर बिगाड़ रहे हैं, वे भी गुनहगार हैं।” मोदी, योगी, धामी और हेमंता सिर्फ नफरत की राजनीति कर रहे हैं मौलाना तौकीर रज़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी और असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा शर्मा को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा – “इनमें कुछ नया करने की ताकत नहीं है। ये सिर्फ हिंदू-मुसलमान की बात कर नफरत फैला रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी इसी राह पर चलकर पीएम बने, अब ये लोग भी उसी फॉर्मूले पर चल रहे हैं।”हेमंता शर्मा को विदेशी बताते हुए मौलाना बोले – “वह बोलता नहीं, बकता है। उसकी बातें झूठी हैं और वह खुद विदेशी एजेंडे का हिस्सा है।” मोहिबुल्ला नदवी ने मस्जिद को बदनाम किया सांसद मोहिबुल्ला नदवी पर निशाना साधते हुए तौकीर रज़ा बोले – “मोहिबुल्ला नदवी ने मस्जिद को सियासत का अड्डा बना दिया। मस्जिद इबादत की जगह है, राजनीति की नहीं। मस्जिद में मीटिंग कर उन्होंने पूरी मुस्लिम कौम को आहत किया है। यह हर मुसलमान की धार्मिक भावना से खिलवाड़ है। अगर अंग्रेजों के खिलाफ जंग के वक्त मस्जिदों में मीटिंग होती थीं, तो वो अलग दौर था। लेकिन आज राजनीति के लिए मस्जिद का इस्तेमाल बेहद गलत है।” मस्जिदों की तस्वीर और रस्म-रिवाज पर बोले – “हिंदू परंपराएं हमारी मस्जिदों तक आ गई हैं” उन्होंने कहा कि “जब इस्लाम भारत में आया, तो लोगों ने अपने रस्म-रिवाज के साथ इस्लाम अपनाया। शगुन, लगन, मूर्ति, तस्वीर जैसी चीज़ें हमारे घर और मस्जिदों में नहीं होनी चाहिए थीं, लेकिन सदियों से वो शामिल होती चली गईं। अगर किसी मुस्लिम ने मंदिर को मस्जिद बनाया होता, तो वह मंदिर की तरह न रहता। लेकिन असल में यह मंदिर को मस्जिद की शक्ल देने वालों की धार्मिक ईमानदारी थी।”