पूर्व क्रिकेटर कैफ ने लिखा, Allahabad you beauty:प्रयागराज आने पर किया दिल छू लेने वाला पोस्ट, दिवाली की रोशनी का मजा लेने पापा संग टू-व्हीलर पर निकले
"कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं, कुछ खुशियां कभी फीकी नहीं पड़तीं। पापा के साथ दिवाली की रोशनी का मजा। क्रिकेट ग्राउंड की सैर के बाद अब कॉफी के लिए निकल रहे हैं। इलाहाबाद, तुम वाकई कमाल हो।" यह पंक्तियां किसी आम व्यक्ति की नहीं बल्कि भारत के पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर मोहम्मद कैफ की हैं, जिन्होंने शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर यह भावनाओं से भरा संदेश पोस्ट किया। कुछ शब्दों में ही कैफ ने अपने शहर प्रयागराज (इलाहाबाद) से जुड़े उस अटूट रिश्ते को बयां कर दिया, जो वर्षों बाद भी उतना ही मजबूत और जीवंत है। स्थानीय टूर्नामेंट के मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे प्रयागराज दरअसल, कैफ शुक्रवार को प्रयागराज में एक स्थानीय क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले के मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे। दिवाली की रोशनी में नहाया शहर और बचपन के मैदानों की सैर ने उन्हें पुरानी यादों में लौटा दिया।कैफ मूल रूप से प्रयागराज के कीडगंज इलाके के रहने वाले हैं, और यहीं की गलियों में उन्होंने क्रिकेट का ककहरा सीखा था। उनकी क्रिकेट यात्रा की शुरुआत प्रयागराज के लोकल क्लबों से हुई और धीरे-धीरे उन्होंने प्रदेश, फिर राष्ट्रीय और अंततः अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। नेटवेस्ट ट्रॉफी 2002 - वह यादगार पारी कैफ की मेहनत, फुर्ती और तेज दिमाग ने उन्हें भारतीय क्रिकेट के उन खिलाड़ियों में शामिल किया, जो मैदान पर हमेशा भरोसे का नाम रहे। उन्होंने अपने करियर में कई यादगार पारियां खेलीं, लेकिन नेटवेस्ट ट्रॉफी 2002 का फाइनल आज भी हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी के दिल में बसा है।लॉर्ड्स के मैदान पर युवराज सिंह के साथ की गई वह शानदार साझेदारी और अंत में विजयी चौका भारतीय क्रिकेट इतिहास के स्वर्णिम पलों में दर्ज है। उस पारी ने कैफ को न सिर्फ "क्राइसिस मैन" की पहचान दी, बल्कि यह भी साबित किया कि प्रयागराज की मिट्टी से निकले खिलाड़ी दुनिया के किसी भी मंच पर चमक सकते हैं। परिवार से मिली खेल की प्रेरणा प्रयागराज का नाम लेते ही कैफ की आंखों में चमक आ जाती है। वे कई बार कह चुके हैं कि "इलाहाबाद ने मुझे वो जज्बा दिया, जो हर मुश्किल परिस्थिति में टिके रहने की ताकत देता है।"उनके पिता मोहम्मद तारीक खुद उत्तर प्रदेश की ओर से रणजी ट्रॉफी खेल चुके थे। यही पारिवारिक माहौल और खेल के प्रति समर्पण ने मोहम्मद कैफ को बचपन से ही अनुशासन और लगन सिखाई। अब कोच और कमेंटेटर के रूप में नई भूमिका आज भले ही कैफ दिल्ली में बस गए हों और क्रिकेट के बाद अब बतौर कोच और कमेंटेटर अपनी भूमिका निभा रहे हों, लेकिन दिल से वे आज भी प्रयागराज के ही हैं।शुक्रवार को शहर आने पर उन्होंने न सिर्फ स्थानीय खिलाड़ियों से मुलाकात की, बल्कि क्रिकेट ग्राउंड में कुछ देर अभ्यास करते हुए युवाओं को प्रेरित भी किया। "इलाहाबाद यू ब्यूटी", लोगों के दिलों में फिर छा गए कैफ उनका यह छोटा-सा पोस्ट "Allahabad you beauty" शहर के लोगों के लिए गर्व का विषय बन गया। सोशल मीडिया पर सैकड़ों लोगों ने इसे शेयर करते हुए लिखा कि कैफ आज भी प्रयागराज का गौरव हैं। अपनी मिट्टी से जुड़े रहने का संदेश दिवाली की शाम, पुराने दोस्तों और पापा के साथ बिताए पलों ने शायद कैफ को यह एहसास फिर से दिलाया कि कुछ रिश्ते वाकई कभी फीके नहीं पड़ते।और यही संदेश उन्होंने पूरे देश के लिए छोड़ा — कि जगह चाहे बदल जाए, पर अपनी मिट्टी की खुशबू कभी नहीं जाती।
"कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं, कुछ खुशियां कभी फीकी नहीं पड़तीं। पापा के साथ दिवाली की रोशनी का मजा। क्रिकेट ग्राउंड की सैर के बाद अब कॉफी के लिए निकल रहे हैं। इलाहाबाद, तुम वाकई कमाल हो।" यह पंक्तियां किसी आम व्यक्ति की नहीं बल्कि भारत के पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर मोहम्मद कैफ की हैं, जिन्होंने शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर यह भावनाओं से भरा संदेश पोस्ट किया। कुछ शब्दों में ही कैफ ने अपने शहर प्रयागराज (इलाहाबाद) से जुड़े उस अटूट रिश्ते को बयां कर दिया, जो वर्षों बाद भी उतना ही मजबूत और जीवंत है। स्थानीय टूर्नामेंट के मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे प्रयागराज दरअसल, कैफ शुक्रवार को प्रयागराज में एक स्थानीय क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले के मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे। दिवाली की रोशनी में नहाया शहर और बचपन के मैदानों की सैर ने उन्हें पुरानी यादों में लौटा दिया।कैफ मूल रूप से प्रयागराज के कीडगंज इलाके के रहने वाले हैं, और यहीं की गलियों में उन्होंने क्रिकेट का ककहरा सीखा था। उनकी क्रिकेट यात्रा की शुरुआत प्रयागराज के लोकल क्लबों से हुई और धीरे-धीरे उन्होंने प्रदेश, फिर राष्ट्रीय और अंततः अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। नेटवेस्ट ट्रॉफी 2002 - वह यादगार पारी कैफ की मेहनत, फुर्ती और तेज दिमाग ने उन्हें भारतीय क्रिकेट के उन खिलाड़ियों में शामिल किया, जो मैदान पर हमेशा भरोसे का नाम रहे। उन्होंने अपने करियर में कई यादगार पारियां खेलीं, लेकिन नेटवेस्ट ट्रॉफी 2002 का फाइनल आज भी हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी के दिल में बसा है।लॉर्ड्स के मैदान पर युवराज सिंह के साथ की गई वह शानदार साझेदारी और अंत में विजयी चौका भारतीय क्रिकेट इतिहास के स्वर्णिम पलों में दर्ज है। उस पारी ने कैफ को न सिर्फ "क्राइसिस मैन" की पहचान दी, बल्कि यह भी साबित किया कि प्रयागराज की मिट्टी से निकले खिलाड़ी दुनिया के किसी भी मंच पर चमक सकते हैं। परिवार से मिली खेल की प्रेरणा प्रयागराज का नाम लेते ही कैफ की आंखों में चमक आ जाती है। वे कई बार कह चुके हैं कि "इलाहाबाद ने मुझे वो जज्बा दिया, जो हर मुश्किल परिस्थिति में टिके रहने की ताकत देता है।"उनके पिता मोहम्मद तारीक खुद उत्तर प्रदेश की ओर से रणजी ट्रॉफी खेल चुके थे। यही पारिवारिक माहौल और खेल के प्रति समर्पण ने मोहम्मद कैफ को बचपन से ही अनुशासन और लगन सिखाई। अब कोच और कमेंटेटर के रूप में नई भूमिका आज भले ही कैफ दिल्ली में बस गए हों और क्रिकेट के बाद अब बतौर कोच और कमेंटेटर अपनी भूमिका निभा रहे हों, लेकिन दिल से वे आज भी प्रयागराज के ही हैं।शुक्रवार को शहर आने पर उन्होंने न सिर्फ स्थानीय खिलाड़ियों से मुलाकात की, बल्कि क्रिकेट ग्राउंड में कुछ देर अभ्यास करते हुए युवाओं को प्रेरित भी किया। "इलाहाबाद यू ब्यूटी", लोगों के दिलों में फिर छा गए कैफ उनका यह छोटा-सा पोस्ट "Allahabad you beauty" शहर के लोगों के लिए गर्व का विषय बन गया। सोशल मीडिया पर सैकड़ों लोगों ने इसे शेयर करते हुए लिखा कि कैफ आज भी प्रयागराज का गौरव हैं। अपनी मिट्टी से जुड़े रहने का संदेश दिवाली की शाम, पुराने दोस्तों और पापा के साथ बिताए पलों ने शायद कैफ को यह एहसास फिर से दिलाया कि कुछ रिश्ते वाकई कभी फीके नहीं पड़ते।और यही संदेश उन्होंने पूरे देश के लिए छोड़ा — कि जगह चाहे बदल जाए, पर अपनी मिट्टी की खुशबू कभी नहीं जाती।