इंडिया गठबंधन के तेजस्वी के मुकाबले एनडीए के नीतीश के नाम के ऐलान में विलंब आत्मघाती!

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के तहत चुनाव प्रचार की रफ्तार जैसे-जैसे तेज होती जा रही है, मतदाताओं की खामोशी देख गठबंधन दल के साथी अपने अपने नए-नए सियासी पत्ते खोल रहे हैं! जानकार बताते हैं कि आगामी 6 और 11 नवंबर को 243 सीटों के लिए यहां मतदान होगा। जहां पर एनडीए के घटक दलों, इंडिया महागठबंधन के साथी दलों और अकेली जनसुराज पार्टी के बीच त्रिकोणात्मक मुकाबले होने के आसार प्रबल हैं। खास बात यह है कि दोनों महत्वपूर्ण गठबंधन ने अपने अपने मुख्यमंत्री को लेकर जो सस्पेंस बरकरार रखा था, उसमें से इंडिया गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में राजद नेता तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान होते ही आज राजद-कांग्रेस के अंदरूनी कलह का पटाक्षेप हो गया। वहीं, एनडीए का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस बात का जनता के बीच खुलासा करने का नैतिक दबाव भाजपा-जदयू पर बढ़ गया है। हालांकि इसके अपने नफा-नुकसान भी हैं। इसलिए मशहूर सियासी रणनीतिकार व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अगले कदम पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।इसे भी पढ़ें: बिहार चुनावः मुद्दों एवं मूल्यों से दूर भागती राजनीतिसवाल है कि एक ओर जहां सत्ताधारी एनडीए गठबंधन ने अपने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के नाम का ऐलान करने से परहेज किया है, वहीं मुख्य विपक्षी इंडिया गठबंधन ने अपने मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री के नाम का ऐलान बजाप्ता एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कर दिया है। लेकिन ऐसा करने से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लवरु की भारी फजीहत हुई है। जिस तरह से राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजकर यह घोषणा कराई गई, वह पार्टी के नेताओं की कमजोरियों को स्पष्ट कर दिया है, जबकि राजद नेता तेजस्वी यादव की यह पहली जीत है।वहीं, कथित कांग्रेस नेता और पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुला ऑफर दिया है, उससे भाजपा रणनीतिकारों की परेशानियों का ठिकाना नहीं है। अब वो नीतीश कुमार को भावी मुख्यमंत्री घोषित करें या न करें, लेकिन नीतीश कुमार को दिल से चाहने वाले लोग यदि भाजपा, लोजपा, हम, रालोमो की बजाए कांग्रेस को वोट कर दिए या राजद को वोट कर दिए या इंडिया गठबंधन के अन्य उम्मीदवार को वोट कर दिए तो भाजपा की सारी रणनीति फेल हो जाएगी।ऐसा लोग इसलिए बता रहे हैं कि नीतीश कुमार और उनके करीबी लोग भाजपा-लोजपा से 2020 के भितरघात का बदला अवश्य लेंगे, अन्यथा जदयू का सियासी हनक समाप्त हो जाएगा। बिहार के सियासी हल्के में कहा भी जाता है कि राजनीति के चाणक्य नीतीश कुमार की अंतड़ी में दांत है, जिसमें बड़े-बड़े सुरमा भोपाली नेता पीस चुके हैं। गत लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की जो सियासी दुर्गति इंडिया गठबंधन ने की, उसके मुख्य सूत्रधार भी नीतीश कुमार ही थे, जिन्होंने इंडिया गठबंधन का राष्ट्रीय संयोजक नहीं बनाने के चलते पलटीमार दी और एनडीए में आकर आज उसका रिमोट कंट्रोल अपने हाथ में रखे हुए हैं।इसलिए भाजपा की भलाई भी इसी में ही है कि वह जल्द से जल्द अपने भावी मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के नाम का ऐलान कर दे। अन्यथा इतिहास 14 नवम्बर को फिर से खुद को दोहराएगा। सच कहूं तो इंडिया गठबंधन के तेजस्वी यादव के मुकाबले एनडीए के नीतीश कुमार के नाम के ऐलान में विलंब आत्मघाती साबित होगा! - कमलेश पांडेयवरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक

Oct 25, 2025 - 08:01
 0
इंडिया गठबंधन के तेजस्वी के मुकाबले एनडीए के नीतीश के नाम के ऐलान में विलंब आत्मघाती!
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के तहत चुनाव प्रचार की रफ्तार जैसे-जैसे तेज होती जा रही है, मतदाताओं की खामोशी देख गठबंधन दल के साथी अपने अपने नए-नए सियासी पत्ते खोल रहे हैं! जानकार बताते हैं कि आगामी 6 और 11 नवंबर को 243 सीटों के लिए यहां मतदान होगा। जहां पर एनडीए के घटक दलों, इंडिया महागठबंधन के साथी दलों और अकेली जनसुराज पार्टी के बीच त्रिकोणात्मक मुकाबले होने के आसार प्रबल हैं। 

खास बात यह है कि दोनों महत्वपूर्ण गठबंधन ने अपने अपने मुख्यमंत्री को लेकर जो सस्पेंस बरकरार रखा था, उसमें से इंडिया गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में राजद नेता तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान होते ही आज राजद-कांग्रेस के अंदरूनी कलह का पटाक्षेप हो गया। वहीं, एनडीए का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस बात का जनता के बीच खुलासा करने का नैतिक दबाव भाजपा-जदयू पर बढ़ गया है। हालांकि इसके अपने नफा-नुकसान भी हैं। इसलिए मशहूर सियासी रणनीतिकार व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अगले कदम पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।

इसे भी पढ़ें: बिहार चुनावः मुद्दों एवं मूल्यों से दूर भागती राजनीति

सवाल है कि एक ओर जहां सत्ताधारी एनडीए गठबंधन ने अपने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के नाम का ऐलान करने से परहेज किया है, वहीं मुख्य विपक्षी इंडिया गठबंधन ने अपने मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री के नाम का ऐलान बजाप्ता एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कर दिया है। लेकिन ऐसा करने से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लवरु की भारी फजीहत हुई है। जिस तरह से राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजकर यह घोषणा कराई गई, वह पार्टी के नेताओं की कमजोरियों को स्पष्ट कर दिया है, जबकि राजद नेता तेजस्वी यादव की यह पहली जीत है।

वहीं, कथित कांग्रेस नेता और पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुला ऑफर दिया है, उससे भाजपा रणनीतिकारों की परेशानियों का ठिकाना नहीं है। अब वो नीतीश कुमार को भावी मुख्यमंत्री घोषित करें या न करें, लेकिन नीतीश कुमार को दिल से चाहने वाले लोग यदि भाजपा, लोजपा, हम, रालोमो की बजाए कांग्रेस को वोट कर दिए या राजद को वोट कर दिए या इंडिया गठबंधन के अन्य उम्मीदवार को वोट कर दिए तो भाजपा की सारी रणनीति फेल हो जाएगी।

ऐसा लोग इसलिए बता रहे हैं कि नीतीश कुमार और उनके करीबी लोग भाजपा-लोजपा से 2020 के भितरघात का बदला अवश्य लेंगे, अन्यथा जदयू का सियासी हनक समाप्त हो जाएगा। बिहार के सियासी हल्के में कहा भी जाता है कि राजनीति के चाणक्य नीतीश कुमार की अंतड़ी में दांत है, जिसमें बड़े-बड़े सुरमा भोपाली नेता पीस चुके हैं। गत लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की जो सियासी दुर्गति इंडिया गठबंधन ने की, उसके मुख्य सूत्रधार भी नीतीश कुमार ही थे, जिन्होंने इंडिया गठबंधन का राष्ट्रीय संयोजक नहीं बनाने के चलते पलटीमार दी और एनडीए में आकर आज उसका रिमोट कंट्रोल अपने हाथ में रखे हुए हैं।

इसलिए भाजपा की भलाई भी इसी में ही है कि वह जल्द से जल्द अपने भावी मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के नाम का ऐलान कर दे। अन्यथा इतिहास 14 नवम्बर को फिर से खुद को दोहराएगा। सच कहूं तो इंडिया गठबंधन के तेजस्वी यादव के मुकाबले एनडीए के नीतीश कुमार के नाम के ऐलान में विलंब आत्मघाती साबित होगा! 

- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक