उद्योगपति अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली व्यावसायिक संस्थाओं से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहली गिरफ्तारी की है। बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड (बीटीपीएल) के प्रबंध निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया। यह गिरफ्तारी ईडी द्वारा भुवनेश्वर और कोलकाता स्थित बीटीपीएल के परिसरों की गहन तलाशी के एक दिन बाद हुई है। यह मामला दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा बीटीपीएल, उसके निदेशकों और अन्य के खिलाफ सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) को कथित तौर पर फर्जी बैंक गारंटी जारी करने के आरोप में दर्ज की गई प्राथमिकी से जुड़ा है।
ईडी की जाँच के अनुसार, बीटीपीएल ने धोखाधड़ी से 68.2 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी तैयार की, जिसके लिए भारतीय स्टेट बैंक के जाली समर्थन और फर्जी एसबीआई ईमेल आईडी का इस्तेमाल करके फर्जी पुष्टिकरण ईमेल तैयार किए गए। इस फर्जी गारंटी का इस्तेमाल एसईसीआई द्वारा जारी एक टेंडर को समर्थन देने के लिए किया गया। महत्वपूर्ण बात यह है कि ईडी ने खुलासा किया है कि बीटीपीएल को अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर लिमिटेड से फर्जी बैंक गारंटी के लिए कथित तौर पर 5.4 करोड़ रुपये मिले थे। अधिकारियों का कहना है कि यह वित्तीय सुराग बीटीपीएल के धोखाधड़ी वाले कार्यों को अंबानी के कॉर्पोरेट नेटवर्क से जोड़ने वाला एक प्रमुख तत्व है।
जांच में यह भी पता चला है कि 2019 में गठित एक अपेक्षाकृत गुमनाम कंपनी बीटीपीएल ने कई अघोषित बैंक खाते खोले और ऐसे वित्तीय लेनदेन किए जो उसके कथित कारोबार से कहीं अधिक थे। अधिकारियों ने कम से कम सात छिपे हुए बैंक खातों में करोड़ों रुपये की आपराधिक आय का पता लगाया है। एजेंसी का दावा है कि नियामक उल्लंघन बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। कंपनी के पंजीकृत कार्यालय से लेखा-बही और शेयरधारक रजिस्टर सहित वैधानिक रिकॉर्ड गायब थे। ईडी को संदेह है कि असली स्वामित्व छिपाने और धन शोधन को संभव बनाने के लिए नकली निदेशकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।