श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार और अब नेपाल, 4 सालों में 5 देशों में सियासी अस्थिरता, भारत के पड़ोसियों को कौन बना रहा निशाना?

2021 में म्यांमार, 2022 में पाकिस्तान और श्रीलंका, 2024 में बांग्लादेश और अब नेपाल। पिछले कुछ वर्षों में भारत के पड़ोसी देशों ने एक के बाद एक आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल देखी है। इन वर्षों में भारत ने अपने पड़ोसी पहले कूटनीतिक दृष्टिकोण को बनाए रखा है, जिसमें मानवीय सहायता से लेकर विकास सहयोग, सीमा कूटनीति और प्रत्येक पड़ोसी के संदर्भ के आधार पर सतर्क जुड़ाव तक की भूमिकाएँ निभाई हैं। नेपाल के मौजूदा हालात के बीच भारत ने भी यही किया है। नेपाल में सोमवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें सुरक्षाकर्मियों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों अन्य घायल हो गए। विरोध प्रदर्शन हिंसक हो जाने पर ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने युवाओं की जान जाने पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वह स्थिति पर कड़ी नज़र रख रहा है और भारतीय नागरिकों से सतर्क रहने और नेपाल की अनावश्यक यात्रा से बचने का आग्रह किया। इसे भी पढ़ें: Nepal Gen-Z Protest: आखिर किस वजह से नेपाल ने सोशल मीडिया एप्स को बैन किया, जानें पूरा बवालनेपाल में क्या हो रहा है? 4 सितंबर को पाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने नए पंजीकरण और निगरानी संबंधी आदेशों का पालन न करने का हवाला देते हुए फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, रेडिट और एक्स सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया। टिकटॉक और वाइबर जैसे प्लेटफॉर्म आवश्यकताओं का पालन करते हुए चालू रहे। इस प्रतिबंध के बाद जेन जेड प्रदर्शनकारियों की तरफ से विरोध प्रदर्शन हुए। 8 सितंबर को पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी करने के बाद झड़पें जानलेवा हो गईं। कम से कम 17-19 लोग मारे गए और 100 से ज़्यादा घायल हुए, जिनमें आम नागरिक और सुरक्षाकर्मी दोनों शामिल थे। नौबल ये आ गई कि भड़़के हुए लोग वित्त मंत्री से लेकर पूर्व पीएम तक को सड़कों पर दौड़ा दौड़ाकर पीटने लगे। पार्टी दफ्तरों में आग लगा दी गई। फिर गुस्से को शांत करने के लिए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपना इस्तीफा देना पड़ा। श्रीलंक में राजपक्षे परिवार के खिलाफ विरोध2022 के आर्थिक संकट के बाद राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षा देश छोड़कर भागे। 23 सितंबर 2024 में अनुरा कुमार दिसानायके राष्ट्रपति बने। अनुरा सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और 5 पूर्व मंत्रियों को भष्ट्राचार के मामलों में जेल की सजा सुनाई गई। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था अभी भी संकट में है। लोगों पर महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी का बोझ बना हुआ है।इसे भी पढ़ें: ओली का इस्तीफा स्वीकार, कौन हैं रैपर से नेता बने बालेंद्र शाह, जिसे सत्ता सौंपने की मांग कर रहे नेपाल के Gen Z आंदोलनकारीबांग्लादेश में छात्रों ने हसीना को सत्ता से बेदखल कियाअगस्त 2024 में बांग्लादेश में हसीना सरकार के तख्तापलट एक महीने में नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया। 90 दिनों में चुनाव होना था, लेकिन वे पिछले 13 माह से पीएम बने हुए हैं। कई आंदोलनकारी छात्रों को अंतरिम सरकार में शामिल किया गया था। 8 प्रमुख छात्र नेताओं में से आधे से ज्यादा साइड लाइन होने के बाद सरकार छोड़ चुके हैं। सेना ही सत्ता चला रही है। बांग्लादेश को लेकर भारत की ओर से, प्रतिक्रिया सतर्कतापूर्ण रही। सरकार ने यात्रा परामर्श के माध्यम से अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी, तनाव कम करने के लिए बांग्लादेशी सैन्य नेताओं के साथ कूटनीतिक बातचीत की, और सीमित हस्तक्षेप का रुख अपनाते हुए शेख हसीना को शरण दी। हालाँकि पेट्रापोल जैसे व्यापार मार्ग प्रभावित हुए, लेकिन सुरक्षा के तहत आंशिक रूप से व्यापार फिर से शुरू होना उस नाज़ुक संतुलन को दर्शाता है जिसे दोनों देशों ने बनाए रखने की कोशिश की।पाकिस्तान में क्या हुआ?अप्रैल 2022 में इमरान खान की सत्ता से विदाई के बाद शहबाज शरीफ की गठबंधन सरकार बनी। लेकिन सरकार सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसीम मुनीर ही नियंत्रित कर रहे हैं। सरकार कई मोचों पर असंतोष से जूझ रही है। बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा में विद्रोहियों के हमले 70% बढ़ गए हैं। भारत की प्रतिक्रिया विवेकपूर्ण और संयमित थी: घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखते हुए, फिर भी पाकिस्तान की आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल में हस्तक्षेप न करने का निर्णय लिया गया।इसे भी पढ़ें: Nepal Gen Z protest: काठमांडू की सड़क पर भागते रहे नेपाल के वित्त मंत्री, बरसते रहे लात-घूंसे, Video वायरलम्यांमार में 2021 से सत्ता में सेनाफरवरी 2021 में म्यांमार की सेना ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया। स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति यू विन म्यिंट को हिरासत में ले लिया और नवंबर 2020 के आम चुनाव में कथित चुनावी धोखाधड़ी का हवाला देते हुए एक साल के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी। देश भर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। जवाब में सैन्य शासन ने कर्फ्यू लगा दिया, सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया (जैसे, पाँच से ज़्यादा लोगों का समूह नहीं), और बल प्रयोग किया - जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों नागरिक मारे गए। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अब तक 6,231 नागरिक मारे जा चुके हैं।

Sep 9, 2025 - 19:53
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श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार और अब नेपाल, 4 सालों में 5 देशों में सियासी अस्थिरता, भारत के पड़ोसियों को कौन बना रहा निशाना?
2021 में म्यांमार, 2022 में पाकिस्तान और श्रीलंका, 2024 में बांग्लादेश और अब नेपाल। पिछले कुछ वर्षों में भारत के पड़ोसी देशों ने एक के बाद एक आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल देखी है। इन वर्षों में भारत ने अपने पड़ोसी पहले कूटनीतिक दृष्टिकोण को बनाए रखा है, जिसमें मानवीय सहायता से लेकर विकास सहयोग, सीमा कूटनीति और प्रत्येक पड़ोसी के संदर्भ के आधार पर सतर्क जुड़ाव तक की भूमिकाएँ निभाई हैं। नेपाल के मौजूदा हालात के बीच भारत ने भी यही किया है। नेपाल में सोमवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें सुरक्षाकर्मियों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों अन्य घायल हो गए। विरोध प्रदर्शन हिंसक हो जाने पर ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने युवाओं की जान जाने पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वह स्थिति पर कड़ी नज़र रख रहा है और भारतीय नागरिकों से सतर्क रहने और नेपाल की अनावश्यक यात्रा से बचने का आग्रह किया। 

इसे भी पढ़ें: Nepal Gen-Z Protest: आखिर किस वजह से नेपाल ने सोशल मीडिया एप्स को बैन किया, जानें पूरा बवाल

नेपाल में क्या हो रहा है? 

4 सितंबर को पाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने नए पंजीकरण और निगरानी संबंधी आदेशों का पालन न करने का हवाला देते हुए फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, रेडिट और एक्स सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया। टिकटॉक और वाइबर जैसे प्लेटफॉर्म आवश्यकताओं का पालन करते हुए चालू रहे। इस प्रतिबंध के बाद जेन जेड प्रदर्शनकारियों की तरफ से विरोध प्रदर्शन हुए। 8 सितंबर को पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी करने के बाद झड़पें जानलेवा हो गईं। कम से कम 17-19 लोग मारे गए और 100 से ज़्यादा घायल हुए, जिनमें आम नागरिक और सुरक्षाकर्मी दोनों शामिल थे। नौबल ये आ गई कि भड़़के हुए लोग वित्त मंत्री से लेकर पूर्व पीएम तक को सड़कों पर दौड़ा दौड़ाकर पीटने लगे। पार्टी दफ्तरों में आग लगा दी गई। फिर गुस्से को शांत करने के लिए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपना इस्तीफा देना पड़ा। 

श्रीलंक में राजपक्षे परिवार के खिलाफ विरोध

2022 के आर्थिक संकट के बाद राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षा देश छोड़कर भागे। 23 सितंबर 2024 में अनुरा कुमार दिसानायके राष्ट्रपति बने। अनुरा सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और 5 पूर्व मंत्रियों को भष्ट्राचार के मामलों में जेल की सजा सुनाई गई। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था अभी भी संकट में है। लोगों पर महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी का बोझ बना हुआ है।

इसे भी पढ़ें: ओली का इस्तीफा स्वीकार, कौन हैं रैपर से नेता बने बालेंद्र शाह, जिसे सत्ता सौंपने की मांग कर रहे नेपाल के Gen Z आंदोलनकारी


बांग्लादेश में छात्रों ने हसीना को सत्ता से बेदखल किया

अगस्त 2024 में बांग्लादेश में हसीना सरकार के तख्तापलट एक महीने में नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया। 90 दिनों में चुनाव होना था, लेकिन वे पिछले 13 माह से पीएम बने हुए हैं। कई आंदोलनकारी छात्रों को अंतरिम सरकार में शामिल किया गया था। 8 प्रमुख छात्र नेताओं में से आधे से ज्यादा साइड लाइन होने के बाद सरकार छोड़ चुके हैं। सेना ही सत्ता चला रही है। बांग्लादेश को लेकर भारत की ओर से, प्रतिक्रिया सतर्कतापूर्ण रही। सरकार ने यात्रा परामर्श के माध्यम से अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी, तनाव कम करने के लिए बांग्लादेशी सैन्य नेताओं के साथ कूटनीतिक बातचीत की, और सीमित हस्तक्षेप का रुख अपनाते हुए शेख हसीना को शरण दी। हालाँकि पेट्रापोल जैसे व्यापार मार्ग प्रभावित हुए, लेकिन सुरक्षा के तहत आंशिक रूप से व्यापार फिर से शुरू होना उस नाज़ुक संतुलन को दर्शाता है जिसे दोनों देशों ने बनाए रखने की कोशिश की।

पाकिस्तान में क्या हुआ?

अप्रैल 2022 में इमरान खान की सत्ता से विदाई के बाद शहबाज शरीफ की गठबंधन सरकार बनी। लेकिन सरकार सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसीम मुनीर ही नियंत्रित कर रहे हैं। सरकार कई मोचों पर असंतोष से जूझ रही है। बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा में विद्रोहियों के हमले 70% बढ़ गए हैं। भारत की प्रतिक्रिया विवेकपूर्ण और संयमित थी: घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखते हुए, फिर भी पाकिस्तान की आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल में हस्तक्षेप न करने का निर्णय लिया गया।

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म्यांमार में 2021 से सत्ता में सेना

फरवरी 2021 में म्यांमार की सेना ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया। स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति यू विन म्यिंट को हिरासत में ले लिया और नवंबर 2020 के आम चुनाव में कथित चुनावी धोखाधड़ी का हवाला देते हुए एक साल के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी। देश भर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। जवाब में सैन्य शासन ने कर्फ्यू लगा दिया, सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया (जैसे, पाँच से ज़्यादा लोगों का समूह नहीं), और बल प्रयोग किया - जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों नागरिक मारे गए। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अब तक 6,231 नागरिक मारे जा चुके हैं।