जब शनि जीवन में निगेटिव असर डालता है, तो यह जीवन के विभिन्न भौतिक पहलुओं पर हावी हो सकता है। जिससे जीवन में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, समृद्धि की कमी और यहां तक की कानूनी परेशानियां आ सकती हैं। इसके विपरीत जब शनि सकारात्मक असर डालता है, तो सीमेंट, लकड़ी, मशीनरी, भट्टियां और तेल जैसी धातुओं से जुड़े व्यवसायों को बढ़ावा मिलता है। इसलिए हर कोई शनि के पॉजिटिव होने की कामना करता है और इसके नकारात्मक प्रभावों से बचना चाहता है। जीवन में कुछ ऐसे संकेत शनि की महादशा को दिखाते हैं। इससे बचने के लिए आप कुछ आसान उपाय आजमा सकते हैं।
शनि की महादशा
शनि की महादशा करीब 19 सालों तक चलती है। जोकि उप-अवधि या अंतर दशाओं से शुरू होती है। जो व्यक्तियों को जीवन के पाठों के जरिए से मार्गदर्शन करती है। शनि की महादशा 19 साल की वह अवधि है, जिसके दौरान शनि ग्रह व्यक्ति के जीवन पर अहम प्रभाव डालता है। इस अवधि को कई अवधियों में विभाजित किया गया है। जिनमें से हर एक विशिष्ट अवधि तक चलती है।
व्यक्ति की जन्म कुंडली और उसमें शनि की स्थिति के आधार पर शनि की महादशा का प्रभाव अलग-अलग हो सकता है। शनि की महादशा का प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का हो सकता है। जिसका असर जीवन में पॉजिटिव प्रभावों के रूप में अनुशासन, काम के प्रति निष्ठा, कड़ी मेहनत और जिम्मेदारी में वृद्धि के साथ आध्यात्मिक विकास शामिल है। इस तरह से शनि की महादशा जीवन में निगेटिव प्रभाव हो सकता है।
शनि की महादशा के निगेटिव प्रभाव के रूप में वित्त, संपत्ति और धन जैसे भौतिक सुखों की हानि होना आदि शामिल हो सकता है। बताया जाता है कि जब शनि अशुभ हो जाता है, तो जीवन से आराम कम होने लगता है और आर्थिक नुकसान हो सकता है।
शनि की महादशा के उपाय
शनि की महादशा से बाहर आने के लिए आप कुछ आसान उपाय कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने जीवन में अनुशासन लाने की जरूरत होती है। ऐसे में आप शनि की महादशा से बाहर निकलने के लिए यह उपाय कर सकते हैं।
रुद्राभिषेक करें
अगर आपके जीवन में शनि की महादशा चल रही है, तो रुद्राभिषेक सबसे बेहतर उपाय माना जाता है। आप घर या फिर मंदिर में रुद्राभिषेक करवा सकते हैं। वहीं अगर आप शादीशुदा हैं, तो जोड़े में ही रुद्राभिषेक कराना चाहिए। इसके अलावा सोमवार और शनिवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए। जल में कच्चा दूध मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं और शुभ माना जाता है।
हनुमान चालीसा का पाठ
शनि की महादशा पर हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। अगर आप नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं या हर मंगलवार को हनुमान मंदिर जाकर हनुमान चालीसा पढ़ें। वहीं शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। इससे शनि महादशा से जल्द बाहर आने में सहायता मिलती है।
शनि मंदिर में सरसों का तेल चढ़ाएं
हर शनिवार को शनि मंदिर में सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए और शनि देव के सामने दीपक जलाना चाहिए।
करें ये उपाय
शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनिवार को शिवलिंग पर कच्चा दूध और तिल चढ़ाना चाहिए। इससे जीवन में सकारात्मक प्रभाव बढ़ता है। यह उपाय शनि की महादशा से बाहर निकलने में सहायता मिलती है।
शराब और मांसाहारी भोजन से परहेज
शनि की महादशा के समय सबसे ज्यादा मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन करने से मना किया जाता है। अगर आप इन चीजों का सेवन करती हैं, तो आपके जीवन में शनि के निगेटिव प्रभाव बढ़ सकते हैं और समस्याएं बढ़ सकती हैं। इस दौरान खाने में आपको चावल और काली उड़द दाल से बनी खिचड़ी का सेवन करना शुभ होता है, इससे शनि की महादशा से बाहर आने में सहायता मिल सकती है।