मार्गशीर्ष का महीना चल रहा है और यह महीना भगवान कृष्ण को अति प्रिय है। इस महीने में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि महत्व सबसे अधिक है। इस दिन विधिवत रुप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी का व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने व व्रत रखने से आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष का भी मार्ग खोलता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एकादशी देवी की उत्पत्ति इसी तिथि को हुई थी। इसलिए इस व्रत का नाम उत्पन्ना पड़ा है। मान्यता अनुसार, देवी एकादशी ने ही असुरों का नाश किया और देवताओं की रक्षा की।
कब मनाई जाएगी उत्पन्ना एकादशी
हिंदू पंचांग अनुसार इस बार उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। इसी दिन व्रत रखा जाएगा और अगले दिन व्रत का पारण किया जाएगा। एकादशी तिथि आरंभ 15 नवंबर 2025 को मध्यरात्रि 12 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 16 नवंबर 2025 को सुबह 2 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उत्पन्ना एकादशी का व्रत इस साल 15 नवंबर 2025, शनिवार के दिन किया जाएगा। वहीं, व्रत का पारण 16 नवंबर 2025 को किया जाएगा।
उत्पन्ना एकादशी पर बन रहें शुभ संयोग
इस बार एकादशी के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं-
- उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र
- विष्कुंभ योग
- अभिजीत मुहूर्त
- ये तीनों योग व्रत के फल को और भी शुभ बनाएंगे।
उत्पन्ना एकादशी पर करें पूजा विधि
- सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- अब घर के मंदिर को पूजा स्थान को साफ रखें।
- इसके बाद दीपक जलाएं और शांत वातावरण बनाएं।
- अब आप भगवान विष्णु को गंगाजल से अभिषेक करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु को फूल अर्पित करें और तुलसी दल अर्पित करें।
- अब भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
- इस बात का ध्यान रखें कि तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते, भोग में तुलसी जरुर डालें।
- पूरे दिन भगवान का नाम का स्मरण/ध्यान रखें।
उत्पन्ना एकादशी व्रत के लिए सामग्री सूची
- भगवान विष्णु जी की मूर्ति या चित्र
- फूल
- नारियल
- सुपारी
- फल
- लौंग
- धूप
- दीपक (घी का दीया)
- पंचामृत
- अक्षत
- तुलसी दल
- चंदन
- मिष्ठान (भोग के लिए)