Karnataka के मुख्यमंत्री ने मक्का, मूंग की कीमतों में गिरावट पर केंद्र से दखल की मांग की
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य में मक्का और मूंग की कीमतों में भारी गिरावट की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया। सिद्धरमैया ने कहा कि इस गिरावट से किसानों में गहरी चिंता पैदा हो गई है। सिद्धरमैया ने शुक्रवार को लिखे गए पत्र में कहा कि इस खरीफ मौसम में कर्नाटक में मक्का 17.94 लाख हेक्टेयर और मूंग 4.16 लाख हेक्टेयर में उगाई गई थी। किसानों को उम्मीद थी कि मक्का की पैदावार 54.74 लाख टन और मूंग की पैदावार 1.983 लाख टन होगी। लेकिन कीमतें गिरने के कारण किसान संकट में फंस गए हैं। सिद्धरमैया ने लिखा, कीमतें भारत सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से बहुत नीचे गिर गई हैं, जिससे किसानों में व्यापक चिंता और परेशानियां पैदा हो गई हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मक्का के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,400 रुपये प्रति टन और मूंग के लिए 28,768 रुपये प्रति टन तय किया है। लेकिन कर्नाटक में मक्का की मौजूदा कीमतें 1,600 से 1,800 रुपये प्रति टन और मूंग की कीमत लगभग 5,400 रुपये प्रति टन तक गिर गई हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों की औसत कीमतें भी एमएसपी से अधिक रही हैं, लेकिन बाहरी दबाव और मांग-आपूर्ति में असंतुलन के कारण कीमतें अब रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गई हैं। मुख्यमंत्री के अनुसार, कर्नाटक में मक्का का 32 लाख टन अतिरिक्त उत्पादन है, जो स्थानीय उद्योगों की क्षमता से बहुत अधिक है। सिद्धरमैया ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि वे भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (एनएएफईडी), भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) को निर्देश दें कि वे मूल्य समर्थन योजना या किसी अन्य उचित व्यवस्था के तहत एमएसपी के अनुसार खरीदारी तुरंत शुरू करें। केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में सिद्धरमैया से पूछा कि राज्य ने चयनित एथनॉल उत्पादन इकाइयों को राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ / राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ के साथ बाध्यकारी समझौते करने का निर्देश क्यों नहीं दिया, ताकि एथनॉल उत्पादन के लिए मक्का की सुनिश्चित खरीद हो सके। जोशी ने कहा कि ये एथनॉल उत्पादन इकाइयां, जिन्हें राज्य सरकार ने लाइसेंस दिया था, उन्हें एनसीसीएफ/ एनएएफईडी के साथ गारंटीकृत खरीद के लिए औपचारिक समझौते करने का निर्देश दिया जाना चाहिए था, जो अब तक नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया संबंधित हितधारकों में वितरित की गई थी। उन्होंने सवाल किया, अंगुली उठाने से पहले कर्नाटक में कांग्रेस सरकार को जवाब देना चाहिए कि राज्य सरकार ने एथनॉल उत्पादन इकाइयों को किसानों से मक्का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए अनिवार्य क्यों नहीं किया? केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्थानीय खरीद नियमों को लागू करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है, और अगर एथनॉल उत्पादन इकाइयां एमएसपी से कम कीमत पर मक्का खरीद रही हैं, तो इसका कारण राज्य सरकार द्वारा इन इकाइयों को एमएसपी पर खरीद करने के लिए उपयुक्त निर्देश न देना है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य में मक्का और मूंग की कीमतों में भारी गिरावट की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया। सिद्धरमैया ने कहा कि इस गिरावट से किसानों में गहरी चिंता पैदा हो गई है। सिद्धरमैया ने शुक्रवार को लिखे गए पत्र में कहा कि इस खरीफ मौसम में कर्नाटक में मक्का 17.94 लाख हेक्टेयर और मूंग 4.16 लाख हेक्टेयर में उगाई गई थी।
किसानों को उम्मीद थी कि मक्का की पैदावार 54.74 लाख टन और मूंग की पैदावार 1.983 लाख टन होगी। लेकिन कीमतें गिरने के कारण किसान संकट में फंस गए हैं। सिद्धरमैया ने लिखा, कीमतें भारत सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से बहुत नीचे गिर गई हैं, जिससे किसानों में व्यापक चिंता और परेशानियां पैदा हो गई हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मक्का के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,400 रुपये प्रति टन और मूंग के लिए 28,768 रुपये प्रति टन तय किया है। लेकिन कर्नाटक में मक्का की मौजूदा कीमतें 1,600 से 1,800 रुपये प्रति टन और मूंग की कीमत लगभग 5,400 रुपये प्रति टन तक गिर गई हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों की औसत कीमतें भी एमएसपी से अधिक रही हैं, लेकिन बाहरी दबाव और मांग-आपूर्ति में असंतुलन के कारण कीमतें अब रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गई हैं।
मुख्यमंत्री के अनुसार, कर्नाटक में मक्का का 32 लाख टन अतिरिक्त उत्पादन है, जो स्थानीय उद्योगों की क्षमता से बहुत अधिक है। सिद्धरमैया ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि वे भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (एनएएफईडी), भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) को निर्देश दें कि वे मूल्य समर्थन योजना या किसी अन्य उचित व्यवस्था के तहत एमएसपी के अनुसार खरीदारी तुरंत शुरू करें।
केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में सिद्धरमैया से पूछा कि राज्य ने चयनित एथनॉल उत्पादन इकाइयों को राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ / राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ के साथ बाध्यकारी समझौते करने का निर्देश क्यों नहीं दिया, ताकि एथनॉल उत्पादन के लिए मक्का की सुनिश्चित खरीद हो सके।
जोशी ने कहा कि ये एथनॉल उत्पादन इकाइयां, जिन्हें राज्य सरकार ने लाइसेंस दिया था, उन्हें एनसीसीएफ/ एनएएफईडी के साथ गारंटीकृत खरीद के लिए औपचारिक समझौते करने का निर्देश दिया जाना चाहिए था, जो अब तक नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया संबंधित हितधारकों में वितरित की गई थी।
उन्होंने सवाल किया, अंगुली उठाने से पहले कर्नाटक में कांग्रेस सरकार को जवाब देना चाहिए कि राज्य सरकार ने एथनॉल उत्पादन इकाइयों को किसानों से मक्का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए अनिवार्य क्यों नहीं किया?
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्थानीय खरीद नियमों को लागू करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है, और अगर एथनॉल उत्पादन इकाइयां एमएसपी से कम कीमत पर मक्का खरीद रही हैं, तो इसका कारण राज्य सरकार द्वारा इन इकाइयों को एमएसपी पर खरीद करने के लिए उपयुक्त निर्देश न देना है।



