गाजियाबाद जेल के अधीक्षक सुप्रीम कोर्ट में तलब:धर्म परिवर्तन के केस में जमानत के आदेश की अनदेखी की थी

गाजियाबाद जेल के जेल अधीक्षक को सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया है। धर्म परिवर्तन के केस में जमानत आदेश की अनदेखी करने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जमानत आदेश के बाद भी बंदी की रिहाई न करना अदालत की आदेश की अनदेखी है। सीनियर एडवोकेट के मुताबिक न्यायमूर्ति KV विश्वनाथन और न्यायमूर्ति N कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कड़ी असहमति व्यक्त की है। इस मामले में कल सुनवाई के लिए टाइम निर्धारित किया है। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है कि अगली सुनवाई में यूपी के डीजी जेल भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मौजूद रहें। 29 अप्रैल को जमानत पर रिहा किया गया सीनियर एडवोकेट के मुताबिक याचिका कर्ता अथवा आवेदक को 29 अप्रैल 2025 को दिए गए आदेश के तहत रिहा किया गया था। अब पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा कि यह मामला बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण परिदृश्य प्रस्तुत करता है। आरोपी का यह मामला यूपी के गाजियाबाद से सम्बंधित है। जहां 30 जनवरी 2024 को केस दर्ज किया गया था। दर्ज इस मामले में जमानत दी गई, लेकिन आईपीसी की धारा 366 और उत्तर प्रदेश विधिक विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 की धारा 3/5 के तहत आरोप शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित शर्तों के अधीन मुकदमें की पेंडेंसी के दौरान उसकी रिहाई का आदेश जारी किया था। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर 13 गाजियाबाद ने जेल अधिकारियों को सम्बंधित रिहाई का आदेश दिया था। जिसमें आरोपी को आवाश्यक व्यक्ति बांड प्रस्तुत करने के बाद रिहा किया जाए। साथ ही व किसी अन्य मामले में न हो। इसके बाद रिहाई न होने पर याचिकाकर्ता ने फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। और दावा किया कि वह अभी भी जेल में है। जेल अधिकारियों ने उसे रिहा करने से मना कर दिया। क्योंकि 2021 अधिनियम की धारा 5 के खंड 1 का सुप्रीम के जमानत आदेश में विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट ने गाजियाबाद जेल के अधिकारियों की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। साथ ही अवमानना कार्रवाई का भी संकेत दिया है। कि यह न्याय का उपहास है। जिस याचिकाकर्ता को रिहा करने का आदेश दिया गया था वह अभी भी सलाखों में बंद है। न्यायालय ने दोनों पक्षों को चेतावनी दी है। कि यदि याचिकाकर्ता के आरोप झूठे निकले तो जमानत वापसी सहित परिणाम भुगतने होंगे। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत को हल्के में न ले, गाजियाबाद जेल अधीक्षक व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होंगे।

Jun 24, 2025 - 17:15
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गाजियाबाद जेल के अधीक्षक सुप्रीम कोर्ट में तलब:धर्म परिवर्तन के केस में जमानत के आदेश की अनदेखी की थी
गाजियाबाद जेल के जेल अधीक्षक को सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया है। धर्म परिवर्तन के केस में जमानत आदेश की अनदेखी करने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जमानत आदेश के बाद भी बंदी की रिहाई न करना अदालत की आदेश की अनदेखी है। सीनियर एडवोकेट के मुताबिक न्यायमूर्ति KV विश्वनाथन और न्यायमूर्ति N कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कड़ी असहमति व्यक्त की है। इस मामले में कल सुनवाई के लिए टाइम निर्धारित किया है। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है कि अगली सुनवाई में यूपी के डीजी जेल भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मौजूद रहें। 29 अप्रैल को जमानत पर रिहा किया गया सीनियर एडवोकेट के मुताबिक याचिका कर्ता अथवा आवेदक को 29 अप्रैल 2025 को दिए गए आदेश के तहत रिहा किया गया था। अब पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा कि यह मामला बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण परिदृश्य प्रस्तुत करता है। आरोपी का यह मामला यूपी के गाजियाबाद से सम्बंधित है। जहां 30 जनवरी 2024 को केस दर्ज किया गया था। दर्ज इस मामले में जमानत दी गई, लेकिन आईपीसी की धारा 366 और उत्तर प्रदेश विधिक विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 की धारा 3/5 के तहत आरोप शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित शर्तों के अधीन मुकदमें की पेंडेंसी के दौरान उसकी रिहाई का आदेश जारी किया था। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर 13 गाजियाबाद ने जेल अधिकारियों को सम्बंधित रिहाई का आदेश दिया था। जिसमें आरोपी को आवाश्यक व्यक्ति बांड प्रस्तुत करने के बाद रिहा किया जाए। साथ ही व किसी अन्य मामले में न हो। इसके बाद रिहाई न होने पर याचिकाकर्ता ने फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। और दावा किया कि वह अभी भी जेल में है। जेल अधिकारियों ने उसे रिहा करने से मना कर दिया। क्योंकि 2021 अधिनियम की धारा 5 के खंड 1 का सुप्रीम के जमानत आदेश में विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट ने गाजियाबाद जेल के अधिकारियों की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। साथ ही अवमानना कार्रवाई का भी संकेत दिया है। कि यह न्याय का उपहास है। जिस याचिकाकर्ता को रिहा करने का आदेश दिया गया था वह अभी भी सलाखों में बंद है। न्यायालय ने दोनों पक्षों को चेतावनी दी है। कि यदि याचिकाकर्ता के आरोप झूठे निकले तो जमानत वापसी सहित परिणाम भुगतने होंगे। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत को हल्के में न ले, गाजियाबाद जेल अधीक्षक व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होंगे।