Digital Fraud में इस्तेमान होने वाली सुरक्षा खामियों को दूर करने के लिए हुई SIM Binding की व्यवस्था

सरकार ने सोमवार को कहा कि मैसेजिंग ऐप के इस्तेमाल के लिए अनिवार्य, निरंतर सिम-‘डिवाइस बाइंडिंग’ पर उसका ताजा निर्देश सुरक्षा खामी को दूर करने के लिए जरूरी है। इस गड़बड़ी का फायदा अक्सर सीमापार साइबर अपराधी बड़े पैमाने पर डिजिटल धोखाधड़ी करने के लिए उठा रहे हैं। बीते वर्ष 2024 में साइबर धोखाधड़ी से होने वाले नुकसान 22,800 करोड़ रुपये से ज्यादा होने का अनुमान लगाते हुए सरकार ने यह बात कही। ‘सिम बाइंडिंग’ एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक मैसेजिंग ऐप यह सत्यापित करता है कि आपके डिवाइस में पंजीकृत सिम कार्ड सक्रिय है। अगर सिम हटा दिया जाता है, बदल दिया जाता है या निष्क्रिय कर दिया जाता है, तो ऐप काम करना बंद कर देगा। संचार मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह निर्देश उन मामलों पर लागू नहीं होगा जहां सिम हैंडसेट में मौजूद है और उपयोगकर्ता रोमिंग पर है। बयान में कहा गया, ‘‘दूरसंचार विभाग के सिम-बाइंडिंग निर्देश एक ठोस सुरक्षा खामी को दूर करने के लिए जरूरी है। इसका फायदा प्राय: साइबर अपराधी बड़े पैमाने पर डिजिटल धोखाधड़ी करने के लिए उठा रहे हैं।’’ संबंधित सिम हटाए जाने, निष्क्रिय किए जाने या विदेश ले जाए जाने के बाद भी ‘इंस्टेंट मैसेजिंग’ और कॉलिंग ऐप पर खातेकाम करते रहते हैं। इससे गुमनाम तरीके से घोटाले, सुदूर क्षेत्र से ‘डिजिटल अरेस्ट’ धोखाधड़ी और भारतीय नंबरों का इस्तेमाल करके सरकारी पहचान छिपाने वाले कॉल संभव हो जाते हैं। बयान के अनुसार, सिर्फ 2024 में साइबर धोखाधड़ी से नुकसान 22,800 करोड़ रुपये से अधिक रहा। इसके साथ, ‘‘दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियमों के तहत ये समान, लागू करने योग्य निर्देश दूरसंचार पहचानकर्ताओं के दुरुपयोग को रोकने, पता लगाने की क्षमता सुनिश्चित करने और भारत के डिजिटल परिवेश में नागरिकों के विश्वास की रक्षा करने के लिए एक उचित उपाय हैं।’’ बैंकिंग और भुगतान ऐप में ‘डिवाइस बाइंडिंग’ और स्वचालित रूप से सत्र ‘लॉगआउट’ का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है ताकि अन्य गैर-भरोसेमंद उपकरणों से खातों में सेंध लगाने या किसी प्रकार के दुरुपयोग को रोका जा सके। इसी उद्देश्य से इसे ऐप-आधारित संचार मंच तक बढ़ाया गया है जो अब ‘साइबर धोखाधड़ी के केंद्र’ हैं। पिछले सप्ताह, केंद्र ने कुछ निर्देश जारी कर यह सुनिश्चित करने को कहा कि व्हाट्सएप, सिग्नल, टेलीग्राम जैसे ऐप-आधारित संचार सेवाएं उपयोगकर्ता के सक्रिय सिम कार्ड से लगातार जुड़ी रहें।

Dec 3, 2025 - 16:32
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Digital Fraud में इस्तेमान होने वाली सुरक्षा खामियों को दूर करने के लिए हुई SIM Binding की व्यवस्था

सरकार ने सोमवार को कहा कि मैसेजिंग ऐप के इस्तेमाल के लिए अनिवार्य, निरंतर सिम-‘डिवाइस बाइंडिंग’ पर उसका ताजा निर्देश सुरक्षा खामी को दूर करने के लिए जरूरी है। इस गड़बड़ी का फायदा अक्सर सीमापार साइबर अपराधी बड़े पैमाने पर डिजिटल धोखाधड़ी करने के लिए उठा रहे हैं। बीते वर्ष 2024 में साइबर धोखाधड़ी से होने वाले नुकसान 22,800 करोड़ रुपये से ज्यादा होने का अनुमान लगाते हुए सरकार ने यह बात कही।

‘सिम बाइंडिंग’ एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक मैसेजिंग ऐप यह सत्यापित करता है कि आपके डिवाइस में पंजीकृत सिम कार्ड सक्रिय है। अगर सिम हटा दिया जाता है, बदल दिया जाता है या निष्क्रिय कर दिया जाता है, तो ऐप काम करना बंद कर देगा। संचार मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह निर्देश उन मामलों पर लागू नहीं होगा जहां सिम हैंडसेट में मौजूद है और उपयोगकर्ता रोमिंग पर है। बयान में कहा गया, ‘‘दूरसंचार विभाग के सिम-बाइंडिंग निर्देश एक ठोस सुरक्षा खामी को दूर करने के लिए जरूरी है। इसका फायदा प्राय: साइबर अपराधी बड़े पैमाने पर डिजिटल धोखाधड़ी करने के लिए उठा रहे हैं।’’ संबंधित सिम हटाए जाने, निष्क्रिय किए जाने या विदेश ले जाए जाने के बाद भी ‘इंस्टेंट मैसेजिंग’ और कॉलिंग ऐप पर खातेकाम करते रहते हैं। इससे गुमनाम तरीके से घोटाले, सुदूर क्षेत्र से ‘डिजिटल अरेस्ट’ धोखाधड़ी और भारतीय नंबरों का इस्तेमाल करके सरकारी पहचान छिपाने वाले कॉल संभव हो जाते हैं। बयान के अनुसार, सिर्फ 2024 में साइबर धोखाधड़ी से नुकसान 22,800 करोड़ रुपये से अधिक रहा।

इसके साथ, ‘‘दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियमों के तहत ये समान, लागू करने योग्य निर्देश दूरसंचार पहचानकर्ताओं के दुरुपयोग को रोकने, पता लगाने की क्षमता सुनिश्चित करने और भारत के डिजिटल परिवेश में नागरिकों के विश्वास की रक्षा करने के लिए एक उचित उपाय हैं।’’ बैंकिंग और भुगतान ऐप में ‘डिवाइस बाइंडिंग’ और स्वचालित रूप से सत्र ‘लॉगआउट’ का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है ताकि अन्य गैर-भरोसेमंद उपकरणों से खातों में सेंध लगाने या किसी प्रकार के दुरुपयोग को रोका जा सके।

इसी उद्देश्य से इसे ऐप-आधारित संचार मंच तक बढ़ाया गया है जो अब ‘साइबर धोखाधड़ी के केंद्र’ हैं। पिछले सप्ताह, केंद्र ने कुछ निर्देश जारी कर यह सुनिश्चित करने को कहा कि व्हाट्सएप, सिग्नल, टेलीग्राम जैसे ऐप-आधारित संचार सेवाएं उपयोगकर्ता के सक्रिय सिम कार्ड से लगातार जुड़ी रहें।