प्रदर्शन को राम लीला जैसा ड्रामा बताना बना विवाद:पार्षद बोले कार्यवाही होगी तो मनोनीत पार्षदों पर भी होगी, वह वेल में कैसे आए
चंडीगढ़ नगर निगम की मेयर हरप्रीत कौर बबला की तरफ से प्रशासक गुलाब चंद कटारिया को लिखे पत्र के बाद विरोधी पार्षद सामने आए हैं। उनका कहना है कि मेयर द्वारा पत्र लिखकर लगाए गए आरोपों में कुछ भी सच्चाई नहीं है। पार्षद सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी, डिप्टी मेयर तरुणा मेहता, आप पार्षद प्रेम लता, कांग्रेस पार्षद सचिन गालब आदि का कहना है कि मेयर की तरफ से पत्र लिखकर कार्रवाई करने की बात कही जा रही है, अगर कार्रवाई होगी तो उन मनोनीत पार्षदों पर भी होगी जो वेल में आए थे और हाउस के मीनेटस को उठाया था। जो वह नहीं कर सकते हैं। मेयर को याद होना चाहिए कि पूर्व मेयर कुलदीप कुमार के मेयर होते के समय एक साल पहले उन्हें आपके ही पार्षदों ने गलत शब्द बोले थे और यहां तक कह दिया था कि बाहर आओ हम आपको देख लेंगे । इसकी शिकायत भी प्रशासक को एक साल पहले की गई थी उसका कुछ नहीं हुआ है। 30 सितंबर की बैठक के बारे में पार्षदों ने कहा कि आरोप लगाया जा रहा है कि नगर निगम के मिनेट्स फाड़े गए हैं। हम तो इसे मिनेट्स मानते ही नहीं हैं। प्रदर्शन को राम लीला का ड्रामा बनाने के भी गलत बताया सभी पार्षदों ने इस बात पर भी एतराज जताया है कि जिस समय वह विरोध जता रहे थे तो मेयर की तरफ से कहा गया है कि यह राम लीला की तरह ड्रामा किया जा रहा है। इस पर मेयर को माफी मांगनी चाहिए। वह अगले चुनाव में इसे मुद्दा बनाएंगे। क्यों बढ़ा विवाद, यह है तल्खी की असल वजह दरअसल, नगर निगम का मनीमाजरा हाउसिंग प्रोजेक्ट इस पूरे घटनाक्रम की असल वजह बना है। नगर निगम इसे जल्द से जल्द मंजूर करवाना चाहती है और विरोधी पार्षद इसके लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि प्रोजेक्ट को गलत ढंग से बनाया जा रहा है और इससे कुछेक विशेष लोगों को फायदा पहुंचाने का काम हो रहा है। इसी को लेकर ही 30 सितंबर को बुलाई गई नगर निगम की बैठक हंगामेदार रही थी और पार्षदों में धक्का मुक्की के साथ साथ खूब हंगामा हुआ था। प्रशासक को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग कर चुकी हैं मेयर मेयर हरप्रीत कौर बबला की तरफ से सीनियर डिप्टी मेयर समेत अन्य लाेगों के खिलाफ प्रशासक गुलाब चंद कटारिया को इसकी शिकायत दी गई है। उनकी तरफ से कहा गया है कि 30 सितंबर को हाउस की बैठक में बेहद गलत तरीके का बरताव पार्षदों की तरफ से किया गया है। जिसे कभी भी बर्दाश्त किया जा सकता है। चार पार्षदों के नाम लिखकर यह शिकायत की गई है।
चंडीगढ़ नगर निगम की मेयर हरप्रीत कौर बबला की तरफ से प्रशासक गुलाब चंद कटारिया को लिखे पत्र के बाद विरोधी पार्षद सामने आए हैं। उनका कहना है कि मेयर द्वारा पत्र लिखकर लगाए गए आरोपों में कुछ भी सच्चाई नहीं है। पार्षद सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी, डिप्टी मेयर तरुणा मेहता, आप पार्षद प्रेम लता, कांग्रेस पार्षद सचिन गालब आदि का कहना है कि मेयर की तरफ से पत्र लिखकर कार्रवाई करने की बात कही जा रही है, अगर कार्रवाई होगी तो उन मनोनीत पार्षदों पर भी होगी जो वेल में आए थे और हाउस के मीनेटस को उठाया था। जो वह नहीं कर सकते हैं। मेयर को याद होना चाहिए कि पूर्व मेयर कुलदीप कुमार के मेयर होते के समय एक साल पहले उन्हें आपके ही पार्षदों ने गलत शब्द बोले थे और यहां तक कह दिया था कि बाहर आओ हम आपको देख लेंगे । इसकी शिकायत भी प्रशासक को एक साल पहले की गई थी उसका कुछ नहीं हुआ है। 30 सितंबर की बैठक के बारे में पार्षदों ने कहा कि आरोप लगाया जा रहा है कि नगर निगम के मिनेट्स फाड़े गए हैं। हम तो इसे मिनेट्स मानते ही नहीं हैं। प्रदर्शन को राम लीला का ड्रामा बनाने के भी गलत बताया सभी पार्षदों ने इस बात पर भी एतराज जताया है कि जिस समय वह विरोध जता रहे थे तो मेयर की तरफ से कहा गया है कि यह राम लीला की तरह ड्रामा किया जा रहा है। इस पर मेयर को माफी मांगनी चाहिए। वह अगले चुनाव में इसे मुद्दा बनाएंगे। क्यों बढ़ा विवाद, यह है तल्खी की असल वजह दरअसल, नगर निगम का मनीमाजरा हाउसिंग प्रोजेक्ट इस पूरे घटनाक्रम की असल वजह बना है। नगर निगम इसे जल्द से जल्द मंजूर करवाना चाहती है और विरोधी पार्षद इसके लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि प्रोजेक्ट को गलत ढंग से बनाया जा रहा है और इससे कुछेक विशेष लोगों को फायदा पहुंचाने का काम हो रहा है। इसी को लेकर ही 30 सितंबर को बुलाई गई नगर निगम की बैठक हंगामेदार रही थी और पार्षदों में धक्का मुक्की के साथ साथ खूब हंगामा हुआ था। प्रशासक को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग कर चुकी हैं मेयर मेयर हरप्रीत कौर बबला की तरफ से सीनियर डिप्टी मेयर समेत अन्य लाेगों के खिलाफ प्रशासक गुलाब चंद कटारिया को इसकी शिकायत दी गई है। उनकी तरफ से कहा गया है कि 30 सितंबर को हाउस की बैठक में बेहद गलत तरीके का बरताव पार्षदों की तरफ से किया गया है। जिसे कभी भी बर्दाश्त किया जा सकता है। चार पार्षदों के नाम लिखकर यह शिकायत की गई है।