हालिए में दुनिया भर के फूड ब्लॉगर्स ने गूगल की AI-आधारित समरीज को लेकर काफी नाराजगी जताई है। उन्होंने बताया है कि ये समरीज न सिर्फ उनकी असली रेसिपियों को गलत तरीके से पेश कर रही हैं, इसके साथ ही ऑनलाइन ट्रैफिक और कमाई को भी भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई ब्लॉगर्स जिन्होंने कई साल तक अपनी डिशेज को टेस्ट करके बेहतरीन बनाया था, गूगल की तेजी से तैयार की गई AI समरीज उनके असली कंटेंट पर हावी हो रही हैं।
एआई गलत रेसिपी बता रहे हैं
दरअसल, ईजी पीजी फूडी ब्लॉग की एब गार्गानो ने बताया है कि उनके टर्की और क्रिसमस केक की रेसिपियां इस सीजन उम्मीद के मुताबिक सर्च रिजल्ट में नजर आ रही हैं, क्योंकि AI समरीज ने इसे ओवरशैडो कर रही हैं। गार्गानो ने यह भी कहा कि उनके क्रिसमस केक की AI-जनरेटेड वर्जन में इतना बड़ा गलती थी कि एक छोटे केक को करीब 4 घंटे तक बेक करने की सलाह दी गई है।
AI समरीज से असली कंटेंट पर ट्रैफिक हुआ कम
उन्होंने बताया कि यह गलतियां न केवल व्यंजन के स्वाद को बिगाड़ सकती हैं, बल्कि पाठकों को भी गलत दिशा में ले जा सकती हैं। उनका कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में उनकी वेबसाइट का ट्रैफिक पहले ही 40% कम हो चुका है। कई अन्य फूड ब्लॉगर्स ने भी ऐसी ही समस्याओं का जिक्र किया है। उनके अनुसार, AI अलग-अलग रेसिपियों के हिस्सों को मिलाकर ऐसा उलझा हुआ और कई बार गलत परिणाम देती है, जो न केवल भ्रम पैदा करता है बल्कि खाना बनाते समय जोखिम भी बढ़ा सकता है।
यह समस्या सिर्फ गूगल तक सीमित नहीं है। Pinterest और Facebook जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी AI-जनरेटेड फूड फोटो से भरे पड़े हैं। वैसे ये फोटोज दिखने में तो आकर्षक लगते हैं, लेकिन असली रेसिपी से मेल नहीं खाते हैं। जिस कारण से पाठकों को सही, टेस्टी और भरोसेमंद रेसिपियां ढूंढने में मुश्किल हो रही है। हालांकि, गलत कंटेंट तेजी से फैल जाता है। इतना ही नहीं, फूड ब्लॉगर्स का यह भी कहना है कि इससे उनके काम की विश्वसनीयता और पहुंच दोनों ही प्रभावित होती है।
अप्रमाणित AI कंटेंट बढ़ने का खतरा
फूड ब्लॉगर्स ने बताया कि AI-जनरेटेड कंटेंट के बढ़ते हुए प्रभाव के कारण इससे कमाई पर भी असर देखने को मिल रहा है। एक ब्लॉगर ने बताया कि पिछले दो साल में उनके व्यूज में 80% तक की गिरावट आई है,जिसके बाद से उन्हें अपने बिजनेस के कुछ हिस्से को बंद करना पड़ा। इतना ही नहीं, अब ब्लॉगर्स को चिंता सता रही है कि अगर AI का यह ट्रेंड बढ़ता रहा, तो असली, इंसानों द्वारा टेस्ट की गई रेसिपियों तक लोगों की पहुंच और कम हो जाएगी और गलत, अप्रमाणित AI कंटेंट की भरमार बढ़ जाएगी।