पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन महीने की अमावस्या तक होती है और यह 15 दिनों का होता है। हिंदू धर्म में पितृपक्ष को विशेष महत्व माना जाता है। इस दौरान लोग अपने पितरों यानी के पूर्वजों, मृतक पिता-माता, दादा-दादी की आत्मा शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि मृत माताओं को समर्पित होता है। इस दिन मृत माताओं का श्राद्ध, तर्पण और पिडदान भी किया जाता है। इनकी कृपा से व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और मृत माताओं की कृपा बरसती है। कल यानी के 15 सितंबर को मातृ नवमी श्राद्ध है। आइए आपको बताते हैं मातृ नवमी श्राद्ध के उपाय बताते हैं।
तर्पण करने का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पर कुतुप मूहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक है। वहीं, रौहिण मूहूर्त दोपहर 12 बजकर 41 मिनट से लेकर 01 बजकर 30 मिनट तक है। बल्कि अपराह्न काल में दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से लेकर 03 बजकर 58 मिनट तक है।
मातृ नवमी के उपाय
- मृत माताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए तुलसी माता की पूजा करें। इसके साथ ही आप तुलसी माता को जल अर्पित करें। इसके साथ ही शाम मां तुलसी की आरती करें। तुलसी माता के समक्ष दीपक जलाएं।
- इस दिन पीपल पेड़ की पूजा जरुर करें। पीपल के पेड़ के नीचे दीपक को जला सकते हैं। काले तिल मिश्रित जल से पीपल को अर्घ्य दे सकते हैं। ऐसा करने मृत माताएं प्रसन्न हो जाती हैं।
- मातृ नवमी के दिन जरुरतमंद महिलाओं को सुहाग का सामान दान करें।
- इस दिन मृत माताओं को प्रसन्न करने के लिए जरुरतमंदों को भोजन कराएं। आपके अपने हिसाब से अन्नदान कर सकती हैं।