मेरठ सेंट्रल मार्केट में आज चलेगा बुलडोजर:ढहाया जाएगा अवैध कांप्लेक्स, दुकानों से रातभर सामान समेटते रहे दुकानदार

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मेरठ के सेंट्रल मार्केट में बना अवैध कांप्लेक्स आज शनिवार को ढहाया जाएगा। कांप्लेक्स को गिराने का समय फिलहाल 9 बजे तय किया गया है। रात को ही पुलिस ने बाजार के चारों ओर के रास्तों पर बैरिकेडिंग कर दी। ताकि बुलडोजर एक्शन के वक्त किसी तरह की दिक्कत न हो। पिछले 35 साल से यहां आवासीय इलाके में ये कांप्लेक्स अवैध तरह से चल रहा है। जो लगातार विवाद का विषय बना था। 27 अक्टूबर तक कोर्ट में देना है जबाव कई सालों से ये मामला कोर्ट में चल रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने मार्केट गिराने का आदेश दिया था। लेकिन आवास विकास के अफसरो ंने व्यापारियों से मिलीभगत कर दुकानें ढहाने पर विचार नहीं किया। लगातार आवास विकास के अफसर इस मामले में लापरवाही करते रहे। अब आदेश की अवमानना होने के बाद अफसरों के हाथ पांव फूले हुए हैं। उन्हें 27 अक्टूबर तक कोर्ट में अपना जबाव दाखिल करना है। इसके चलते अब इस मार्केट को गिराया जाना है। रातभर खुला रहा बाजार व्यापार मंडल के आह्वान पर रात 12:00 बजे मार्केट फिर खोला गया था सुबह 4:00 बजे दुकानदार अपनी अपनी दुकान में बंद कर घर गए हैं सूचना मिली है आवास विकास परिषद ने अपनी टीम को 9:00 बजे बुलाया है पुलिस प्रशासन ने बीती रात ही सेंट्रल मार्केट में आने वाले सभी रास्तों पर ट्रॉली बैरियर खड़े कर दिए हैं पीले पंजे की कार्रवाई से पूर्व मार्केट की बिजली भी काट दी जाएगी ताकि कोई हादसा ना हो पाए मार्केट में इस वक्त दीपावली से ज्यादा चल पल दिख रही है लेकिन व्यापारियों के चेहरे की हवाइयां भी उड़ी हुई है। शुक्रवार शाम से खाली होने लगी दुकानें मेरठ के शास्त्री नगर सेंट्रल मार्केट में बने 661/6 काम्पलेक्स को खाली करने की प्रक्रिया शुक्रवार शाम शुरू हो गई। कारोबारी अपने आप ही अपने प्रतिष्ठानों को खाली करने लगे। उन्होंने यह भी बताया कि काम्पलेक्स तोड़ने से जुड़ी कोई भी जानकारी अभी तक विभाग की तरफ से उन्हें नहीं दी गई है। 22 दुकानों पर है विवाद सेंट्रल मार्केट में भूखंड संख्या 661/6 लगभग 288 वर्ग मीटर पर बना है, जिसमें लगभग 22 कब्जेदार हैं। यह भूखंड आवास विकास परिषद के दस्तावेज के अनुसार काजीपुर के वीर सिंह को आवास के लिए आवंटित हुआ था, लेकिन विनोद अरोड़ा नाम के व्यक्ति ने पावर ऑफ अटॉर्नी की सहायता से यहां व्यवसायिक निर्माण कर दिया। 19 सितंबर, 1990 को आवास एवं विकास परिषद ने पहला नोटिस जारी किया था।

Oct 25, 2025 - 08:03
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मेरठ सेंट्रल मार्केट में आज चलेगा बुलडोजर:ढहाया जाएगा अवैध कांप्लेक्स, दुकानों से रातभर सामान समेटते रहे दुकानदार
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मेरठ के सेंट्रल मार्केट में बना अवैध कांप्लेक्स आज शनिवार को ढहाया जाएगा। कांप्लेक्स को गिराने का समय फिलहाल 9 बजे तय किया गया है। रात को ही पुलिस ने बाजार के चारों ओर के रास्तों पर बैरिकेडिंग कर दी। ताकि बुलडोजर एक्शन के वक्त किसी तरह की दिक्कत न हो। पिछले 35 साल से यहां आवासीय इलाके में ये कांप्लेक्स अवैध तरह से चल रहा है। जो लगातार विवाद का विषय बना था। 27 अक्टूबर तक कोर्ट में देना है जबाव कई सालों से ये मामला कोर्ट में चल रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने मार्केट गिराने का आदेश दिया था। लेकिन आवास विकास के अफसरो ंने व्यापारियों से मिलीभगत कर दुकानें ढहाने पर विचार नहीं किया। लगातार आवास विकास के अफसर इस मामले में लापरवाही करते रहे। अब आदेश की अवमानना होने के बाद अफसरों के हाथ पांव फूले हुए हैं। उन्हें 27 अक्टूबर तक कोर्ट में अपना जबाव दाखिल करना है। इसके चलते अब इस मार्केट को गिराया जाना है। रातभर खुला रहा बाजार व्यापार मंडल के आह्वान पर रात 12:00 बजे मार्केट फिर खोला गया था सुबह 4:00 बजे दुकानदार अपनी अपनी दुकान में बंद कर घर गए हैं सूचना मिली है आवास विकास परिषद ने अपनी टीम को 9:00 बजे बुलाया है पुलिस प्रशासन ने बीती रात ही सेंट्रल मार्केट में आने वाले सभी रास्तों पर ट्रॉली बैरियर खड़े कर दिए हैं पीले पंजे की कार्रवाई से पूर्व मार्केट की बिजली भी काट दी जाएगी ताकि कोई हादसा ना हो पाए मार्केट में इस वक्त दीपावली से ज्यादा चल पल दिख रही है लेकिन व्यापारियों के चेहरे की हवाइयां भी उड़ी हुई है। शुक्रवार शाम से खाली होने लगी दुकानें मेरठ के शास्त्री नगर सेंट्रल मार्केट में बने 661/6 काम्पलेक्स को खाली करने की प्रक्रिया शुक्रवार शाम शुरू हो गई। कारोबारी अपने आप ही अपने प्रतिष्ठानों को खाली करने लगे। उन्होंने यह भी बताया कि काम्पलेक्स तोड़ने से जुड़ी कोई भी जानकारी अभी तक विभाग की तरफ से उन्हें नहीं दी गई है। 22 दुकानों पर है विवाद सेंट्रल मार्केट में भूखंड संख्या 661/6 लगभग 288 वर्ग मीटर पर बना है, जिसमें लगभग 22 कब्जेदार हैं। यह भूखंड आवास विकास परिषद के दस्तावेज के अनुसार काजीपुर के वीर सिंह को आवास के लिए आवंटित हुआ था, लेकिन विनोद अरोड़ा नाम के व्यक्ति ने पावर ऑफ अटॉर्नी की सहायता से यहां व्यवसायिक निर्माण कर दिया। 19 सितंबर, 1990 को आवास एवं विकास परिषद ने पहला नोटिस जारी किया था।