Indira Ekadashi 2025: इंद्रिरा एकादशी पर गौरी योग का दुर्लभ संयोग, पितरों को मुक्ति दिलाने करें ये उपाय

एकादशी का महत्व हिंदू धर्म में विशेष माना गया है। पितृपक्ष में आने वाली एकादशी को इंद्रिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। इसके साथ ही पितरों की शांति के लिए श्राद्ध व तर्पण किया जाता है। मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और पुण्य कर्म करने से पितरों को मुक्ति मिल जाती और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। आइए आपको बताते हैं कब है इंद्रिरा एकादशी।इंद्रिरा एकादशी कब है?हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि का प्रारंभ 16 सितंबर को रात 12 बजकर 23 मिनट पर होगा और 17 तारीख की रात में 11 बजकर 40 मिनट तक एकादशी तिथि रहने वाली है। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत उस तिथि पर किया जाता है जिस दिन सुबह से समय एकादशी तिथि रहती है। इसीलिए 17 सितंबर को ही एकादशी का व्रत और श्राद्ध किया जाएगा। इसके अलावा, इस दिन गौरी योग का शुभ संयोग बन रहा है चंद्रमा अपनी स्वराशि कर्क में विराजमान रहेगा। जिससे गौरी योग बन रहा है। इस दिन व्रत और श्राद्ध कर्म करने वालों को पुण्य फल की प्राप्ति होगी।इंद्रिरा एकादशी का महत्वमाना जाता है कि इंद्रिरा एकादशी दिन व्रत और तर्पण करने से पितरों के पापों का नाश हो जाता है। इसके साथ ही व्रत रखने से सुख-समृद्धि, शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। इंद्रिरा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। यदि आप व्रत नहीं रख पा रहे हैं, तो आप भगवान विष्णु की पूजा जरुर करें और तिल का तर्पण करें, ऐसा करने से पितरों को शांति मिल जाती है। आप इस दिन पितरों के नाम पर दान-पुण्य के कार्य भी कर सकते हैं।

Sep 10, 2025 - 21:38
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Indira Ekadashi 2025: इंद्रिरा एकादशी पर गौरी योग का दुर्लभ संयोग, पितरों को मुक्ति दिलाने करें ये उपाय
एकादशी का महत्व हिंदू धर्म में विशेष माना गया है। पितृपक्ष में आने वाली एकादशी को इंद्रिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। इसके साथ ही पितरों की शांति के लिए श्राद्ध व तर्पण किया जाता है। मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और पुण्य कर्म करने से पितरों को मुक्ति मिल जाती और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। आइए आपको बताते हैं कब है इंद्रिरा एकादशी।

इंद्रिरा एकादशी कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि का प्रारंभ 16 सितंबर को रात 12 बजकर 23 मिनट पर होगा और 17 तारीख की रात में 11 बजकर 40 मिनट तक एकादशी तिथि रहने वाली है। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत उस तिथि पर किया जाता है जिस दिन सुबह से समय एकादशी तिथि रहती है। इसीलिए 17 सितंबर को ही एकादशी का व्रत और श्राद्ध किया जाएगा। इसके अलावा, इस दिन गौरी योग का शुभ संयोग बन रहा है चंद्रमा अपनी स्वराशि कर्क में विराजमान रहेगा। जिससे गौरी योग बन रहा है। इस दिन व्रत और श्राद्ध कर्म करने वालों को पुण्य फल की प्राप्ति होगी।

इंद्रिरा एकादशी का महत्व

माना जाता है कि इंद्रिरा एकादशी दिन व्रत और तर्पण करने से पितरों के पापों का नाश हो जाता है। इसके साथ ही व्रत रखने से सुख-समृद्धि, शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। इंद्रिरा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। यदि आप व्रत नहीं रख पा रहे हैं, तो आप भगवान विष्णु की पूजा जरुर करें और तिल का तर्पण करें, ऐसा करने से पितरों को शांति मिल जाती है। आप इस दिन पितरों के नाम पर दान-पुण्य के कार्य भी कर सकते हैं।