हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत रखा जाता है। जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। इस व्रत को रखना काफी खास माना गया है। गौरतलब है कि बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ स्थानों पर जितिया व्रत रखा है। इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान की सुरक्षा व अच्छे स्वास्थ्य के लिए करती है। जीतिया व्रत निर्जला रखा जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल जितिया व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा। चलिए आपको बताते है  जितिया व्रत वाले दिन किस देवता की पूजा की जाती है।
किस देवता की पूजा होती है
जितिया व्रत में भगवान जीमूतवाहन की पूजा-अर्चना की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, जीमूतवाहन एक गंघर्व राजकुमार थे। धार्मिक मान्यता के अनुसार, राजा जीमूतवाहन ने एक नागिन के पुत्र को बचाने के लिए खुद को गरुड़ के हवाले कर दिया था। तभी से इन्हें भगवान के रुप में पूजा जाने लगा और माताएं भी अपनी संतान की रक्षा के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत करने लगी। 
जितिया व्रत का महत्व
इस व्रत को महिलाओं द्वारा अपने संतान की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। माना जाता है कि जीतिया व्रत रखने से संतान के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। इस व्रत को लेकर एक मान्यता है कि जो महिलाएं जीतिया व्रत को रखती है वह जीवन में कभी संतान से वियोग का सामना नहीं करती। 
कैसे व्रत को रखें?
जिस दिन व्रत रखा जाता है उस दिन सूर्योदय से पहले फल, मिठाई, चाय, पानी आदि का सेवन किया जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। जीमूतवाहन के समश्र दीपक प्रज्ज्वलित कर पूजा करना है और व्रत का संकल्प लेना है। विधि-विधान से भगवान वासुदेव और जीमूतवाहन का पूजन करें। इसके बाद व्रत कथा का पाठ करें। पूरा दिन निर्जला व्रत रखा जाता है, इसके अगले दिन सूर्य देव को अर्घ्य देकर इस व्रत का पारण किया जाता है। व्रत खोलने के दौरान चावल, मरुवा की रोटी, तोरई, रागी और नोनी का साग खाया जाता है।