24 फरवरी 2022 को रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ और 11 अक्टूबर को को तीन साल से ज्यादा इस जंग को गुजर चुके हैं। इन सालों में यूक्रेन के कई शहर भूतिया शहर में तब्दील हो चुके हैं। कुछ आंकड़े कहते हैं कि 20 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़ दूसरे देश चले गए और अभी भी युद्ध जारी है। दो खेमे में बंटा विश्व कुछ रूस के साथ है तो कुछ अमेरिका के साथ है। लेकिन ऐसा लगता है कि कोई भी नहीं चाहता कि ये युद्ध रुके क्योंकि अगर रोकते तो ये युद्ध रूक चुका होता। लेकिन कोई कोशिश ही नहीं कर रहा है।
आपदा में अवसर वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी। यूक्रेन युद्ध की मार झेल रहा है, लेकिन जिन देशों की वजह से रूस से टक्कर लेने की बात हुई वो देश अमेरिका, यूरोप और नाटो हाथ पर हाथ धड़े बैठे मौज ले रहे हैं। युद्ध से पहले सभी यूक्रेन की जी जान से मदद की बात करते रहे। लेकिन युद्ध शुरू होते ही आधा अधूरा मदद करके हाथ झाड़ रहे हैं। आज की तारीख में यूक्रेन ऐसे दोराहे पर खड़ा होकर मदद की राह देख रहा है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि 10 अक्टूबर की रात से यूक्रेन पर रूस के हमलों ने देश भर में ऊर्जा ढाँचे को निशाना बनाया, जिससे कीव और अन्य शहरों के कुछ हिस्सों में बिजली गुल हो गई। यूक्रेन की राज्य आपातकालीन सेवा द्वारा जारी फुटेज में आपातकालीन टीमों को राजधानी में एक आवासीय इमारत से लोगों को निकालते और आग बुझाते हुए दिखाया गया है।
ज़ेलेंस्की ने इस हमले को "निंदनीय और सुनियोजित" बताते हुए कहा कि देश भर में ऊर्जा प्रतिष्ठानों पर 450 से ज़्यादा ड्रोन और 30 मिसाइलें दागी गईं। स्थानीय मीडिया ने बताया कि इन हमलों में यूक्रेन भर में 20 लोग घायल हुए हैं, जिनमें दक्षिणी शहर ज़ापोरिज्जिया में एक 7 साल के बच्चे की मौत हो गई।