महम में ग्रामीणों ने जलघर की खुद की सफाई:ट्रैक्टर लगाकर टैंक से निकाली गाद, बोले-एसडीओ-जेई फोन तक नहीं उठाते

हरियाणा के रोहतक जिले के महम के भैणी सुरजन गांव में जलघर की सफाई के लिए ग्रामीणों ने खुद पहल की है। गांव का जलघर 2014 में बना था। तब से इसकी कोई सफाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई बार अधिकारियों से सफाई की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जब से बना, तब से नहीं हुई सफाई सरपंच प्रतिनिधि अमित सिवाच के मुताबिक जनस्वास्थ्य विभाग के एसडीओ और जेई फोन तक नहीं उठाते। इसके बाद ग्रामीणों ने श्रमदान करने का फैसला किया। उन्होंने अपने ट्रैक्टर लगाकर टैंक से गाद निकाली। जलघर में लगे पांच फिल्टर के क्रैशर बदलने की जरूरत है, लेकिन प्रशासन ने अब तक इनकी व्यवस्था नहीं की है। प्रशासन की उदासीनता से रोष ग्रामीण पिछले कुछ दिनों से लगातार सफाई कर रहे हैं। ट्रैक्टरों में डीजल भी अपने पैसों से डलवा रहे हैं। प्रशासन की उदासीनता से ग्रामीणों में रोष है। वहीं सूचना मिलने पर आसपास के लोगों ने ग्रामीणों की खूब प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के इस कदम से जहां एक ओर अधिकारियों की आंखें खुलेंगी, वहीं सरकार को भी पता चलेगा कि लोगों को योजनाओं का कितना लाभ मिल रहा है।

May 13, 2025 - 22:30
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महम में ग्रामीणों ने जलघर की खुद की सफाई:ट्रैक्टर लगाकर टैंक से निकाली गाद, बोले-एसडीओ-जेई फोन तक नहीं उठाते
हरियाणा के रोहतक जिले के महम के भैणी सुरजन गांव में जलघर की सफाई के लिए ग्रामीणों ने खुद पहल की है। गांव का जलघर 2014 में बना था। तब से इसकी कोई सफाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई बार अधिकारियों से सफाई की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जब से बना, तब से नहीं हुई सफाई सरपंच प्रतिनिधि अमित सिवाच के मुताबिक जनस्वास्थ्य विभाग के एसडीओ और जेई फोन तक नहीं उठाते। इसके बाद ग्रामीणों ने श्रमदान करने का फैसला किया। उन्होंने अपने ट्रैक्टर लगाकर टैंक से गाद निकाली। जलघर में लगे पांच फिल्टर के क्रैशर बदलने की जरूरत है, लेकिन प्रशासन ने अब तक इनकी व्यवस्था नहीं की है। प्रशासन की उदासीनता से रोष ग्रामीण पिछले कुछ दिनों से लगातार सफाई कर रहे हैं। ट्रैक्टरों में डीजल भी अपने पैसों से डलवा रहे हैं। प्रशासन की उदासीनता से ग्रामीणों में रोष है। वहीं सूचना मिलने पर आसपास के लोगों ने ग्रामीणों की खूब प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के इस कदम से जहां एक ओर अधिकारियों की आंखें खुलेंगी, वहीं सरकार को भी पता चलेगा कि लोगों को योजनाओं का कितना लाभ मिल रहा है।