हरियाणा से 12 गुना अधिक पराली पंजाब में जली:पड़ोसी राज्य में 730, प्रदेश में 60 केस, राज्य के 3 शहर सबसे ज्यादा प्रदूषित
पंजाब में पराली (धान के फसल अवशेष) जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं। पंजाब तक अब तक 730 जगहों पर पराली जल चुकी है तो वहीं हरियाणा में पराली जलाने के 60 केस ही सामने आए हैं। हरियाणा सरकार की पराली को लेकर उठाए कदमों और सख्ती से घटनाओं में कमी पाई गई है। वहीं जहां पंजाब ज्यादा पराली जला रहा है वहां का पॉल्यूशन हरियाणा की तुलना में बेहतर है। हरियाणा के 3 शहर देशभर में सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने आंकड़े जारी किए हैं जिसमें हरियाणा के बहादुरगढ़, धारूहेड़ा और फतेहाबाद सबसे ज्यादा प्रदूषित वाले शहरों में शामिल हैं। इसका कारण इंडस्ट्री और स्ट्रॉ बर्निंग दोनों को ही माना जा रहा है। हालांकि अच्छी बात यह है कि देशभर में रेड जोन शहरों की संख्या दो दिन से घटी है। दिवाली पर जहां हरियाणा के 10 शहरों में AQI रेड जोन में था, वहीं अब 3 शहर ही हैं जो रेड जोन में है। अधिकतर शहर ओरेंज जोन में है। रेड जोन इन्वायर्नमेंट सेहत के लिए बेहद खराब माना जाता है। वहीं ओरेंज जोन खराब स्थिति को दर्शाता है। दोनों ही स्थिति में सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। एक्सपर्ट बोले- हवा कमजोर, स्मॉग के लिए स्थानीय कारण जिम्मेदार
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ का कहना है कि अभी का मौसम स्मॉग बनने के लिए अनूकूल है। रात का तापमान जब कम हो और वातावरण में नमी हो तो वातावरण में फैला धुआं ऊपर नहीं उठ पाता और वह स्मॉग का रूप ले लेता है। अभी हवा की गति धीमी है। इस कारण प्रदूषण के लिए स्थानीय कारण ही जिम्मेदार हैं। हां, अगर हवा तेज चले तो धुआं तेजी से दूसरी जगहों पर फैलता है। खीचड़ ने बताया कि अभी 28 और 29 को कमजोर पश्चिमी विक्षोभ दस्तक देगा इससे हरियाणा में बादलवाई छाएगी। हरियाणा सरकार पराली प्रबंधन पर यह 5 कदम उठा रही 10 जिलों पर विशेष निगाह, सैटेलाइट से भी निगरानी दिल्ली से बाहर 10 जिलों में ईंट भट्टों में पराली से ही ईंटें पकाने के आदेश दिए गए हैं। इसी तरह थर्मल पावर प्लांट में 5 प्रतिशत तक पराली उत्पादों को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। 10 जिलों फतेहाबाद, जींद, कैथल, अंबाला, सिरसा, कुरुक्षेत्र, करनाल, हिसार, यमुनानगर और सोनीपत पर विशेष निगाह रखी जा रही है। यहां पिछले साल सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए थे। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और हरियाणा स्पेस एप्लिकेशन सेंटर सैटेलाइट से निगरानी कर रहा है।
पंजाब में पराली (धान के फसल अवशेष) जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं। पंजाब तक अब तक 730 जगहों पर पराली जल चुकी है तो वहीं हरियाणा में पराली जलाने के 60 केस ही सामने आए हैं। हरियाणा सरकार की पराली को लेकर उठाए कदमों और सख्ती से घटनाओं में कमी पाई गई है। वहीं जहां पंजाब ज्यादा पराली जला रहा है वहां का पॉल्यूशन हरियाणा की तुलना में बेहतर है। हरियाणा के 3 शहर देशभर में सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने आंकड़े जारी किए हैं जिसमें हरियाणा के बहादुरगढ़, धारूहेड़ा और फतेहाबाद सबसे ज्यादा प्रदूषित वाले शहरों में शामिल हैं। इसका कारण इंडस्ट्री और स्ट्रॉ बर्निंग दोनों को ही माना जा रहा है। हालांकि अच्छी बात यह है कि देशभर में रेड जोन शहरों की संख्या दो दिन से घटी है। दिवाली पर जहां हरियाणा के 10 शहरों में AQI रेड जोन में था, वहीं अब 3 शहर ही हैं जो रेड जोन में है। अधिकतर शहर ओरेंज जोन में है। रेड जोन इन्वायर्नमेंट सेहत के लिए बेहद खराब माना जाता है। वहीं ओरेंज जोन खराब स्थिति को दर्शाता है। दोनों ही स्थिति में सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। एक्सपर्ट बोले- हवा कमजोर, स्मॉग के लिए स्थानीय कारण जिम्मेदार
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ का कहना है कि अभी का मौसम स्मॉग बनने के लिए अनूकूल है। रात का तापमान जब कम हो और वातावरण में नमी हो तो वातावरण में फैला धुआं ऊपर नहीं उठ पाता और वह स्मॉग का रूप ले लेता है। अभी हवा की गति धीमी है। इस कारण प्रदूषण के लिए स्थानीय कारण ही जिम्मेदार हैं। हां, अगर हवा तेज चले तो धुआं तेजी से दूसरी जगहों पर फैलता है। खीचड़ ने बताया कि अभी 28 और 29 को कमजोर पश्चिमी विक्षोभ दस्तक देगा इससे हरियाणा में बादलवाई छाएगी। हरियाणा सरकार पराली प्रबंधन पर यह 5 कदम उठा रही 10 जिलों पर विशेष निगाह, सैटेलाइट से भी निगरानी दिल्ली से बाहर 10 जिलों में ईंट भट्टों में पराली से ही ईंटें पकाने के आदेश दिए गए हैं। इसी तरह थर्मल पावर प्लांट में 5 प्रतिशत तक पराली उत्पादों को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। 10 जिलों फतेहाबाद, जींद, कैथल, अंबाला, सिरसा, कुरुक्षेत्र, करनाल, हिसार, यमुनानगर और सोनीपत पर विशेष निगाह रखी जा रही है। यहां पिछले साल सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए थे। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और हरियाणा स्पेस एप्लिकेशन सेंटर सैटेलाइट से निगरानी कर रहा है।