Pakistan in 4 Front War | ब्लूचिस्तान के बग़ावत,हिंसा -मानवाधिकार हनन की कहानी | Teh Tak Chapter 2

भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्कों को एक साथ 1947 में आजादी मिली थी। लेकिन अपनी आजादी के 75वें साल में भी पाकिस्तान पूरी तरह से अशांत है। जिसके पीछे की वजह है वो खुद ही अपने देश में आतंकवाद को फलने-फूले देता है व कितनी दफा उसे खाद-पानी भी मुहैया कराता रहता है। ताकी उसका उपयोग वो भारत के खिलाफ कर सके। लेकिन वो कहावत तो आपने खूब सुनी होगी। डो औरों के लिए गड्ढा खोदते हैं वो एक दिन खुद ही गड्ढे में गिर जाते हैं। लेकिन एक और कहावत है अक्ल पर पत्थर पड़ा होना। पाकिस्तान के केस में दोनों ही कहावतें सटीक बैठती है। वो लगातार गड्ढे में गिरता रहता है लेकिन फिर भी उससे सीख नहीं लेता है। इन दिनों पाकिस्तान के एक प्रांत को लेकर खूब चर्चा हो रही है। साउथ वेस्ट एशिया का पाकिस्तानी प्रांत बलूचिस्तान जो पिछले सात दशकों से अपनी आजादी और अधिकारों के लिए लड़ रहा है और कई बार पाकिस्तान के अंदर हमलों को भी अंजाम देता रहा है। 1947 के बाद से आज तक पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान को सबसे तवानग्रस्त इलाका माना जाता है। मुट्ठीभर भारतीय कश्मीरी मुसलमान पाकिस्तान के बहकावे में आकर अलगाववाद की बातें करते हैं और कश्मीर को स्वतंत्र करने की आवाज उठाते हैं। बलूचिस्तान के बलूची और पख्तून भी अक्सर पाकिस्तान से अलग होने की मांग उठाते रहे हैं और भारत द्वारा बलूचिस्तान का समर्थन भी किया जाता है।बलूचिस्तान का मसला क्या हैबलूचिस्तान का 760 किलोमीटर लंबा समुद्र तट पाकिस्तान के समुद्र तट का दो तिहाई हैबलूचिस्तान की आबादी सिर्फ 1.3 करोड़ हैआर्थिक रूप से सबसे पिछड़ा है बलूचिस्तान गरीबी दर में सबसे ऊपर है बलूचिस्तान अंग्रेजी शासन में बलूचिस्तान में 4 राज्य कलात ने पाकिस्तान में विलय से इंकार किया कलात की बगावत पर जिन्ना ने सेना भेजीबलूचों की बगावत को कुचलने के लिए पाकिस्तान ने कई बार सैन्य हमले किएपहला हमला 1948 में जब जिन्ना के कहने पर पाकिसतानी सेना ने बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया।साल 1959 में बलोच नेता नौरोज़ ख़ाँ ने इस शर्त पर हथियार डाले थे कि पाकिस्तान की सरकार अपनी वन यूनिट योजना को वापस ले लेगी। लेकिन पाकिस्तान की सरकार ने उनके हथियार डालने के बाद उनके बेटों सहित कई समर्थकों को फ़ांसी पर चढ़ा दिया।1974 में जनरल टिक्का ख़ाँ के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना ने मिराज और एफ़-86 युद्धक विमानों के ज़रिए बलूचिस्तान के इलाकों पर बम गिराए। यहाँ तक कि ईरान के शाह ने अपने कोबरा हेलिकॉप्टर भेज कर बलोच विद्रोहियों के इलाकों पर बमबारी कराई।26 अगस्त, 2006 को जनरल परवेज़ मुशर्ऱफ़ के शासनकाल में बलोच आँदोलन के नेता नवाब अकबर बुग्ती को सेना ने उनकी गुफ़ा में घेर कर मार डाला।आज तक बलूचिस्तान में विद्रोह जारी 1948 से लेकर आज तक बलूच का विद्रोह जारी है। बलूच का मानना है कि वो पूर्व में एक स्वतंत्र राष्ट्र थे और सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से वो एक अलग पहचान रखते है। पाकिस्तान ने कलात के खान से बंदूक की नोंक पर विलय करवाया। आज बलूचिस्तान में हजारों बलूच लड़ाके पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लड़ रहे हैं। बलूचिस्तान के लोग चाहते हैं कि भारत मामले में दखल दे जिस तरह उसने बांग्लादेश के मामले में किया था। नरेंद्र मोदी द्वारा बलूचिस्तान का जिक्र आने के बाद भारत ने अपनी रणनीति बदली है। इससे बलूच लोगों में भी एक बार फिर आशा जगी है कि वो भारत की मदद से अपना हक पा सकेंगे और आने वाले दिनों में पाकिस्तान को एक और बंटवारे से रूबरू होना पड़ेगा।  इसे भी पढ़ें: Pakistan in 4 Front War | पाकिस्तान ने आर्मी हेडक्वार्टर के लिए रावलपिंडी को ही क्यों चुना? | Teh Tak Chapter 3 

Oct 25, 2025 - 08:01
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Pakistan in 4 Front War | ब्लूचिस्तान के बग़ावत,हिंसा -मानवाधिकार हनन की  कहानी | Teh Tak Chapter 2
भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्कों को एक साथ 1947 में आजादी मिली थी। लेकिन अपनी आजादी के 75वें साल में भी पाकिस्तान पूरी तरह से अशांत है। जिसके पीछे की वजह है वो खुद ही अपने देश में आतंकवाद को फलने-फूले देता है व कितनी दफा उसे खाद-पानी भी मुहैया कराता रहता है। ताकी उसका उपयोग वो भारत के खिलाफ कर सके। लेकिन वो कहावत तो आपने खूब सुनी होगी। डो औरों के लिए गड्ढा खोदते हैं वो एक दिन खुद ही गड्ढे में गिर जाते हैं। लेकिन एक और कहावत है अक्ल पर पत्थर पड़ा होना। पाकिस्तान के केस में दोनों ही कहावतें सटीक बैठती है। वो लगातार गड्ढे में गिरता रहता है लेकिन फिर भी उससे सीख नहीं लेता है। इन दिनों पाकिस्तान के एक प्रांत को लेकर खूब चर्चा हो रही है। साउथ वेस्ट एशिया का पाकिस्तानी प्रांत बलूचिस्तान जो पिछले सात दशकों से अपनी आजादी और अधिकारों के लिए लड़ रहा है और कई बार पाकिस्तान के अंदर हमलों को भी अंजाम देता रहा है। 1947 के बाद से आज तक पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान को सबसे तवानग्रस्त इलाका माना जाता है। मुट्ठीभर भारतीय कश्मीरी मुसलमान पाकिस्तान के बहकावे में आकर अलगाववाद की बातें करते हैं और कश्मीर को स्वतंत्र करने की आवाज उठाते हैं। बलूचिस्तान के बलूची और पख्तून भी अक्सर पाकिस्तान से अलग होने की मांग उठाते रहे हैं और भारत द्वारा बलूचिस्तान का समर्थन भी किया जाता है।

बलूचिस्तान का मसला क्या है

बलूचिस्तान का 760 किलोमीटर लंबा समुद्र तट पाकिस्तान के समुद्र तट का दो तिहाई है
बलूचिस्तान की आबादी सिर्फ 1.3 करोड़ है
आर्थिक रूप से सबसे पिछड़ा है 
बलूचिस्तान गरीबी दर में सबसे ऊपर है 

बलूचिस्तान अंग्रेजी शासन में बलूचिस्तान में 4 राज्य 

कलात ने पाकिस्तान में विलय से इंकार किया कलात की बगावत पर जिन्ना ने सेना भेजी
बलूचों की बगावत को कुचलने के लिए पाकिस्तान ने कई बार सैन्य हमले किए
पहला हमला 1948 में जब जिन्ना के कहने पर पाकिसतानी सेना ने बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया।
साल 1959 में बलोच नेता नौरोज़ ख़ाँ ने इस शर्त पर हथियार डाले थे कि पाकिस्तान की सरकार अपनी वन यूनिट योजना को वापस ले लेगी। लेकिन पाकिस्तान की सरकार ने उनके हथियार डालने के बाद उनके बेटों सहित कई समर्थकों को फ़ांसी पर चढ़ा दिया।
1974 में जनरल टिक्का ख़ाँ के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना ने मिराज और एफ़-86 युद्धक विमानों के ज़रिए बलूचिस्तान के इलाकों पर बम गिराए। यहाँ तक कि ईरान के शाह ने अपने कोबरा हेलिकॉप्टर भेज कर बलोच विद्रोहियों के इलाकों पर बमबारी कराई।
26 अगस्त, 2006 को जनरल परवेज़ मुशर्ऱफ़ के शासनकाल में बलोच आँदोलन के नेता नवाब अकबर बुग्ती को सेना ने उनकी गुफ़ा में घेर कर मार डाला।

आज तक बलूचिस्तान में विद्रोह जारी 

1948 से लेकर आज तक बलूच का विद्रोह जारी है। बलूच का मानना है कि वो पूर्व में एक स्वतंत्र राष्ट्र थे और सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से वो एक अलग पहचान रखते है। पाकिस्तान ने कलात के खान से बंदूक की नोंक पर विलय करवाया। आज बलूचिस्तान में हजारों बलूच लड़ाके पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लड़ रहे हैं। बलूचिस्तान के लोग चाहते हैं कि भारत मामले में दखल दे जिस तरह उसने बांग्लादेश के मामले में किया था। नरेंद्र मोदी द्वारा बलूचिस्तान का जिक्र आने के बाद भारत ने अपनी रणनीति बदली है। इससे बलूच लोगों में भी एक बार फिर आशा जगी है कि वो भारत की मदद से अपना हक पा सकेंगे और आने वाले दिनों में पाकिस्तान को एक और बंटवारे से रूबरू होना पड़ेगा। 
 

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