गुरुग्राम के मंदिरों में भक्तों का सैलाब:धूमधाम से मनाया अन्नकूट पर्व, गिरीराज की परिक्रमा की, भजन कीर्तन कर लगाया भोग

हरियाणा के गुरुग्राम में बुधवार को गोवर्धन पूजा पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। लोगों ने गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसकी पूजा-अर्चना की। गुरुग्राम के सिद्धेश्वर मंदिर सहित हनुमान मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर और इस्कॉन मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। भक्तों ने गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसके चारों ओर परिक्रमा की, भजन-कीर्तन किया और अन्नकूट भंडारे में सैकड़ों प्रकार के व्यंजन भगवान को भोग लगाए। गोवर्धन पूजा का धार्मिक और पौराणिक महत्व गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है और इसका संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के क्रोध से गोकुलवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। इसी घटना की स्मृति में यह पूजा की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण ने इस पर्व के माध्यम से सिखाया कि पूजा का उद्देश्य केवल देवताओं की आराधना नहीं, बल्कि प्रकृति और उसके संरक्षण के प्रति सम्मान भी है। गोवर्धन पर्वत को 'गिरिराज' भी कहा जाता है, जो उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के पास स्थित है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है। गिरिराज की परिक्रमा और अन्नकूट आयोजन गिरिराज जी की लगभग 21 किलोमीटर लंबी परिक्रमा लाखों भक्त वर्षभर करते हैं। गोवर्धन पूजा के दिन विशेष रूप से गिरिराज जी महाराज की पूजा के साथ अन्नकूट का आयोजन भी किया जाता है। इस आयोजन में भक्तों ने विभिन्न प्रकार के व्यंजन भगवान को भोग लगाए और समुदाय में भाईचारा एवं सहयोग की भावना को प्रोत्साहित किया। पर्यावरण संरक्षण और मानवता का संदेश गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और एकता का संदेश भी देती है। यह हमें प्रेरित करती है कि हम प्रकृति की रक्षा करें, पेड़ों, पशुओं और पर्वतों का सम्मान करें। श्रीकृष्ण ने इस पूजा के जरिए मानवता को दिखावे की पूजा छोड़कर धरती और उसके संसाधनों की रक्षा करने का महत्व समझाया। गुरुग्राम में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों ने मिलकर श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने के दृश्य की सुंदर झांकियां सजाईं। भजन-कीर्तन और अन्नकूट कार्यक्रम में सभी ने मिलकर धर्म, संस्कृति और सामाजिक एकता का संदेश साझा किया।

Oct 22, 2025 - 19:12
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गुरुग्राम के मंदिरों में भक्तों का सैलाब:धूमधाम से मनाया अन्नकूट पर्व, गिरीराज की परिक्रमा की, भजन कीर्तन कर लगाया भोग
हरियाणा के गुरुग्राम में बुधवार को गोवर्धन पूजा पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। लोगों ने गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसकी पूजा-अर्चना की। गुरुग्राम के सिद्धेश्वर मंदिर सहित हनुमान मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर और इस्कॉन मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। भक्तों ने गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसके चारों ओर परिक्रमा की, भजन-कीर्तन किया और अन्नकूट भंडारे में सैकड़ों प्रकार के व्यंजन भगवान को भोग लगाए। गोवर्धन पूजा का धार्मिक और पौराणिक महत्व गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है और इसका संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के क्रोध से गोकुलवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। इसी घटना की स्मृति में यह पूजा की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण ने इस पर्व के माध्यम से सिखाया कि पूजा का उद्देश्य केवल देवताओं की आराधना नहीं, बल्कि प्रकृति और उसके संरक्षण के प्रति सम्मान भी है। गोवर्धन पर्वत को 'गिरिराज' भी कहा जाता है, जो उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के पास स्थित है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है। गिरिराज की परिक्रमा और अन्नकूट आयोजन गिरिराज जी की लगभग 21 किलोमीटर लंबी परिक्रमा लाखों भक्त वर्षभर करते हैं। गोवर्धन पूजा के दिन विशेष रूप से गिरिराज जी महाराज की पूजा के साथ अन्नकूट का आयोजन भी किया जाता है। इस आयोजन में भक्तों ने विभिन्न प्रकार के व्यंजन भगवान को भोग लगाए और समुदाय में भाईचारा एवं सहयोग की भावना को प्रोत्साहित किया। पर्यावरण संरक्षण और मानवता का संदेश गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और एकता का संदेश भी देती है। यह हमें प्रेरित करती है कि हम प्रकृति की रक्षा करें, पेड़ों, पशुओं और पर्वतों का सम्मान करें। श्रीकृष्ण ने इस पूजा के जरिए मानवता को दिखावे की पूजा छोड़कर धरती और उसके संसाधनों की रक्षा करने का महत्व समझाया। गुरुग्राम में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों ने मिलकर श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने के दृश्य की सुंदर झांकियां सजाईं। भजन-कीर्तन और अन्नकूट कार्यक्रम में सभी ने मिलकर धर्म, संस्कृति और सामाजिक एकता का संदेश साझा किया।