Bhadli Navami 2025: 4 जुलाई को विवाह, मुंडन, पूजा-पाठ के लिए अबूझ मुहूर्त

सनातन धर्म में भडल्या नवमी का विशेष महत्व है। इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। आसान शब्दों मंए कहें तो भडल्या नवमी पर बिना किसी ज्योतिषीय सलाह के सभी प्रकार के शुभ कार्य कर सकते हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 3 जुलाई को दोपहर में 2:07 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 4 जुलाई को शाम 4:33 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 4 जुलाई को भडल्या नवमी मनाई जाएगी।  यह दिन अक्षय तृतीया की तरह शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। भडल्या नवमी स्वंयसिद्ध तिथि है। इस तिथि पर सभी प्रकार के शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही शुभ कार्यों की शुरुआत कर सकते हैं। इसके लिए किसी ज्योतिष से सलाह लेने की आवश्यकता नहीं होती है। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि भडल्या नवमी चार जुलाई को है। यह इस सीजन का आखिरी विवाह मुहूर्त है। हालांकि इस समय गुरु अस्त चल रहे हैं, इसलिए मांगलिक कार्यों पर रोक लगी हुई है, फिर भी भडल्या नवमी को अबूझ मुहूर्त माने जाने से इस दिन काफी संख्या में विवाह होंगे। इसके दो दिन बाद छह जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ चार महीने के लिए सभी मांगलिक कार्य थम जाएंगे, जो एक नवंबर को देवों के जागने के साथ शुरू होंगे।इसे भी पढ़ें: Bijli Mahadev: हिमाचल के इस मंदिर में हर 12 साल में गिरती है बिजली, जानिए अचानक से क्यों किया गया बंदअद्ये कस्यापि मूढत्वे शुभकर्म न दोषकृत्। द्वयो मूढत्व मे प्रोक्तं दोषदं गुरुशुक्रयो:।। ज्योतिष विद्वानों और शास्त्र के अनुसार अबूझ मुहूर्त में किसी प्रकार का पंचांग या मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती है और इसमें गुरु या शुक्र तारा अस्त भी नहीं देखा जाता है।ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 4 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल नवमी है। इसे भडल्या नवमी कहते हैं। इस दिन आषाढ़ गुप्त नवरात्रि भी खत्म हो रही है। इसके बाद 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी है, इस तिथि से चार महीनों के लिए श्रीहरि विश्राम करते हैं, इसलिए शुभ कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। देवशयनी एकादशी से पहले आने वाली भडल्या नवमी को अबुझ मुहूर्त माना जाता है यानी इस दिन विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या नए काम की शुरुआत जैसे शुभ काम बिना मुहूर्त देखे किया जा सकते हैं। अभी आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि चल रही है, इस नवरात्रि की अंतिम भड़ली नवमी रहती है। इस नवमी पर गणेश जी, शिव जी और देवी दुर्गा की विशेष पूजा करनी चाहिए। जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, छाता, जूते-चप्पल, कपड़े का दान करना चाहिए।भडल्या नवमी तिथिभविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि भडल्या की नवमी तिथि 3 जुलाई को दोपहर में 2:07 मिनट शुरू हो जाएगी, जो 4 जुलाई को शाम 4:33 मिनिट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार 4 जुलाई को मनाई जाएगी।गुरु तारा चल रहा है अस्तभविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत होती है। इसके बाद भगवान विष्णु के योग निद्रा में होने की वजह से अगले 4 महीने तक कोई भी मांगलिक काम नहीं किया जा सकता है। ऐसे में चातुर्मास शुरू होने से पहले शुभ काम करने का अंतिम दिन भडल्या नवमी तिथि को होता है। पिछले करीब 1 महीने से विवाह के कारक ग्रह देव गुरु बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त चल रहे हैं। 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमासभविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष नवंबर में केवल सात दिन और दिसंबर में सिर्फ पांच दिन विवाह मुहूर्त है। 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास होने से विवाह नहीं हो सकेंगे। विवाह मुहूर्त 15 दिसंबर से चार फरवरी तक भी नहीं होंगे। शुक्र ग्रह के उदित होने के बाद पांच फरवरी से शुरुआत होगी।अबूझ या स्वयंसिद्ध मुहूर्तभविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि भडल्या नवमी अबूझ या स्वयंसिद्ध मुहूर्त के रूप में मानी गई है। यानी इस दिन शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त के विचार की जरूरत नहीं होती। महत्वभविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि भडल्या नवमी तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। इस तिथि पर शुभ कार्य करने के लिए ज्योतिष गणना की आवश्यकता नहीं पड़ती है। किसी भी समय जातक अपनी सुविधा के अनुसार शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही शुभ कार्य का श्रीगणेश कर सकते हैं। इस तिथि पर शुभ कार्य करने से अक्षय तृतीया के समतुल्य फल प्राप्त होता है।- डा. अनीष व्यासभविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक

Jul 4, 2025 - 10:48
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Bhadli Navami 2025: 4 जुलाई को विवाह, मुंडन, पूजा-पाठ के लिए अबूझ मुहूर्त
सनातन धर्म में भडल्या नवमी का विशेष महत्व है। इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। आसान शब्दों मंए कहें तो भडल्या नवमी पर बिना किसी ज्योतिषीय सलाह के सभी प्रकार के शुभ कार्य कर सकते हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 3 जुलाई को दोपहर में 2:07 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 4 जुलाई को शाम 4:33 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 4 जुलाई को भडल्या नवमी मनाई जाएगी।  यह दिन अक्षय तृतीया की तरह शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। भडल्या नवमी स्वंयसिद्ध तिथि है। इस तिथि पर सभी प्रकार के शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही शुभ कार्यों की शुरुआत कर सकते हैं। इसके लिए किसी ज्योतिष से सलाह लेने की आवश्यकता नहीं होती है। 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि भडल्या नवमी चार जुलाई को है। यह इस सीजन का आखिरी विवाह मुहूर्त है। हालांकि इस समय गुरु अस्त चल रहे हैं, इसलिए मांगलिक कार्यों पर रोक लगी हुई है, फिर भी भडल्या नवमी को अबूझ मुहूर्त माने जाने से इस दिन काफी संख्या में विवाह होंगे। इसके दो दिन बाद छह जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ चार महीने के लिए सभी मांगलिक कार्य थम जाएंगे, जो एक नवंबर को देवों के जागने के साथ शुरू होंगे।

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अद्ये कस्यापि मूढत्वे शुभकर्म न दोषकृत्। द्वयो मूढत्व मे प्रोक्तं दोषदं गुरुशुक्रयो:।।
 
ज्योतिष विद्वानों और शास्त्र के अनुसार अबूझ मुहूर्त में किसी प्रकार का पंचांग या मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती है और इसमें गुरु या शुक्र तारा अस्त भी नहीं देखा जाता है।

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 4 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल नवमी है। इसे भडल्या नवमी कहते हैं। इस दिन आषाढ़ गुप्त नवरात्रि भी खत्म हो रही है। इसके बाद 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी है, इस तिथि से चार महीनों के लिए श्रीहरि विश्राम करते हैं, इसलिए शुभ कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। देवशयनी एकादशी से पहले आने वाली भडल्या नवमी को अबुझ मुहूर्त माना जाता है यानी इस दिन विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या नए काम की शुरुआत जैसे शुभ काम बिना मुहूर्त देखे किया जा सकते हैं। अभी आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि चल रही है, इस नवरात्रि की अंतिम भड़ली नवमी रहती है। इस नवमी पर गणेश जी, शिव जी और देवी दुर्गा की विशेष पूजा करनी चाहिए। जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, छाता, जूते-चप्पल, कपड़े का दान करना चाहिए।

भडल्या नवमी तिथि

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि भडल्या की नवमी तिथि 3 जुलाई को दोपहर में 2:07 मिनट शुरू हो जाएगी, जो 4 जुलाई को शाम 4:33 मिनिट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार 4 जुलाई को मनाई जाएगी।

गुरु तारा चल रहा है अस्त

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत होती है। इसके बाद भगवान विष्णु के योग निद्रा में होने की वजह से अगले 4 महीने तक कोई भी मांगलिक काम नहीं किया जा सकता है। ऐसे में चातुर्मास शुरू होने से पहले शुभ काम करने का अंतिम दिन भडल्या नवमी तिथि को होता है। पिछले करीब 1 महीने से विवाह के कारक ग्रह देव गुरु बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त चल रहे हैं। 

15 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष नवंबर में केवल सात दिन और दिसंबर में सिर्फ पांच दिन विवाह मुहूर्त है। 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास होने से विवाह नहीं हो सकेंगे। विवाह मुहूर्त 15 दिसंबर से चार फरवरी तक भी नहीं होंगे। शुक्र ग्रह के उदित होने के बाद पांच फरवरी से शुरुआत होगी।

अबूझ या स्वयंसिद्ध मुहूर्त

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि भडल्या नवमी अबूझ या स्वयंसिद्ध मुहूर्त के रूप में मानी गई है। यानी इस दिन शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त के विचार की जरूरत नहीं होती। 

महत्व

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि भडल्या नवमी तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। इस तिथि पर शुभ कार्य करने के लिए ज्योतिष गणना की आवश्यकता नहीं पड़ती है। किसी भी समय जातक अपनी सुविधा के अनुसार शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही शुभ कार्य का श्रीगणेश कर सकते हैं। इस तिथि पर शुभ कार्य करने से अक्षय तृतीया के समतुल्य फल प्राप्त होता है।

- डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक