संचार साथी ऐप से न तो snooping संभव है और न ही कभी होगी, संसद में बोले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया
संचार साथी ऐप को मचे सियासी घमासान के बीच आज लोकसभा में केन्द्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि संचार साथी किसी भी प्रकार की snooping( जासूसी) का माध्यम नहीं है। यह निगरानी का नहीं, बल्कि नागरिक सशक्तिकरण ...
संचार साथी ऐप को मचे सियासी घमासान के बीच आज लोकसभा में केन्द्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि संचार साथी किसी भी प्रकार की snooping( जासूसी) का माध्यम नहीं है। यह निगरानी का नहीं, बल्कि नागरिक सशक्तिकरण का टूल है। बिना रजिस्ट्रेशन यह ऐप सक्रिय नहीं होता और हर नागरिक को इसका उपयोग न करने या कभी भी डिलीट करने का पूर्ण अधिकार है।
विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे भ्रमों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि संचार साथी न केवल भारत की डिजिटल सुरक्षा का आधार है, बल्कि यह जनभागीदारी से संचालित एक ऐसा सुरक्षा प्लेटफ़ॉर्म है जो हर नागरिक को स्वयं अपनी मोबाइल पहचान सुरक्षित रखने का अधिकार देता है।
केन्द्रीय मंत्री ने संसद के पटल पर स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में अंतिम अधिकार नागरिक का है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जनता के सुझावों और फीडबैक पर विभाग इसके नियमों में संशोधित करने के लिए तत्पर है क्योंकि इस पहल का लक्ष्य केवल भारत के प्रत्येक मोबाइल उपयोगकर्ता की सुरक्षा करना है। इसके लिए संचार साथी को जन-जन तक उपलब्ध किया जा रहा है और फीडबैक अनुसार ऐप और इसके नियमों में बदलाव किए जाने को विभाग तैयार है।
सिंधिया ने बताया कि संचार साथी पोर्टल और ऐप को भारत सरकार ने तकनीक दी है, लेकिन इसकी सफलता का असली श्रेय जनता को है। उन्होंने कहा कि यह देश का पहला ऐसा मंच है जिसने नागरिकों को सीधे फर्जी मोबाइल कनेक्शन, चोरी हुए फोन, फ्रॉड आईएमईआई और साइबर धोखाधड़ी के विरुद्ध कार्रवाई में भागीदार बनाया है।उन्होंने सदन को बताया कि देशभर में संचार साथी पोर्टल को 20 करोड़ से अधिक विजिट्स मिले हैं। संचार साथी ऐप को 1.5 करोड़ से अधिक डाउनलोड किया गया है।
नागरिकों द्वारा की गई रिपोर्टिंग और जनभागीदारी से इस तकनीक ने अभूतपूर्व परिणाम दिए हैंः
- 1.50 करोड़ से अधिक फ्रॉड मोबाइल कनेक्शन जनता की रिपोर्टिंग के आधार पर डिस्कनेक्ट किए गए।
- 26 लाख चोरी/गुम मोबाइल फोन ट्रेस किए गए।
- 7 लाख से अधिक फोन नागरिकों को वापस लौटाए गए।
- 41 लाख मोबाइल कनेक्शन अतिरिक्त नागरिक-इनपुट के आधार पर बंद किए गए।
- 6 लाख से अधिक फ्रॉड-लिंक्ड IMEIs ब्लॉक कर दिए गए।
उन्होंने कहा यह प्लेटफ़ॉर्म जनता का है, जनता के लिए है और जनता की सुरक्षा का है। सरकार केवल तकनीक देती है, इसकी असली ताकत भारत के मोबाइल उपयोगकर्ता हैं।
सिंधिया ने जोर देकर कहा कि संचार साथी ऐप स्वतः सक्रिय नहीं होता। ऐप तभी काम करता है जब तक यूजर स्वयं इसे खोलें, स्वैच्छिक रूप से रजिस्ट्रेशन करें और इसे उपयोग करना चाहें। उन्होंने कहा, “जैसे आपके फोन में सैकड़ों ऐप होते हैं, उसी प्रकार संचार साथी भी एक विकल्प है। नागरिक इसे उपयोग करना चाहें तो करें, न करना चाहें तो कभी भी अन-इंस्टॉल कर सकते हैं। लोकतंत्र में अंतिम अधिकार नागरिक का है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जनता के सुझावों और फीडबैक पर विभाग इसके नियमों में संशोधित करने के लिए तत्पर है क्योंकि इस पहल का लक्ष्य केवल भारत के प्रत्येक मोबाइल उपयोगकर्ता की सुरक्षा करना है।
डिजिटल सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी, दुरुपयोग रोकना अनिवार्य-सिंधिया ने कहा कि भारत में एक बिलियन से अधिक मोबाइल उपभोक्ता हैं। जहाँ दूरसंचार सुविधाओं से देश जुड़ता है, वहीं कई तत्व इसका नकारात्मक उपयोग भी करते हैं फर्जी सिम, फर्जी आईएमईआई, धोखाधड़ी नेटवर्क, साइबर अपराध, चोरी हुए फोन का गैरकानूनी व्यापार बड़ी चुनौती हैं। सरकार का कर्तव्य है कि जनता को सुरक्षित रखे। संचार साथी इसी ज़िम्मेदारी की पूर्ति करता है। यह नागरिकों को फ्रॉड से बचाता है, चोरी हुए फोन खोजता है, और डिजिटल अपराध को रोकने का सशक्त माध्यम है।



