Pakistan in 4 Front War | पाकिस्तान के 'GEN Z' की नजर अब शहबाज-मुनीर पर | Teh Tak Chapter 4

पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थानीय लोगों के प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तानी सेना का अत्याचार अब संयुक्त राष्ट्र तक तक पहुंच गया है। 29 सितंबर से चल रहे नागरिकों के प्रदर्शन में अब तक 9 लोग मारे जा चुके हैं और 150 से ज्यादा घायल हैं। पीओके प्रदर्शनों को भारत सरकार ने वहां की दमनकारी नीतियों का नतीजा बताया है। इन प्रदर्शनों को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा कि हमने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में विरोध प्रदर्शनों को लेकर रिपोर्ट देखी है। इनमें पाकिस्तानी सेना की ओर से मासूम नागरिकों पर की जा रही बर्बरता भी शामिल है। हमारा मानना है कि ये पाकिस्तान के दमनकारी, शोषणकारी रवैया और इन इलाकों में संसाधनों की संस्थागत लूट का नतीजा है।प्रदर्शन की शुरुआत कैसे हुई?मुजफ्फराबाद में हिंसा सबसे पहले 29 सिंतबर को भड़की। जम्मू-कश्मीर जॉइंट आवामी ऐक्शन कमिटी (जेकेजेएएसी ) और सरकार समर्थक मुस्लिम कॉन्फ्रेंस से जुड़े लोग नीलम ब्रिज पर जमा हुए। जेकेजेएएसी और मुस्लिम कॉन्फ्रेंस एक-दूसरे पर गोलियां चलाने का आरोप लगाया। 1-2 अक्टूबर को हिंसा शुरू हो गई। पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में धीरकोट, मुजफ्फराबाद और मीरपुर में 9 लोग मारे गए और 150 लोग घायल है। इसी के विरोध में शुक्रवार को कराची और इस्लामाबाद में भी प्रदर्शन शुरू हो गया।क्या है मांगेंपीओके में रहने वाले दशकों से पाकिस्तानी शासन के आर्थिक शोषण और राजनीतिक बहिष्कार के शिकार है। JKJAAC ने 38 मांगें रखी है, जिनमें प्रमुख है, बिजली की कीमतों में 80% वृद्धि और गेहूं (आटा) की महंगाई के खिलाफ सब्सिडी। PoK की नदियों से बनी जलविद्युत परियोजनाएं जैसे मंगला डैम पाकिस्तान के पंजाब को फायदा पहुंचाती है, लेकिन स्थानीय लोगों को इसका कोई फायदा नहीं मिलता। स्थानीय विधानसभा के लिए आरक्षित 12 सीटों को लोग मान रहे कि इसका फायदा स्थानीय लोगों को नहीं मिल रहा।क्यो कहा जा रहा कि यह युवाओ का आंदोलन ?न्यू यॉर्क टाइम्स के मुताबिक, जेकेजेएएसी ने कहा कि बेरोजगारी से जूझ रहे युवा रैलियों का नेतृत्व कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपने देश में कोई भविष्य नहीं दिखता। ये युवा शोषणकारी व्यवस्था को ध्वस्त करने और ऐसा कुछ बनाने के लिए जोर दे रहे हैं जो उन्हें काम, सम्मान और उनके जीवन को बेहतर कर सके। मुजफ्फराबाद में 29 साल के दुकानदार अली जमान ने कहा कि अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शनों को भारत समर्थित बताकर खारिज करने की कोशिश की। लेकिन असल में ये वो लोग हैं जो व्यवस्था से तंग आ चुके हैं और बदलाव चाहते हैं।इसे भी पढ़ें: Pakistan in 4 Front War | बलूचिस्तान पर क्यों है ट्रंप की नजर?| Teh Tak Chapter 5 

Oct 25, 2025 - 08:01
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Pakistan in 4 Front War | पाकिस्तान के 'GEN Z' की नजर अब शहबाज-मुनीर पर | Teh Tak Chapter 4
पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थानीय लोगों के प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तानी सेना का अत्याचार अब संयुक्त राष्ट्र तक तक पहुंच गया है। 29 सितंबर से चल रहे नागरिकों के प्रदर्शन में अब तक 9 लोग मारे जा चुके हैं और 150 से ज्यादा घायल हैं। पीओके प्रदर्शनों को भारत सरकार ने वहां की दमनकारी नीतियों का नतीजा बताया है। इन प्रदर्शनों को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा कि हमने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में विरोध प्रदर्शनों को लेकर रिपोर्ट देखी है। इनमें पाकिस्तानी सेना की ओर से मासूम नागरिकों पर की जा रही बर्बरता भी शामिल है। हमारा मानना है कि ये पाकिस्तान के दमनकारी, शोषणकारी रवैया और इन इलाकों में संसाधनों की संस्थागत लूट का नतीजा है।

प्रदर्शन की शुरुआत कैसे हुई?

मुजफ्फराबाद में हिंसा सबसे पहले 29 सिंतबर को भड़की। जम्मू-कश्मीर जॉइंट आवामी ऐक्शन कमिटी (जेकेजेएएसी ) और सरकार समर्थक मुस्लिम कॉन्फ्रेंस से जुड़े लोग नीलम ब्रिज पर जमा हुए। जेकेजेएएसी और मुस्लिम कॉन्फ्रेंस एक-दूसरे पर गोलियां चलाने का आरोप लगाया। 1-2 अक्टूबर को हिंसा शुरू हो गई। पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में धीरकोट, मुजफ्फराबाद और मीरपुर में 9 लोग मारे गए और 150 लोग घायल है। इसी के विरोध में शुक्रवार को कराची और इस्लामाबाद में भी प्रदर्शन शुरू हो गया।

क्या है मांगें

पीओके में रहने वाले दशकों से पाकिस्तानी शासन के आर्थिक शोषण और राजनीतिक बहिष्कार के शिकार है। JKJAAC ने 38 मांगें रखी है, जिनमें प्रमुख है, बिजली की कीमतों में 80% वृद्धि और गेहूं (आटा) की महंगाई के खिलाफ सब्सिडी। PoK की नदियों से बनी जलविद्युत परियोजनाएं जैसे मंगला डैम पाकिस्तान के पंजाब को फायदा पहुंचाती है, लेकिन स्थानीय लोगों को इसका कोई फायदा नहीं मिलता। स्थानीय विधानसभा के लिए आरक्षित 12 सीटों को लोग मान रहे कि इसका फायदा स्थानीय लोगों को नहीं मिल रहा।

क्यो कहा जा रहा कि यह युवाओ का आंदोलन ?

न्यू यॉर्क टाइम्स के मुताबिक, जेकेजेएएसी ने कहा कि बेरोजगारी से जूझ रहे युवा रैलियों का नेतृत्व कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपने देश में कोई भविष्य नहीं दिखता। ये युवा शोषणकारी व्यवस्था को ध्वस्त करने और ऐसा कुछ बनाने के लिए जोर दे रहे हैं जो उन्हें काम, सम्मान और उनके जीवन को बेहतर कर सके। मुजफ्फराबाद में 29 साल के दुकानदार अली जमान ने कहा कि अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शनों को भारत समर्थित बताकर खारिज करने की कोशिश की। लेकिन असल में ये वो लोग हैं जो व्यवस्था से तंग आ चुके हैं और बदलाव चाहते हैं।

इसे भी पढ़ें: Pakistan in 4 Front War | बलूचिस्तान पर क्यों है ट्रंप की नजर?| Teh Tak Chapter 5