सैलजा बोली, जनधन में खाते खुलवाए, अब लूटना शुरू:मोदी कालाधन लाने वाले थे, उलटा लोगों के काटने शुरू, बैंकों की मनमानी

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने जारी बयान में कहा है कि भाजपा सरकार की नीतियों में जनकल्याण कम और जन उत्पीड़न और शोषण अधिक दिखाई देता है। बैंकों की मनमानी और केंद्र सरकार की वादाखिलाफी से जनता परेशान हो रही है। पहले सरकार ने जन धन योजना के नाम पर गरीब, मजदूर, किसानों और आम नागरिकों के खाते तो खुलवाए गए, पर अब बैंकों के नए आदेश के अनुसार खाते में 10 हजार रुपए की न्यूनतम राशि रखनी होगी। एक प्रकार से जनता के खून-पसीने की कमाई को बैंकों के पास फ्री में गिरवी रखने जैसा है। सरकार को जनहित को ध्यान में रखते हुए अपनी इस नीति में बदलाव करना चाहिए। मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जनता से बड़े-बड़े वादे किए थे, जिनमें सबसे चर्चित वादा था कि विदेशों में जमा काले धन को वापस लाकर हर भारतीय के खाते में 15-15 लाख रुपए जमा कराए जाएंगे। लेकिन आज, दस साल बाद, यह वादा केवल एक जुमला साबित हुआ। देश और विदेश से हो रही सारी कमाई पूंजीपतियों की तिजोरी में जा रही है, जबकि गरीब वहीं के वहीं खडा हुआ है। विभिन्न बैंकों में खाताधारकों को बिना ब्याज के 10,000 से 50,000 रुपए तक की राशि रखने के लिए मजबूर किया जा रहा है। बैंकों की अनैतिक नीति पर तुरंत रोक लगाई जाए : सैलजा सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि बैंकों की तरफ से मनमाने न्यूनतम बैलेंस पर किसी तरह की रोक लगाने से रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने इनकार किया है। बैंक बचत खातों में न्यूनतम शेष राशि तय करने के लिए स्वतंत्र हैं और यह आरबीआई के नियामक अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। सांसद सैलजा ने केंद्र सरकार से मांग की है कि बैंकों की इस अनैतिक नीति पर तुरंत रोक लगाई जाए, गरीब व मध्यमवर्गीय खाताधारकों को बिना ब्याज उनकी जमा राशि से वंचित करने पर कठोर कार्रवाई हो और वर्ष 2014 में किए गए वादों पर सरकार देश के सामने स्पष्ट जवाब दे।

Aug 14, 2025 - 17:25
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सैलजा बोली, जनधन में खाते खुलवाए, अब लूटना शुरू:मोदी कालाधन लाने वाले थे, उलटा लोगों के काटने शुरू, बैंकों की मनमानी
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने जारी बयान में कहा है कि भाजपा सरकार की नीतियों में जनकल्याण कम और जन उत्पीड़न और शोषण अधिक दिखाई देता है। बैंकों की मनमानी और केंद्र सरकार की वादाखिलाफी से जनता परेशान हो रही है। पहले सरकार ने जन धन योजना के नाम पर गरीब, मजदूर, किसानों और आम नागरिकों के खाते तो खुलवाए गए, पर अब बैंकों के नए आदेश के अनुसार खाते में 10 हजार रुपए की न्यूनतम राशि रखनी होगी। एक प्रकार से जनता के खून-पसीने की कमाई को बैंकों के पास फ्री में गिरवी रखने जैसा है। सरकार को जनहित को ध्यान में रखते हुए अपनी इस नीति में बदलाव करना चाहिए। मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जनता से बड़े-बड़े वादे किए थे, जिनमें सबसे चर्चित वादा था कि विदेशों में जमा काले धन को वापस लाकर हर भारतीय के खाते में 15-15 लाख रुपए जमा कराए जाएंगे। लेकिन आज, दस साल बाद, यह वादा केवल एक जुमला साबित हुआ। देश और विदेश से हो रही सारी कमाई पूंजीपतियों की तिजोरी में जा रही है, जबकि गरीब वहीं के वहीं खडा हुआ है। विभिन्न बैंकों में खाताधारकों को बिना ब्याज के 10,000 से 50,000 रुपए तक की राशि रखने के लिए मजबूर किया जा रहा है। बैंकों की अनैतिक नीति पर तुरंत रोक लगाई जाए : सैलजा सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि बैंकों की तरफ से मनमाने न्यूनतम बैलेंस पर किसी तरह की रोक लगाने से रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने इनकार किया है। बैंक बचत खातों में न्यूनतम शेष राशि तय करने के लिए स्वतंत्र हैं और यह आरबीआई के नियामक अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। सांसद सैलजा ने केंद्र सरकार से मांग की है कि बैंकों की इस अनैतिक नीति पर तुरंत रोक लगाई जाए, गरीब व मध्यमवर्गीय खाताधारकों को बिना ब्याज उनकी जमा राशि से वंचित करने पर कठोर कार्रवाई हो और वर्ष 2014 में किए गए वादों पर सरकार देश के सामने स्पष्ट जवाब दे।