नारनौंद में पराली जलाने पर दो किसानों पर FIR:सैटेलाइट से मिली जानकारी, कृषि विभाग की टीम ने मौके पर जाकर की जांच
नारनौंद क्षेत्र में पराली जलाने के आरोप में प्रशासन ने दो किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए केस दर्ज किए हैं। सैटेलाइट से मिली जानकारी और मौके पर हुई जांच में पुष्टि हुई कि दोनों किसानों ने धान कटाई के बाद खेतों में पराली जलाई थी। यह कृत्य भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 (ए) और वायु अधिनियम, 1981 के तहत दंडनीय अपराध है। पहला मामला गांव भैणी अमीरपुर का है। यहां किसान बलराज पर अपने खेत में पराली जलाने का आरोप है। राजस्व विभाग के पटवारी, कृषि विभाग के पर्यवेक्षक प्रदीप कुमार, ग्राम सचिव और गांव के नंबरदार की टीम ने मौके पर निरीक्षण किया। जांच में पाया गया कि लगभग 2 कनाल क्षेत्र में फसल अवशेषों में आग लगाई गई थी। दूसरा मामला गांव पाली से संबंधित है, जहां किसान सोनू ने अपने खेत (किला नंबर 3/1) में पराली जलाई। इस खेत में 7 कनाल 13 मरला क्षेत्र में फसल अवशेष जलाने की पुष्टि हुई। मौके पर राजस्व विभाग के पटवारी, कृषि पर्यवेक्षक विनोद, ग्राम सचिव हरिमोहन और गांव के नंबरदार की मौजूदगी में रिपोर्ट तैयार की गई। मामले की जांच कर रही पुलिस दोनों ही मामलों में संबंधित विभागों ने थाना नारनौंद में शिकायतें दर्ज करवाईं। नारनौंद थाना पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 (ए) और वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम, 1981 की धारा 3 के तहत मामले दर्ज किए हैं। इन मामलों की जांच एएसआई अमन कुमार को सौंपी गई है। कृषि विभाग की किसानों को चेतावनी कृषि विभाग के खंड कृषि अधिकारी पवन भारद्वाज ने किसानों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने पर न केवल जुर्माना वसूला जाएगा, बल्कि कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। भारद्वाज ने बताया कि पराली जलाने से पर्यावरण को गंभीर नुकसान होता है और वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल अवशेष प्रबंधन के वैकल्पिक उपाय अपनाएं। इनमें हैप्पी सीडर, सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम और डी-कंपोजर का उपयोग शामिल है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी परिस्थिति में पराली जलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी।
नारनौंद क्षेत्र में पराली जलाने के आरोप में प्रशासन ने दो किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए केस दर्ज किए हैं। सैटेलाइट से मिली जानकारी और मौके पर हुई जांच में पुष्टि हुई कि दोनों किसानों ने धान कटाई के बाद खेतों में पराली जलाई थी। यह कृत्य भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 (ए) और वायु अधिनियम, 1981 के तहत दंडनीय अपराध है। पहला मामला गांव भैणी अमीरपुर का है। यहां किसान बलराज पर अपने खेत में पराली जलाने का आरोप है। राजस्व विभाग के पटवारी, कृषि विभाग के पर्यवेक्षक प्रदीप कुमार, ग्राम सचिव और गांव के नंबरदार की टीम ने मौके पर निरीक्षण किया। जांच में पाया गया कि लगभग 2 कनाल क्षेत्र में फसल अवशेषों में आग लगाई गई थी। दूसरा मामला गांव पाली से संबंधित है, जहां किसान सोनू ने अपने खेत (किला नंबर 3/1) में पराली जलाई। इस खेत में 7 कनाल 13 मरला क्षेत्र में फसल अवशेष जलाने की पुष्टि हुई। मौके पर राजस्व विभाग के पटवारी, कृषि पर्यवेक्षक विनोद, ग्राम सचिव हरिमोहन और गांव के नंबरदार की मौजूदगी में रिपोर्ट तैयार की गई। मामले की जांच कर रही पुलिस दोनों ही मामलों में संबंधित विभागों ने थाना नारनौंद में शिकायतें दर्ज करवाईं। नारनौंद थाना पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 (ए) और वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम, 1981 की धारा 3 के तहत मामले दर्ज किए हैं। इन मामलों की जांच एएसआई अमन कुमार को सौंपी गई है। कृषि विभाग की किसानों को चेतावनी कृषि विभाग के खंड कृषि अधिकारी पवन भारद्वाज ने किसानों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने पर न केवल जुर्माना वसूला जाएगा, बल्कि कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। भारद्वाज ने बताया कि पराली जलाने से पर्यावरण को गंभीर नुकसान होता है और वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल अवशेष प्रबंधन के वैकल्पिक उपाय अपनाएं। इनमें हैप्पी सीडर, सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम और डी-कंपोजर का उपयोग शामिल है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी परिस्थिति में पराली जलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी।