टाटा ट्रस्ट्स में लंबे समय से चल रहे मतभेद अब धीरे-धीरे सुलह की तरफ बढ़ते नजर आ रहे हैं। बता दें कि मेहली मिस्ट्रि, जिन्होंने श्रीनिवासन की आजीवन ट्रस्टी नियुक्ति का विरोध किया था, ने अब उनके मेल का सकारात्मक जवाब दिया है। उन्होंने साफ किया कि विवाद अहंकार का नहीं, बल्कि पारदर्शिता की कमी को लेकर था।
मेहली मिस्ट्रि ने श्रीनिवासन को लिखा, “प्रिय वेणु हमेशा हमारा उद्देश्य मिल-जुल कर काम करना रहा है। पहले केवल यह समस्या थी कि आवश्यक जानकारी नहीं मिली थी, जो अब आप सभी नामित निदेशकों द्वारा प्रदान करने के लिए सहमत हैं। हमें अतीत को भूलकर एक टीम के रूप में आगे बढ़ना चाहिए। यही रतनजी की इच्छा होती।” श्रीनिवासन ने भी ट्रस्टियों को मेल में आभार व्यक्त करते हुए एकजुट होकर काम करने की बात कही थी।
हालांकि, मिस्ट्रि ने श्रीनिवासन की पुनर्नियुक्ति को सशर्त मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि भविष्य में किसी भी ट्रस्टी की नवीनीकरण प्रक्रिया केवल सर्वसम्मति से हो और अगर प्रस्ताव सर्वसम्मत न हुआ, तो उनकी अनुमति के बिना नियुक्ति नहीं होगी।
गौरतलब है कि विवाद का मूल कारण ट्रस्ट बोर्ड और टाटा संस बोर्ड के बीच सूचना का सही समय पर आदान-प्रदान न होना था। ट्रस्टियों ने इटालियन ऑटोमेकर Iveco के अधिग्रहण और टाटा इंटरनेशनल को 1,000 करोड़ रुपये फंडिंग के फैसलों को उदाहरण के तौर पर उठाया, जो समय पर साझा नहीं किए गए थे।
मौजूदा जानकारी के अनुसार, अब ट्रस्ट बोर्ड और टाटा संस बोर्ड के बीच बेहतर पारदर्शिता और सहयोग की कोशिशें जारी हैं, ताकि भविष्य में ऐसे मतभेद न हों और फैसले सामूहिक रूप से लिए जा सकें हैं।