‘10 हजारिया’ से नीतीश की वापसी, JDU-चिराग की जोड़ी हिट:10 फैक्टर जिन्होंने NDA की हवा बनाई, महागठबंधन आपसी लड़ाई में डूबा

बिहार में फिर से नीतीश सरकार का आना तय है। दोपहर 12:30 बजे तक के रुझानों में NDA को करीब 190 सीटें मिल रही हैं। JDU की वापसी हुई है और पार्टी 78 सीटों पर आगे चल रही है। BJP 87 और चिराग पासवान की LJP(R) 21 सीटों पर आगे है। पिछली बार JDU 43, BJP 74 और LJP(R) एक सीट जीती थी। नीतीश कुमार चुनाव से पहले लगातार ऐसी घोषणाएं करते रहे, जिनके जरिए महिलाओं, बुजुर्गों, युवाओं, लोअर मिडिल क्लास को सीधे फायदा पहुंचा। हालांकि इस बड़ी जीत की ये इकलौती वजह नहीं है। चिराग पासवान के साथ आने से JDU को 35 सीटों का फायदा होता दिख रहा है। उधर NDA में आने का चिराग को भी फायदा हुआ है। पढ़िए NDA की जीत की 10 वजह... 1. महिला वोट बैंक 1.21 करोड़ जीविका दीदी को 10 हजार रुपए देना मास्टरस्ट्रोक 29 अगस्त, 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला रोजगार योजना का ऐलान किया। कहा कि 18 से 60 साल उम्र की महिलाओं को बिजनेस शुरू करने के लिए दो लाख रुपए देंगे। शुरुआत में अकाउंट में 10 हजार रुपए भेजेंगे। 26 सितंबर को पहली बार महिलाओं के खाते में पैसा पहुंच गया। चुनाव से पहले 1.21 करोड़ महिलाओं के खाते में पैसा भेजा जा चुका था। महिलाओं में ये योजना 10 हजारिया नाम से चर्चित हो गई। बिहार में 3.51 करोड़ महिला वोटर हैं। इनमें 1.34 करोड़ जीविका दीदी हैं। यानी करीब 40% महिला वोटर जीविका दीदी योजना से जुड़ी हैं। महिलाएं नीतीश की कोर वोट बैंक मानी जाती हैं। 2020 में 2.08 करोड़ महिलाओं ने वोट दिए थे। इनमें 38% वोट NDA को मिले। 10 हजार रुपए की मदद ने इस वोट बैंक को और मजबूत कर दिया। इसके अलावा सरकार ने आशा वर्कर को मिलने वाली सैलरी 1 हजार रुपए से 3 हजार रुपए कर दी। ममता कार्यकर्ताओं को हर डिलीवरी पर मिलने वाले पैसे 300 रुपए से 600 रुपए कर दिए। बिहार में 1 लाख आशा वर्कर, 5 हजार आशा फैसिलिटेटर और 5 हजार से ज्यादा ममता कार्यकर्ता हैं। वोट वाइब के फाउंडर अमिताभ तिवारी कहते हैं, 'सरकार ने 1.21 करोड़ महिलाओं को 10 हजार रुपए डिस्ट्रीब्यूट किए। ये कुल महिला वोटर का 35% हैं। भारत में एक परिवार में तीन वोटर माने जाते हैं। 1.21 करोड़ महिलाओं के हिसाब से देखें, तो इस योजना ने 3.63 करोड़ वोटर्स पर असर किया।' बिहार में कुल 7.4 करोड़ वोटर हैं, यानी ये स्कीम आधे वोटर बेस को इंपैक्ट करती है। इसका फायदा NDA को मिला। इस बार महिलाओं की वोटिंग 71.6% रही। महागठबंधन की तरफ से तेजस्वी यादव ने पहले फेज की वोटिंग से 2 दिन पहले 6 नवंबर को ऐलान किया कि हमारी सरकार बनी, तो हर साल 14 जनवरी को हर महिला को 30 हजार रुपए देंगे। रिजल्ट बताता है कि इस वादे का महिलाओं पर बहुत असर नहीं हुआ। 2. लोअर मिडिल क्लास 125 यूनिट बिजली फ्री, 1.67 करोड़ परिवारों को सीधे फायदा बिहार में एक जुलाई से घरेलू कनेक्शन पर 125 यूनिट बिजली फ्री कर दी। CM नीतीश कुमार ने कहा कि इसका फायदा 1.67 करोड़ परिवारों को होगा। इस पर 3,376 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। 1 अगस्त 2025 से बिहार के 1.67 करोड़ परिवारों को 125 यूनिट बिजली फ्री मिल रही है। इनमे 1.2 करोड़ ग्रामीण और 47 लाख शहरी इलाके के परिवार है। एक परिवार में तीन वोटर मानें, तो 1.67 करोड़ परिवार के हिसाब से करीब 5 करोड़ वोटर पर इस योजना का असर हुआ। महागठबंधन ने भी 200 यूनिट बिजली फ्री देने का वादा किया था, लेकिन चुनाव के नतीजे बताते हैं कि ये बेअसर ही रहा। 3. बुजुर्ग और आश्रित पेंशन 400 से 1100 रुपए की, 1.11 करोड़ लोगों को फायदा नीतीश सरकार ने 22 जून से सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत मिलने वाली मदद 400 रुपए से बढ़ाकर 1100 रुपए कर दिया। ये मदद 1.11 करोड़ लोगों को मिलती है। इस पर सरकार करीब 1227 करोड़ रुपए खर्च करती है। इसके जवाब में महागठबंधन ने विधवा और बुजुर्गों को 1500 रुपए महीने पेंशन का वादा किया। ये भी कहा कि इसमें हर साल 200 रुपए बढ़ाए जाएंगे। दिव्यांगों को तीन हजार रुपए महीने देने का वादा किया, लेकिन इसका असर नहीं दिखा। 4. युवा और नए वोटर ग्रेजुएट बेरोजगारों को एक हजार रुपए महीने भत्ता, 7.6 लाख वोटर पर असर 30 सितंबर, 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर बताया कि ग्रेजुएट कर चुके 20 से 25 उम्र के युवाओं को हर महीने एक हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। ये भत्ता दो साल तक मिलना है। अभी 7.6 लाख युवा इस योजना का फायदा ले रहे हैं। इस योजना पर हर महीने 76 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। इसके अलावा 2030 तक एक करोड़ युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार देने की भी बात कही गई। 5. स्टूडेंट स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड पर ब्याज माफ, करीब 4 लाख को फायदा सरकार ने क्रेडिट कार्ड योजना के तहत दिए जाने वाले लोन पर ब्याज फ्री कर दिया। 2 लाख रुपए तक का लोन चुकाने का टाइम भी 5 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दिया। इससे ज्यादा का लोन चुकाने का वक्त 7 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दिया। इसका फायदा 4 लाख छात्रों को मिल रहा है। 6. जातीय समीकरण टिकट बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग, चिराग, मांझी, उपेंद्र कुशवाहा से फायदा NDA ने टिकट बंटवारे में जातीय समीकरण का ध्यान रखा। गठबंधन में शामिल 5 पार्टियों ने 85 सवर्ण, 39 दलित, 37 कुर्मी-कोइरी, 29 अति पिछड़ा, 27 वैश्य, 19 यादव, 5 मुस्लिम और 2 आदिवासी समुदाय के कैंडिडेट उतारे हैं। 2020 में NDA से दूर रहे चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को वापस लाए। जीतन राम मांझी पहले से साथ थे। दलित, अति पिछड़ा और कुशवाहा वोट साध लिए। चिराग पासवान JDU के हनुमान साबित बिहार में पासवान कम्युनिटी की आबादी 5.32% है। ये बिहार के हर जिले में हैं। करीब 50 सीटों को प्रभावित करते हैं। दरौली, सिमरी बख्तियारपुर, साहेबपुर कमाल, बखरी, बोधगया, रजौली, फुलवारी, बलरामपुर, बोचहा, चेनारी, नाथनगर, मसौढ़ी, कल्याणपुर सीटों हार-जीत तय करते हैं। चिराग पासवान खुद को PM मोदी का हनुमान बताते हैं, लेकिन इस बार नीतीश के लिए हनुमान बन गए। उनकी पार्टी 20 सीटों पर आगे चल रही है। ANI के बिहार ब्यूरो चीफ मुकेश सिंह कहते हैं, ‘चिराग पा

Nov 14, 2025 - 13:29
 0
‘10 हजारिया’ से नीतीश की वापसी, JDU-चिराग की जोड़ी हिट:10 फैक्टर जिन्होंने NDA की हवा बनाई, महागठबंधन आपसी लड़ाई में डूबा
बिहार में फिर से नीतीश सरकार का आना तय है। दोपहर 12:30 बजे तक के रुझानों में NDA को करीब 190 सीटें मिल रही हैं। JDU की वापसी हुई है और पार्टी 78 सीटों पर आगे चल रही है। BJP 87 और चिराग पासवान की LJP(R) 21 सीटों पर आगे है। पिछली बार JDU 43, BJP 74 और LJP(R) एक सीट जीती थी। नीतीश कुमार चुनाव से पहले लगातार ऐसी घोषणाएं करते रहे, जिनके जरिए महिलाओं, बुजुर्गों, युवाओं, लोअर मिडिल क्लास को सीधे फायदा पहुंचा। हालांकि इस बड़ी जीत की ये इकलौती वजह नहीं है। चिराग पासवान के साथ आने से JDU को 35 सीटों का फायदा होता दिख रहा है। उधर NDA में आने का चिराग को भी फायदा हुआ है। पढ़िए NDA की जीत की 10 वजह... 1. महिला वोट बैंक 1.21 करोड़ जीविका दीदी को 10 हजार रुपए देना मास्टरस्ट्रोक 29 अगस्त, 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला रोजगार योजना का ऐलान किया। कहा कि 18 से 60 साल उम्र की महिलाओं को बिजनेस शुरू करने के लिए दो लाख रुपए देंगे। शुरुआत में अकाउंट में 10 हजार रुपए भेजेंगे। 26 सितंबर को पहली बार महिलाओं के खाते में पैसा पहुंच गया। चुनाव से पहले 1.21 करोड़ महिलाओं के खाते में पैसा भेजा जा चुका था। महिलाओं में ये योजना 10 हजारिया नाम से चर्चित हो गई। बिहार में 3.51 करोड़ महिला वोटर हैं। इनमें 1.34 करोड़ जीविका दीदी हैं। यानी करीब 40% महिला वोटर जीविका दीदी योजना से जुड़ी हैं। महिलाएं नीतीश की कोर वोट बैंक मानी जाती हैं। 2020 में 2.08 करोड़ महिलाओं ने वोट दिए थे। इनमें 38% वोट NDA को मिले। 10 हजार रुपए की मदद ने इस वोट बैंक को और मजबूत कर दिया। इसके अलावा सरकार ने आशा वर्कर को मिलने वाली सैलरी 1 हजार रुपए से 3 हजार रुपए कर दी। ममता कार्यकर्ताओं को हर डिलीवरी पर मिलने वाले पैसे 300 रुपए से 600 रुपए कर दिए। बिहार में 1 लाख आशा वर्कर, 5 हजार आशा फैसिलिटेटर और 5 हजार से ज्यादा ममता कार्यकर्ता हैं। वोट वाइब के फाउंडर अमिताभ तिवारी कहते हैं, 'सरकार ने 1.21 करोड़ महिलाओं को 10 हजार रुपए डिस्ट्रीब्यूट किए। ये कुल महिला वोटर का 35% हैं। भारत में एक परिवार में तीन वोटर माने जाते हैं। 1.21 करोड़ महिलाओं के हिसाब से देखें, तो इस योजना ने 3.63 करोड़ वोटर्स पर असर किया।' बिहार में कुल 7.4 करोड़ वोटर हैं, यानी ये स्कीम आधे वोटर बेस को इंपैक्ट करती है। इसका फायदा NDA को मिला। इस बार महिलाओं की वोटिंग 71.6% रही। महागठबंधन की तरफ से तेजस्वी यादव ने पहले फेज की वोटिंग से 2 दिन पहले 6 नवंबर को ऐलान किया कि हमारी सरकार बनी, तो हर साल 14 जनवरी को हर महिला को 30 हजार रुपए देंगे। रिजल्ट बताता है कि इस वादे का महिलाओं पर बहुत असर नहीं हुआ। 2. लोअर मिडिल क्लास 125 यूनिट बिजली फ्री, 1.67 करोड़ परिवारों को सीधे फायदा बिहार में एक जुलाई से घरेलू कनेक्शन पर 125 यूनिट बिजली फ्री कर दी। CM नीतीश कुमार ने कहा कि इसका फायदा 1.67 करोड़ परिवारों को होगा। इस पर 3,376 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। 1 अगस्त 2025 से बिहार के 1.67 करोड़ परिवारों को 125 यूनिट बिजली फ्री मिल रही है। इनमे 1.2 करोड़ ग्रामीण और 47 लाख शहरी इलाके के परिवार है। एक परिवार में तीन वोटर मानें, तो 1.67 करोड़ परिवार के हिसाब से करीब 5 करोड़ वोटर पर इस योजना का असर हुआ। महागठबंधन ने भी 200 यूनिट बिजली फ्री देने का वादा किया था, लेकिन चुनाव के नतीजे बताते हैं कि ये बेअसर ही रहा। 3. बुजुर्ग और आश्रित पेंशन 400 से 1100 रुपए की, 1.11 करोड़ लोगों को फायदा नीतीश सरकार ने 22 जून से सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत मिलने वाली मदद 400 रुपए से बढ़ाकर 1100 रुपए कर दिया। ये मदद 1.11 करोड़ लोगों को मिलती है। इस पर सरकार करीब 1227 करोड़ रुपए खर्च करती है। इसके जवाब में महागठबंधन ने विधवा और बुजुर्गों को 1500 रुपए महीने पेंशन का वादा किया। ये भी कहा कि इसमें हर साल 200 रुपए बढ़ाए जाएंगे। दिव्यांगों को तीन हजार रुपए महीने देने का वादा किया, लेकिन इसका असर नहीं दिखा। 4. युवा और नए वोटर ग्रेजुएट बेरोजगारों को एक हजार रुपए महीने भत्ता, 7.6 लाख वोटर पर असर 30 सितंबर, 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर बताया कि ग्रेजुएट कर चुके 20 से 25 उम्र के युवाओं को हर महीने एक हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। ये भत्ता दो साल तक मिलना है। अभी 7.6 लाख युवा इस योजना का फायदा ले रहे हैं। इस योजना पर हर महीने 76 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। इसके अलावा 2030 तक एक करोड़ युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार देने की भी बात कही गई। 5. स्टूडेंट स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड पर ब्याज माफ, करीब 4 लाख को फायदा सरकार ने क्रेडिट कार्ड योजना के तहत दिए जाने वाले लोन पर ब्याज फ्री कर दिया। 2 लाख रुपए तक का लोन चुकाने का टाइम भी 5 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दिया। इससे ज्यादा का लोन चुकाने का वक्त 7 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दिया। इसका फायदा 4 लाख छात्रों को मिल रहा है। 6. जातीय समीकरण टिकट बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग, चिराग, मांझी, उपेंद्र कुशवाहा से फायदा NDA ने टिकट बंटवारे में जातीय समीकरण का ध्यान रखा। गठबंधन में शामिल 5 पार्टियों ने 85 सवर्ण, 39 दलित, 37 कुर्मी-कोइरी, 29 अति पिछड़ा, 27 वैश्य, 19 यादव, 5 मुस्लिम और 2 आदिवासी समुदाय के कैंडिडेट उतारे हैं। 2020 में NDA से दूर रहे चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को वापस लाए। जीतन राम मांझी पहले से साथ थे। दलित, अति पिछड़ा और कुशवाहा वोट साध लिए। चिराग पासवान JDU के हनुमान साबित बिहार में पासवान कम्युनिटी की आबादी 5.32% है। ये बिहार के हर जिले में हैं। करीब 50 सीटों को प्रभावित करते हैं। दरौली, सिमरी बख्तियारपुर, साहेबपुर कमाल, बखरी, बोधगया, रजौली, फुलवारी, बलरामपुर, बोचहा, चेनारी, नाथनगर, मसौढ़ी, कल्याणपुर सीटों हार-जीत तय करते हैं। चिराग पासवान खुद को PM मोदी का हनुमान बताते हैं, लेकिन इस बार नीतीश के लिए हनुमान बन गए। उनकी पार्टी 20 सीटों पर आगे चल रही है। ANI के बिहार ब्यूरो चीफ मुकेश सिंह कहते हैं, ‘चिराग पासवान के आने से NDA को फायदा है। वे जिधर होते हैं, पासवान वोट उधर हो जाते हैं।' शाहाबाद, मगध और तिरहुत में उपेंद्र कुशवाहा मददगार बिहार की कुल आबादी में करीब 4.27% कुशवाहा हैं। इनकी ज्यादा आबादी शाहाबाद, मगध और तिरहुत में है। मिथिला, कोसी, सीमांचल और अंग में भी असर है। बिहार में करीब 70 सीटों पर कुशवाहा वोटर जीत-हार तय करते है। इनमें औरंगाबाद, उजियारपुर, काराकाट, समस्तीपुर, प्राणपुर, वाल्मीकि नगर, आरा, पूर्णिया, अमरपुर, बिहार शरीफ, नालंदा, मीनापुर, जगदीशपुर, तारापुर, जीरादेई, महनार, विभूतिपुर, हथुआ, सासाराम, सीवान सदर, दिनारा, बाजपट्टी और पटना साहेब सीट पर कुशवाहा वोटर सबसे ज्यादा हैं। मांझी का दबदबा कायम बिहार में मुसहर जाति के 3.08% लोग हैं। दक्षिण बिहार खासकर गया जिले में मुसहर जाति के लोग सबसे ज्यादा हैं। बिहार की 35 सीटों पर मुसहर कम्युनिटी का असर है। इनमें इमामगंज, कुशेश्वरस्थान, बेलागंज, बाराचट्टी, टेकारी, तारारी, आगियांव, चेरिया बरियारपुर, अलौली सीटें शामिल हैं। मांझी ने 6 सीटों पर कैंडिडेट उतारे, इनमें 4 पर आगे चल रहे हैं। 7. डेवलपमेंट एयरपोर्ट, पुल के साथ मंदिर का मेल BJP और JDU ने चुनाव से पहले जातीय समीकरण तो दुरुस्त किए ही, ये भी दिखाया कि सरकार डेवलपमेंट पर भी पूरा ध्यान दे रही है। बीते 3 महीनों में पूर्णिया एयरपोर्ट और बेगूसराय में केबल ब्रिज का उद्घाटन किए गए। सीतामढ़ी के पुनौरा धाम में जानकी मंदिर के जरिए हिंदुत्व की पॉलिटिक्स भी साधी। पूर्णिया एयरपोर्ट पूर्णिया एयरपोर्ट का उद्घाटन करने PM नरेंद्र मोदी आए थे। पूर्णिया जिला सीमांचल में आता है, जहां विधानसभा की 24 सीटें आती हैं। ये 2015 के PM पैकेज में शामिल था। पटना, गया और दरभंगा के बाद पूर्णिया बिहार का चौथा एयरपोर्ट है। इससे पूर्णिया, अररिया, कटिहार, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल के लोगों को फायदा मिला है। बेगूसराय में 6 लेन केबल ब्रिज पुल बेगूसराय में गंगा नदी पर सिमरिया और औंटा के बीच बना सिक्स लेन केबल ब्रिज करीब 33 सीटों को जोड़ता है। इनमें बेगूसराय की 7 सीटों के अलावा मिथिलांचल के दरभंगा, मधुबनी, मगध के गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद और अरवल की 26 सीटें शामिल हैं। जानकी मंदिर, सीतामढ़ी पुनौरा धाम में अयोध्या के राममंदिर की तर्ज पर जानकी मंदिर बनना है। गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंदिर का भूमिपूजन किया। इसे बिहार में हिंदुत्व की पॉलिटिक्स की शुरुआत माना गया। एक्सपर्ट मानते हैं कि धर्म की सियासत से BJP ने यूपी में मंडल को हराया। अब वही फॉर्मूला धीरे-धीरे बिहार में लागू किया जा सकता है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट मणिकांत ठाकुर बताते हैं, ’सीता मंदिर के शिलान्यास का फायदा ‌‌BJP को मिलेगा। विपक्षी पार्टियों की सबसे बड़ी कोशिश है कि हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण न हो पाए और BJP जानती है कि बिना हिंदुओं के ध्रुवीकरण के कामयाब नहीं हो सकते।' 8. PM मोदी 16 दिन में 14 जिलों में गए PM मोदी ने चुनाव के दौरान 14 सभाएं कीं। शुरुआत 24 अक्टूबर को समस्तीपुर के कर्पूरी ग्राम से हुई। फिर बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, छपरा, सहरसा, कटिहार, आरा, नवादा, भागलपुर, अररिया, औरंगाबाद, भभुआ, सीतामढ़ी और बेतिया में सभा की। इन जिलों में 100 से ज्यादा सीटें हैं। ज्यादातर पर NDA आगे है। 9. प्रशांत किशोर बेअसर इस बार चुनाव में प्रशांत किशोर सबसे बड़ा फैक्टर थे। उन्होंने 240 सीटों पर चुनाव लड़ा। आक्रामक प्रचार किया। हालांकि, इसका असर नहीं हुआ। उनकी पार्टी जन सुराज के सारे कैंडिडेट पिछड़ रहे हैं। माना जा रहा था कि अगर जन सुराज का वोट प्रतिशत बढ़ा तो NDA को नुकसान होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 10. CM फेस से सीटों के बंटवारे तक, महागठबंधन फंसता रहा महागठबंधन की सीटें 50 तक भी नहीं पहुंची हैं। इसकी बड़ी वजह RJD और कांग्रेस का खराब परफॉर्मेंस है। राहुल और तेजस्वी ने वोटर अधिकार यात्रा से महागठबंधन को एक दिखाने की कोशिश की, लेकिन तेजस्वी को CM फेस घोषित करने पर उनमें फूट पड़ गई। बाद में कांग्रेस भी तेजस्वी को CM फेस बनाने पर तैयार हो गई, लेकिन तब तक मैसेज चला गया कि RJD और कांग्रेस में मनमुटाव है। इसका असर प्रचार से लेकर टिकट बंटवारे तक दिखा। आखिरी वक्त तक टिकट बंटवारा नहीं चुनाव के पहले फेज के लिए नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन तक महागठबंधन में तनातनी होती रही। सीट बंटवारे पर RJD और कांग्रेस अड़ी रहीं। इसका नतीजा ये हुआ कि सभी पार्टियों के कैंडिडेट नॉमिनेशन कराते रहे, लेकिन कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर लड़ेगी, यह साफ नहीं हुआ। आखिर में RJD 146, कांग्रेस, 59, VIP 13, CPI-ML 20, CPI 7, CPM 4 और IIP 2 पर चुनाव लड़ी। 241 सीटों पर महागठबंधन के 250 कैंडिडेट उतरे। पूर्वी चंपारण की सुगौली और रोहतास की मोहनिया सीट पर महागठबंधन ने निर्दलीय को समर्थन दिया। 9 सीटों पर एक-दूसरे के सामने कैंडिडेट उतारे, 7 पर पीछे सीटों पर सहमति न बनने पर महागठबंधन की पार्टियों ने एक-दूसरे के सामने कैंडिडेट उतारना शुरू कर दिया। इससे उसके वोटर कन्फ्यूज हो गए। कुल 9 सीटों पर ऐसा हुआ। वादे और मुद्दे दोनों बेअसर चुनाव की शुरुआत से कांग्रेस और RJD ने SIR, वोट चोरी और नीतीश कुमार की सेहत को मुद्दा बनाया। वोट चोरी के मुद्दे पर वोटर अधिकार यात्रा निकाली। इसमें भीड़ तो जुटी, लेकिन वोट में नहीं बदली। तेजस्वी यादव ने नीतीश को अचेत मुख्यमंत्री बोलकर उनकी सेहत पर सवाल उठाए। उन्हें दिमागी तौर पर बीमार बताया, लेकिन नीतीश ने 25 दिन में 181 रैलियां करके इन बातों को झुठला दिया। हर दिन एवरेज 7 सभाएं कीं और 8 घंटे प्रचार किया। वादों की बात करें तो महागठबंधन ने NDA के ज्यादा स्कीम से ज्यादा मदद का वादा किया। हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी, माई बहिन योजना में महिलाओं को एकमुश्त 30 हजार रुपए, 500 रुपए में गैस सिलेंडर, 25 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज, भूमिहीन परिवारों को 3 से 5 डिसमिल जमीन और 200 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा किया। सबसे बड़ा वादा हर परिवार को एक नौकरी देने का था, लेकिन इस पर सवाल उठ गए। 2023 के जाति सर्वे के मुताबिक, बिहार में 2.83 करोड़ परिवार हैं। 20 लाख लोग पहले से सरकारी नौकरी कर रहे है। खाली पद भी सिर्फ 3 लाख हैं। ऐसे में 2.63 करोड़ परिवार को नौकरी देना बहुत मुश्किल बात है। लोगों ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया। पटना के महेंद्र मालाकार ने मजाकिया लहजे में कहते हैं, ‘चुनावी माहौल में नेता कुछ भी कह सकते हैं। हम भी कह सकते हैं कि हमें मुख्यमंत्री बना दो, एक-एक लाख रुपए दे देंगे। सभी को आसमान में ले जाकर मकान बना देंगे। कहना आसान है, लेकिन कुर्सी मिलने के बाद वादा पूरा करना मुश्किल है।’