डीडीयू में 40 साल बाद बड़ा बदलाव:लागू हुआ नया अध्यादेश, पहली बार शामिल हुई 'डॉक्टर्स ऑफ लॉ' डिग्री
डी.डी.यू. गोरखपुर विश्वविद्यालय ने 40 वर्ष बाद बड़ा शैक्षणिक सुधार करते हुए नया डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (D.Litt.) / डॉक्टर ऑफ साइंस (D.Sc.) / डॉक्टर ऑफ लॉज़ (L.L.D.) अध्यादेश–2025 लागू कर दिया है। यह नया नियम अब 1985 के पुराने अध्यादेश की जगह लेगा। राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने इसे उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 52(5) के अंतर्गत स्वीकृति दी है। कुलपति ने कहा कि लगभग 40 वर्ष बाद आया यह नया अध्यादेश विश्वविद्यालय के लिए ऐतिहासिक बदलाव है। इससे शोध की गुणवत्ता बढ़ेगी और विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहचान मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि नए नियमों से D.Litt., D.Sc. और L.L.D. की डिग्रियों का स्तर और अधिक ऊँचा होगा। पहली बार शामिल हुई L.L.D. डिग्री अब तक विश्वविद्यालय में केवल D.Litt. और D.Sc. की डिग्री दी जाती थी। नए अध्यादेश में पहली बार L.L.D. (Doctor of Laws) को भी शामिल किया गया है, जिससे विधि विषय में उच्च स्तर के शोध को बढ़ावा मिलेगा। पुराना अध्यादेश बहुत संक्षिप्त था और शोध से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें स्पष्ट नहीं थीं। नया अध्यादेश विस्तृत, पारदर्शी और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित है। 1. स्पष्ट पात्रता नियम पहली बार विस्तृत योग्यता तय की गई है— मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से Ph.D. अनिवार्य Ph.D. के बाद 10 वर्ष का शोध/शिक्षण/पेशेवर अनुभव Scopus/WoS/SCI में कम से कम 15 उच्च गुणवत्ता वाले शोधपत्र शोधपत्रों में प्रथम या Corresponding लेखक होना आवश्यक
पुराने अध्यादेश में प्रकाशनों की संख्या या गुणवत्ता का कोई उल्लेख नहीं था। 2. पारदर्शी प्रवेश प्रक्रिया आवेदन के साथ– बायोडाटा 1500–3000 शब्द का शोध-सार 1000 शब्द का पूर्व शोध-विवरण सभी शोधपत्रों के प्रमाण UGC 2018 Plagiarism नियमों का पालन
पहले प्रवेश प्रक्रिया लगभग तय ही नहीं थी। 3. पोस्ट-डॉक्टरल रिसर्च कमेटी अब प्रवेश और मूल्यांकन के लिए एक नई समिति बनाई जाएगी, जिसमें कुलपति, डीन, विभागाध्यक्ष और दो विषय विशेषज्ञ शामिल होंगे। 4. निश्चित समय सीमा शोध पूरा करने के लिए न्यूनतम 2 वर्ष और अधिकतम 4 वर्ष हर साल पंजीकरण का नवीनीकरण अनिवार्य पुराने नियमों में समयसीमा का उल्लेख नहीं था। 5. प्री-सबमिशन सेमिनार और प्लेजरिज्म चेक अनिवार्य थीसिस जमा करने से पहले ओपन सेमिनार और विश्वविद्यालय द्वारा प्रमाणित प्लेजरिज्म रिपोर्ट जरूरी होगी। 6. शोधप्रबंध का आधुनिक प्रारूप नए नियमों में शोधप्रबंध का स्पष्ट प्रारूप शामिल है—
घोषणा पत्र, प्रमाण पत्र, विस्तारित सार, प्रकाशनों की सूची, हार्ड व सॉफ्ट कॉपी, और हिंदी/अंग्रेज़ी दोनों में जमा करने की सुविधा। 7. अंतरराष्ट्रीय स्तर की मूल्यांकन पद्धति छह परीक्षकों का पैनल, जिनमें दो विदेशी विशेषज्ञ तीन सदस्यीय बोर्ड द्वारा मूल्यांकन वाइवा-वोसे अनिवार्य आवश्यक होने पर संशोधन की अनुमति 8. पुराने सभी अध्यादेश निरस्त नया अध्यादेश लागू होते ही पहले के सभी नियम स्वतः समाप्त माने जाएंगे।
डी.डी.यू. गोरखपुर विश्वविद्यालय ने 40 वर्ष बाद बड़ा शैक्षणिक सुधार करते हुए नया डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (D.Litt.) / डॉक्टर ऑफ साइंस (D.Sc.) / डॉक्टर ऑफ लॉज़ (L.L.D.) अध्यादेश–2025 लागू कर दिया है। यह नया नियम अब 1985 के पुराने अध्यादेश की जगह लेगा। राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने इसे उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 52(5) के अंतर्गत स्वीकृति दी है। कुलपति ने कहा कि लगभग 40 वर्ष बाद आया यह नया अध्यादेश विश्वविद्यालय के लिए ऐतिहासिक बदलाव है। इससे शोध की गुणवत्ता बढ़ेगी और विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहचान मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि नए नियमों से D.Litt., D.Sc. और L.L.D. की डिग्रियों का स्तर और अधिक ऊँचा होगा। पहली बार शामिल हुई L.L.D. डिग्री अब तक विश्वविद्यालय में केवल D.Litt. और D.Sc. की डिग्री दी जाती थी। नए अध्यादेश में पहली बार L.L.D. (Doctor of Laws) को भी शामिल किया गया है, जिससे विधि विषय में उच्च स्तर के शोध को बढ़ावा मिलेगा। पुराना अध्यादेश बहुत संक्षिप्त था और शोध से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें स्पष्ट नहीं थीं। नया अध्यादेश विस्तृत, पारदर्शी और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित है। 1. स्पष्ट पात्रता नियम पहली बार विस्तृत योग्यता तय की गई है— मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से Ph.D. अनिवार्य Ph.D. के बाद 10 वर्ष का शोध/शिक्षण/पेशेवर अनुभव Scopus/WoS/SCI में कम से कम 15 उच्च गुणवत्ता वाले शोधपत्र शोधपत्रों में प्रथम या Corresponding लेखक होना आवश्यक
पुराने अध्यादेश में प्रकाशनों की संख्या या गुणवत्ता का कोई उल्लेख नहीं था। 2. पारदर्शी प्रवेश प्रक्रिया आवेदन के साथ– बायोडाटा 1500–3000 शब्द का शोध-सार 1000 शब्द का पूर्व शोध-विवरण सभी शोधपत्रों के प्रमाण UGC 2018 Plagiarism नियमों का पालन
पहले प्रवेश प्रक्रिया लगभग तय ही नहीं थी। 3. पोस्ट-डॉक्टरल रिसर्च कमेटी अब प्रवेश और मूल्यांकन के लिए एक नई समिति बनाई जाएगी, जिसमें कुलपति, डीन, विभागाध्यक्ष और दो विषय विशेषज्ञ शामिल होंगे। 4. निश्चित समय सीमा शोध पूरा करने के लिए न्यूनतम 2 वर्ष और अधिकतम 4 वर्ष हर साल पंजीकरण का नवीनीकरण अनिवार्य पुराने नियमों में समयसीमा का उल्लेख नहीं था। 5. प्री-सबमिशन सेमिनार और प्लेजरिज्म चेक अनिवार्य थीसिस जमा करने से पहले ओपन सेमिनार और विश्वविद्यालय द्वारा प्रमाणित प्लेजरिज्म रिपोर्ट जरूरी होगी। 6. शोधप्रबंध का आधुनिक प्रारूप नए नियमों में शोधप्रबंध का स्पष्ट प्रारूप शामिल है—
घोषणा पत्र, प्रमाण पत्र, विस्तारित सार, प्रकाशनों की सूची, हार्ड व सॉफ्ट कॉपी, और हिंदी/अंग्रेज़ी दोनों में जमा करने की सुविधा। 7. अंतरराष्ट्रीय स्तर की मूल्यांकन पद्धति छह परीक्षकों का पैनल, जिनमें दो विदेशी विशेषज्ञ तीन सदस्यीय बोर्ड द्वारा मूल्यांकन वाइवा-वोसे अनिवार्य आवश्यक होने पर संशोधन की अनुमति 8. पुराने सभी अध्यादेश निरस्त नया अध्यादेश लागू होते ही पहले के सभी नियम स्वतः समाप्त माने जाएंगे।