गुरुग्राम में प्रसव के दौरान नवजात की मौत, VIDEO:11 साल बाद मिलने वाली खुशी छिनी; परिजनों का हंगामा, डॉक्टर्स पर आरोप

गुरुग्राम जिले के सोहना के नागरिक अस्पताल में प्रसव के दौरान एक नवजात शिशु की मौत हो गई। इस घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल परिसर में जोरदार हंगामा किया और डाक्टरों एवं स्टाफ पर लापरवाही के आरोप लगाए। परिजनों का कहना है कि यदि समय रहते इलाज मिलता तो बच्चे की जान बचाई जा सकती थी। परिजनों का आरोप है कि ड्यूटी के दौरान मेल डॉक्टर अस्पताल में मौजूद नहीं था। नर्स व अन्य स्टाफ महिला की डिलीवरी कर रहे थे। हाजीपुर निवासी शमशेर ने बताया कि उनकी रिश्तेदार कोमल को सोमवार की सुबह प्रसव पीड़ा होने पर सोहना नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टर की अनुपस्थिति में नर्स ने डिलीवरी का प्रयास किया अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा बार-बार बताया गया कि महिला की स्थिति सामान्य है और चिंता की कोई बात नहीं है। दोपहर लगभग तीन बजे डॉक्टरों ने अचानक यह कहा कि बच्चा गर्भ में उल्टा है और तुरंत उसे किसी निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। शमशेर के अनुसार, जैसे ही परिजन एंबुलेंस की व्यवस्था कर अस्पताल लौटे, उन्हें बताया गया कि बच्चे की मृत्यु हो चुकी है। इस सूचना से आहत परिजनों ने जब स्पष्टीकरण मांगा तो अस्पताल स्टाफ ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिजनों का यह भी आरोप है कि डिलीवरी के दौरान डॉक्टर की अनुपस्थिति में एक नर्स द्वारा प्रसव कराने का प्रयास किया गया, जिससे जटिलताएं उत्पन्न हुईं। 11 साल बाद कोमल बनने वाली थी मां परिजनों ने आरोप लगाया कि कोमल को 11 वर्षों बाद संतान सुख प्राप्त होने वाला था, परंतु अस्पताल की लापरवाही ने उनके सपनों को तोड़ दिया। इस दर्दनाक घटना के बाद कोमल और उसके परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। घटना के संबंध में परिजनों ने एक लिखित शिकायत वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (एस.एम.ओ) डॉ. रणविजय को सौंपी है। निष्पक्ष जांच का दिया आश्वासन डॉ. रणविजय ने आश्वासन दिया है कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी और जो भी स्टाफ दोषी पाया जाएगा, उसके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी। सरकार द्वारा जच्चा-बच्चा की सुरक्षा को लेकर स्वास्थ्य विभाग को सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हैं, परंतु जमीनी स्तर पर इन निर्देशों का पालन न होना और स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही, ग्रामीण एवं सामान्य वर्ग के लोगों के लिए घातक सिद्ध हो रही है। कठोर कदम उठाए प्रशासन इस दुखद घटना ने एक बार फिर से सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों की मांग है कि दोषियों को शीघ्र दंडित किया जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए अस्पताल प्रशासन को कठोर कदम उठाने चाहिए।

Sep 15, 2025 - 19:26
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गुरुग्राम में प्रसव के दौरान नवजात की मौत, VIDEO:11 साल बाद मिलने वाली खुशी छिनी; परिजनों का हंगामा, डॉक्टर्स पर आरोप
गुरुग्राम जिले के सोहना के नागरिक अस्पताल में प्रसव के दौरान एक नवजात शिशु की मौत हो गई। इस घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल परिसर में जोरदार हंगामा किया और डाक्टरों एवं स्टाफ पर लापरवाही के आरोप लगाए। परिजनों का कहना है कि यदि समय रहते इलाज मिलता तो बच्चे की जान बचाई जा सकती थी। परिजनों का आरोप है कि ड्यूटी के दौरान मेल डॉक्टर अस्पताल में मौजूद नहीं था। नर्स व अन्य स्टाफ महिला की डिलीवरी कर रहे थे। हाजीपुर निवासी शमशेर ने बताया कि उनकी रिश्तेदार कोमल को सोमवार की सुबह प्रसव पीड़ा होने पर सोहना नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टर की अनुपस्थिति में नर्स ने डिलीवरी का प्रयास किया अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा बार-बार बताया गया कि महिला की स्थिति सामान्य है और चिंता की कोई बात नहीं है। दोपहर लगभग तीन बजे डॉक्टरों ने अचानक यह कहा कि बच्चा गर्भ में उल्टा है और तुरंत उसे किसी निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। शमशेर के अनुसार, जैसे ही परिजन एंबुलेंस की व्यवस्था कर अस्पताल लौटे, उन्हें बताया गया कि बच्चे की मृत्यु हो चुकी है। इस सूचना से आहत परिजनों ने जब स्पष्टीकरण मांगा तो अस्पताल स्टाफ ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिजनों का यह भी आरोप है कि डिलीवरी के दौरान डॉक्टर की अनुपस्थिति में एक नर्स द्वारा प्रसव कराने का प्रयास किया गया, जिससे जटिलताएं उत्पन्न हुईं। 11 साल बाद कोमल बनने वाली थी मां परिजनों ने आरोप लगाया कि कोमल को 11 वर्षों बाद संतान सुख प्राप्त होने वाला था, परंतु अस्पताल की लापरवाही ने उनके सपनों को तोड़ दिया। इस दर्दनाक घटना के बाद कोमल और उसके परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। घटना के संबंध में परिजनों ने एक लिखित शिकायत वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (एस.एम.ओ) डॉ. रणविजय को सौंपी है। निष्पक्ष जांच का दिया आश्वासन डॉ. रणविजय ने आश्वासन दिया है कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी और जो भी स्टाफ दोषी पाया जाएगा, उसके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी। सरकार द्वारा जच्चा-बच्चा की सुरक्षा को लेकर स्वास्थ्य विभाग को सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हैं, परंतु जमीनी स्तर पर इन निर्देशों का पालन न होना और स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही, ग्रामीण एवं सामान्य वर्ग के लोगों के लिए घातक सिद्ध हो रही है। कठोर कदम उठाए प्रशासन इस दुखद घटना ने एक बार फिर से सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों की मांग है कि दोषियों को शीघ्र दंडित किया जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए अस्पताल प्रशासन को कठोर कदम उठाने चाहिए।