असल वाले बनराकस तो अपने ट्रंप साहब हैं, जिनके डिमांड में बदलाव कभी खत्म ही नहीं होते

अगर आपने पंचायत वेब सीरिज देखी होगी तो आपको भूषण का किरदार तो जरूर याद होगा। जिसे लोग उसकी हरकतों की वजह से बनराकस बुलाते हैं। पंचालत के हालिया सीजन में विधायक जी और प्रधान जी की लड़ाई के बाद जब मध्यस्थता की बात आती है तो उसमें बनराकस कहता है कि डिमांड में थोड़ा सा बदलाव है। जैसे ही उस बात पर बात बनती है, बनराकत फिर आता है और कहता है सचिव जी, डिमांड में थोड़ा सा और बदलाव है। डिमांड में ये छोटे छोटे बदलाव इतने बड़े हो जाते हैं कि बाद बिगड़ जाती है। फिर आखिरकार दोनों के रास्ते जुदा  हो जाते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की हरकतें भी उस बनराकस जैसी ही हैं। वो हर बार किसी न किसी देश के साथ हर समझौता करना चाहते हैं। समजौता जब आखिरी चरण में आता है तो उनकी डिमांग में बदलाव हो जाता है। कभी थोड़ा और कभी ज्यादा नतीजतन होता ये है कि चाहे वो कोलंबिया जैसा छोटा देश हो। कनाडा जैसा बड़ा देश या फिर यूक्रेन जैसा पुराना दोस्त, हर कोई ट्रंप को सुनाकर चला जाता है। वो खिसियानी बिल्ली की तरह खंभा नोचने के अलावा कुछ भी नहीं कर पाते। इसे भी पढ़ें: सबसे बड़ा खिलाड़ी तो अपना भारत निकला, 13 साल में अमेरिका से आगे निकल जाएगी Indian Economy, ट्रंप के टैरिफ को मुंह चिढ़ाती ये रिपोर्ट आपने पढ़ी?डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ ठोक ही दिया, इस बात के साथ कि ये तो बस शुरुआत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह रहे हैं कि भारत नहीं झुकेगा। पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि जितना डफली बजाना है अमेरिका बजाते रहे। भारत पर कोई असर नहीं होने वाला। इसके साथ ही ट्रंप के टैरिफ को काउंटर करने के लिए भारत ने नए बाजार तलाशने शुरू कर दिए हैं तो ट्रंप अनाप-शनाप बयान देने पर उतारू हो गए हैं।  ट्रंप ने टैरिफ लगाकर भारत को खूब झुकाने की कोशिश की। लेकिन भारत झुका नहीं और खुलकर ये कह दिया कि वो वही करेगा जो राष्ट्रहित में होगा। किसी के दबाव में झुकेंगे नहीं। इसे भी पढ़ें: 24 घंटे में कम हो सकता है 25% टैरिफ, ट्रंप के करीबी ने भारत के सामने रख दी कौन सी शर्तवैसे तो ट्रंप के लिए यू-टर्न लेना कोई नई बात नहीं है। अमेरिका में गाड़ियां चलाते हुए भी लोग इतने यू-टर्न नहीं लेते होंगे। जितने की ट्रंप अपने बयानों से ले लेते हैं। एलन मस्क को सबसे अच्छा दोस्त बताने वाले ट्रंप कुछ ही महीने में उनसे ऐसी दुश्मनी कर लेते हैं कि उन्हें अमेरिका से वापस साउथ अफ्रीका भेजने तक की बात तक कहते नजर आते हैं। अपने 2016 के अभियान के दौरान ट्रम्प ने पहले दिन से ही चीन को आड़े हाथों लेने की कसम खाई थी, उन्होंने बीजिंग को मुद्रा हेरफेर करने वाला करार दिया था। पदभार ग्रहण करने के महीनों बाद, ट्रम्प ने फ्लोरिडा में अपने मार-ए-लागो निवास पर अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग की मेजबानी की और कहा कि चीनी मुद्रा हेरफेर करने वाले नहीं हैं। अपने पहले कार्यकाल के अंत में, ट्रम्प ने सोशल मीडिया नेटवर्क टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने का असफल प्रयास किया, जिसमें लोकप्रिय मंच पर बीजिंग के लाभ के लिए अमेरिकी उपयोगकर्ता डेटा को चुराने का आरोप लगाया गया। लेकिन 2024 के चुनाव प्रचार अभियान के दौरान, जेन Z के वोटों को लुभाने के लिए ट्रम्प ने कहा कि मुझे TikTok पसंद है और घोषणा की कि मैं TikTok को बचाने जा रहा हूँ।इसे भी पढ़ें: Modi के चीन जाने से पहले ही ट्रंप ने ले लिया एक और बड़ा फैसला, निकाले जाएंगे लाखों भारतीय?आप सभी ने अपने बचपन में गली-मोहल्ले में क्रिकेट तो जरूर खेला होगा। उसमें जिस बच्चे के पास बैट होता था, उसकी हमेशा शर्ते रहा करती थी कि पहले मैं बैटिंग करूंगा। आउट हो जाने पर भी तरह तरह के बहाने बनाने लगता है। नहीं मानने पर बल्ला उठा कर चल पड़ता है। ट्रंप भी ऐसे ही हरकत कर रहे हैं। ट्रंप चाहते हैं कि वो जो कहे दुनिया उनके आगे अपना सिर झुकाए। लेकिन उनके आगे सिर झुकाने के लिए अब कोई भी तैयार नहीं है। 8 फरवरी 2025 को वोलोदिमिर जेलेन्स्की, डोनाल्ड ट्रम्प और जेडी वेंस के बीच जो कुछ भी हुआ उसे देख कर ये बिल्कुल नहीं लगा कि व्हाइट हाउस में डिप्लोमेसी को होते देख रहे हैं। ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच तीखी बहस देखने को मिली थी। ऐसा पहली बार हुआ था जब व्हाइट हाउस में किसी नेता ने खुद ही उल्टे ट्रंप को बता दिया कि यूक्रेन झुकेगा नहीं। दुनिया के सबसे शक्तिशाली मुल्क अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के ऑफिस में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामाफोसा पहुंचे थे। लेकिन उन्हें बेइज्जत करने के लिए ट्रंप ने मानो पूरा मूड बना रखा हो। पूरी तैयारी की गई थी। प्रेस ब्रीफिंग के दौरान टीवी लगाया गया था। लेकिन इस बार मामला थोड़ा उल्टा पड़ गया। ट्रंप व्हाइट हाउस में बैठकर जेनोसाइड का राग अलाप रहे थे और रामाफोसा ने पलटकर बोल दिया कि सॉरी, मेरे पास आपको गिफ्ट करने के लिए प्लेन नहीं है। वो हाल ही में कतर की तरफ से ट्रंप को गिफ्ट में दिए 400 मिलियन डॉलर के प्लेन पर तंज कस रहे थे। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला वाली बात तो आपको पता ही होगी। ट्रंप ने कहा था कि ब्राजील के राष्ट्पति लूला जब चाहे उन्हें फोन कर सकते हैं। इस पर ट्रंप की सरेआम बेइज्जती करते हुए ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा ने कहा था कि आपकी बजाय भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के शी जिनपिंग को कॉल करना पसंद करूंगा। कनाडा तो ट्रंप को समझा ही चुका है। वहीं छोटे से देश मैक्सिको ने अवैध प्रवासियों को बेड़ियों में जकड़कर मिलिट्री प्लेन में भेजने के फैसले पर ऐसा प्रतिरोध दिखाया था जिसके बारे में अमेरिका ने तो सपने में भी नहीं सोचा था। कुल मिलाकर कहे तो ट्रंप की राजनीति एक व्हाट्सएप फॉरवर्ड जैसी है जिसे पढ़कर लगता है कि कुछ तो गड़बड़ है, लेकिन फिर भी लोग उसे आगे भेज देते हैं। इसी व्हाट्सएप फॉरवर्ड नुमा राजनीति पर भारत की ग्रैंड ओल्ड पार्टी अपना नैरेटिव बुनने में भी लग जाती है। वो पूरा ब्यौरा रखते हैं कि ट्रंप कितनी बार सीजफायर बोलते हैं।

Aug 28, 2025 - 21:26
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असल वाले बनराकस तो अपने ट्रंप साहब हैं, जिनके डिमांड में बदलाव कभी खत्म ही नहीं होते

अगर आपने पंचायत वेब सीरिज देखी होगी तो आपको भूषण का किरदार तो जरूर याद होगा। जिसे लोग उसकी हरकतों की वजह से बनराकस बुलाते हैं। पंचालत के हालिया सीजन में विधायक जी और प्रधान जी की लड़ाई के बाद जब मध्यस्थता की बात आती है तो उसमें बनराकस कहता है कि डिमांड में थोड़ा सा बदलाव है। जैसे ही उस बात पर बात बनती है, बनराकत फिर आता है और कहता है सचिव जी, डिमांड में थोड़ा सा और बदलाव है। डिमांड में ये छोटे छोटे बदलाव इतने बड़े हो जाते हैं कि बाद बिगड़ जाती है। फिर आखिरकार दोनों के रास्ते जुदा  हो जाते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की हरकतें भी उस बनराकस जैसी ही हैं। वो हर बार किसी न किसी देश के साथ हर समझौता करना चाहते हैं। समजौता जब आखिरी चरण में आता है तो उनकी डिमांग में बदलाव हो जाता है। कभी थोड़ा और कभी ज्यादा नतीजतन होता ये है कि चाहे वो कोलंबिया जैसा छोटा देश हो। कनाडा जैसा बड़ा देश या फिर यूक्रेन जैसा पुराना दोस्त, हर कोई ट्रंप को सुनाकर चला जाता है। वो खिसियानी बिल्ली की तरह खंभा नोचने के अलावा कुछ भी नहीं कर पाते। 

इसे भी पढ़ें: सबसे बड़ा खिलाड़ी तो अपना भारत निकला, 13 साल में अमेरिका से आगे निकल जाएगी Indian Economy, ट्रंप के टैरिफ को मुंह चिढ़ाती ये रिपोर्ट आपने पढ़ी?

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ ठोक ही दिया, इस बात के साथ कि ये तो बस शुरुआत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह रहे हैं कि भारत नहीं झुकेगा। पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि जितना डफली बजाना है अमेरिका बजाते रहे। भारत पर कोई असर नहीं होने वाला। इसके साथ ही ट्रंप के टैरिफ को काउंटर करने के लिए भारत ने नए बाजार तलाशने शुरू कर दिए हैं तो ट्रंप अनाप-शनाप बयान देने पर उतारू हो गए हैं।  ट्रंप ने टैरिफ लगाकर भारत को खूब झुकाने की कोशिश की। लेकिन भारत झुका नहीं और खुलकर ये कह दिया कि वो वही करेगा जो राष्ट्रहित में होगा। किसी के दबाव में झुकेंगे नहीं। 

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वैसे तो ट्रंप के लिए यू-टर्न लेना कोई नई बात नहीं है। अमेरिका में गाड़ियां चलाते हुए भी लोग इतने यू-टर्न नहीं लेते होंगे। जितने की ट्रंप अपने बयानों से ले लेते हैं। एलन मस्क को सबसे अच्छा दोस्त बताने वाले ट्रंप कुछ ही महीने में उनसे ऐसी दुश्मनी कर लेते हैं कि उन्हें अमेरिका से वापस साउथ अफ्रीका भेजने तक की बात तक कहते नजर आते हैं। अपने 2016 के अभियान के दौरान ट्रम्प ने पहले दिन से ही चीन को आड़े हाथों लेने की कसम खाई थी, उन्होंने बीजिंग को मुद्रा हेरफेर करने वाला करार दिया था। पदभार ग्रहण करने के महीनों बाद, ट्रम्प ने फ्लोरिडा में अपने मार-ए-लागो निवास पर अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग की मेजबानी की और कहा कि चीनी मुद्रा हेरफेर करने वाले नहीं हैं। अपने पहले कार्यकाल के अंत में, ट्रम्प ने सोशल मीडिया नेटवर्क टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने का असफल प्रयास किया, जिसमें लोकप्रिय मंच पर बीजिंग के लाभ के लिए अमेरिकी उपयोगकर्ता डेटा को चुराने का आरोप लगाया गया। लेकिन 2024 के चुनाव प्रचार अभियान के दौरान, जेन Z के वोटों को लुभाने के लिए ट्रम्प ने कहा कि मुझे TikTok पसंद है और घोषणा की कि मैं TikTok को बचाने जा रहा हूँ।

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आप सभी ने अपने बचपन में गली-मोहल्ले में क्रिकेट तो जरूर खेला होगा। उसमें जिस बच्चे के पास बैट होता था, उसकी हमेशा शर्ते रहा करती थी कि पहले मैं बैटिंग करूंगा। आउट हो जाने पर भी तरह तरह के बहाने बनाने लगता है। नहीं मानने पर बल्ला उठा कर चल पड़ता है। ट्रंप भी ऐसे ही हरकत कर रहे हैं। ट्रंप चाहते हैं कि वो जो कहे दुनिया उनके आगे अपना सिर झुकाए। लेकिन उनके आगे सिर झुकाने के लिए अब कोई भी तैयार नहीं है। 8 फरवरी 2025 को वोलोदिमिर जेलेन्स्की, डोनाल्ड ट्रम्प और जेडी वेंस के बीच जो कुछ भी हुआ उसे देख कर ये बिल्कुल नहीं लगा कि व्हाइट हाउस में डिप्लोमेसी को होते देख रहे हैं। ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच तीखी बहस देखने को मिली थी। ऐसा पहली बार हुआ था जब व्हाइट हाउस में किसी नेता ने खुद ही उल्टे ट्रंप को बता दिया कि यूक्रेन झुकेगा नहीं। दुनिया के सबसे शक्तिशाली मुल्क अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के ऑफिस में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामाफोसा पहुंचे थे। लेकिन उन्हें बेइज्जत करने के लिए ट्रंप ने मानो पूरा मूड बना रखा हो। पूरी तैयारी की गई थी। प्रेस ब्रीफिंग के दौरान टीवी लगाया गया था। लेकिन इस बार मामला थोड़ा उल्टा पड़ गया। ट्रंप व्हाइट हाउस में बैठकर जेनोसाइड का राग अलाप रहे थे और रामाफोसा ने पलटकर बोल दिया कि सॉरी, मेरे पास आपको गिफ्ट करने के लिए प्लेन नहीं है। वो हाल ही में कतर की तरफ से ट्रंप को गिफ्ट में दिए 400 मिलियन डॉलर के प्लेन पर तंज कस रहे थे। 
ब्राजील के राष्ट्रपति लूला वाली बात तो आपको पता ही होगी। ट्रंप ने कहा था कि ब्राजील के राष्ट्पति लूला जब चाहे उन्हें फोन कर सकते हैं। इस पर ट्रंप की सरेआम बेइज्जती करते हुए ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा ने कहा था कि आपकी बजाय भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के शी जिनपिंग को कॉल करना पसंद करूंगा। कनाडा तो ट्रंप को समझा ही चुका है। वहीं छोटे से देश मैक्सिको ने अवैध प्रवासियों को बेड़ियों में जकड़कर मिलिट्री प्लेन में भेजने के फैसले पर ऐसा प्रतिरोध दिखाया था जिसके बारे में अमेरिका ने तो सपने में भी नहीं सोचा था। 
कुल मिलाकर कहे तो ट्रंप की राजनीति एक व्हाट्सएप फॉरवर्ड जैसी है जिसे पढ़कर लगता है कि कुछ तो गड़बड़ है, लेकिन फिर भी लोग उसे आगे भेज देते हैं। इसी व्हाट्सएप फॉरवर्ड नुमा राजनीति पर भारत की ग्रैंड ओल्ड पार्टी अपना नैरेटिव बुनने में भी लग जाती है। वो पूरा ब्यौरा रखते हैं कि ट्रंप कितनी बार सीजफायर बोलते हैं। लेकिन अगर आपने हमारी पूरी रिपोर्ट पढ़ी होगी तो आपको पता चल गया होगा कि ट्रंप के कहे शब्दों को पत्थर की लकीर की तरह मानना बेवकूफी होगा। ये तो रेत पर लिखे उन शब्दों की तरह है जो हर लहर में मिट जाया करते हैं।