राम मंदिर पर जिन्हें गर्व नहीं, उनकी भारतीयता संदिग्ध : CM योगी

Chief Minister Yogi Adityanath: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर को देखकर गर्व महसूस नहीं करने वाले भारतवासी की भारतीयता संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ जी ने गुलामी के ...

Sep 10, 2025 - 21:40
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राम मंदिर पर जिन्हें गर्व नहीं, उनकी भारतीयता संदिग्ध : CM योगी


Chief Minister Yogi Adityanath: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर को देखकर गर्व महसूस नहीं करने वाले भारतवासी की भारतीयता संदिग्ध है।

 

मुख्यमंत्री ने गोरखनाथ मंदिर परिसर में महंत दिग्विजयनाथ की 56वीं और महंत अवैद्यनाथ की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज ऐसा कौन भारतीय होगा, जिसे अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर देखकर गर्व नहीं होता हो। कोई ऐसा होगा तो उसके भारतीय होने पर ही संदेह होगा।

 

गोरखनाथ मंदिर के महंतों का संकल्प : उन्होंने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ जी ने गुलामी के प्रतीकों का हटाने का संकल्प लिया था। अयोध्या में गुलामी की निशानी ढांचे को हटाकर भव्य श्रीराम मंदिर बनाना उनका और ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ जी का संकल्प और सपना था। आज दोनों आचार्यों का यह संकल्प गुलामी के निशान को हटाकर पूरा हो चुका है।

 

शैक्षिक क्रांति के पुरोधा : मुख्यमंत्री ने कहा कि जब सच्चा संत कोई संकल्प लेता है तो उसके परिणाम अवश्य आते हैं। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ ऐसे ही संकल्पों वाले संत थे। अयोध्या के श्रीराम मंदिर निर्माण के उनके संकल्प और संकल्प के प्रति किए गए संघर्ष का परिणाम आज पूरी दुनिया के सामने है। मुख्यमंत्री ने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप के शिल्पी थे और उन्होंने इसे सनातन परंपरा के वैभवशाली मंदिर के रूप में स्थापित किया। मुख्यमंत्री के मुताबिक, इसके साथ ही उनकी ख्याति पूर्वी उत्तर प्रदेश में शैक्षिक क्रांति के पुरोधा के रूप में भी है।

 

आदित्यनाथ ने कहा कि वर्ष 1932 में महंत दिग्विजयनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना के साथ ही गोरखपुर में विश्वविद्यालय स्थापित करने का संकल्प लिया था। देश की आजादी के बाद जब गोरखपुर में विश्वविद्यालय स्थापित करने की बात आगे बढ़ी तो बहुत से लोग पीछे हट गए। तब महंत दिग्विजयनाथ जी ने अपने दो डिग्री कॉलेज दान में देकर विश्वविद्यालय की स्थापना सुनिश्चित कराई। उन्होंने बालिका शिक्षा के केंद्र को भी स्थापित करने का संकल्प बालिका विद्यालय बनवाकर पूरा किया।

Edited by: Vrijendra Singh Jhala