नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफ़े के बाद राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल है। शल मीडिया पर प्रतिबंध के बाद हिंसक प्रदर्शन में 19 लोग मारे गए, जिनमें ज़्यादातर छात्र थे, और यह आंदोलन जल्द ही जड़ जमाए बैठे राजनीतिक अभिजात वर्ग के ख़िलाफ़ एक व्यापक आंदोलन में बदल गया। 2008 में राजशाही समाप्त होने के बाद से नेपाल के नवजात लोकतंत्र के सामने यह सबसे बड़ा संकट है। इस अशांति ने राजनीतिक अभिजात वर्ग और देश के बेचैन युवाओं के बीच गहरी दरार को उजागर कर दिया है। केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह, जिन्हें लोग बालेन शाह कहते हैं, नए प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर चर्चा में आए। 33 वर्षीय मेयर बालेन शाह ने सोशल मीडिया पर युवाओं का समर्थन किया था। हालांकि कहा जा रहा है कि बालेंद्र शाह ने नेपाल की सत्ता संभालने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता को कौन कंट्रोल करेगा इसको लेकर जेन जेड प्रदर्शनकारियों की तरफ से एक ऑनलाइन बैठक बुलाई गई थी। इस वर्चुअल बैठक में पांच हजार से ज्यादा युवाओं ने हिस्सा लिया। अभी तक नेपाल के जेन जेड आंदोलन का लीडर माने जा रहे बालेंद्र शाह ने हालांकि युवाओं की अपील का कोई जवाब नहीं दिया। बताया जा रहा है कि उन्होंने कॉल भी नहीं उठाया। जिसके बाद चर्चा फिर दूसरे नामों की ओर चली गई। जिसके बाद सबसे ज्यादा समर्थन पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को मिला। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कार्की ने इससे पहले पीएम पद के लिए कम-से-कम 1,000 लिखित हस्ताक्षर की शर्त रखी थी। बताया जा रहा है कि उन्हें करीब 2500 से अधिक समर्थन पत्र प्राप्त हुए हैं।
कौन हैं सुशीला कार्की
कार्की 11 जुलाई, 2016 को मुख्य न्यायाधीश बनीं और इस पद पर आसीन होने वाली देश की एकमात्र महिला हैं। दिलचस्प बात यह है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी ओली की अध्यक्षता वाली संवैधानिक परिषद ने इस पद के लिए उनकी सिफारिश की थी और अब वह ओली की जगह ले सकती हैं। खबरों की मानें तो कुछ जेनरेशन जेड कार्यकर्ता उनके पक्ष में हैं, हालाँकि वे अन्य नामों पर भी विचार कर रहे हैं। कार्की भ्रष्टाचार मामलों में बेखौफ और सख्त रुख के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने बीएचयू, वाराणसी से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।