अनिल अंबानी से जुड़े कथित बैंक लोन घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक बार फिर से प्रवर्तन निदेशालय (ED) की पूछताछ होने जा रही है। मौजूद जानकारी के अनुसार, 66 वर्षीय अंबानी को 14 नवंबर को ED के सामने पेश होने के लिए कहा गया है। बता दें कि यह दूसरा मौका है जब उनसे इसी मामले में पूछताछ की जाएगी। इससे पहले अगस्त 2025 में भी उनसे पूछताछ की गई थी।
यह पूरा मामला रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और उसकी सहयोगी कंपनियों द्वारा 2010 से 2012 के बीच लिए गए बैंक लोन को लेकर सामने आया है। एजेंसी का आरोप है कि इन लोन की बड़ी रकम का इस्तेमाल तय शर्तों के विपरीत किया गया और पैसे को दूसरी कंपनियों में घुमाया गया। गौरतलब है कि अब तक लगभग ₹40,185 करोड़ का बकाया बाकी है और पांच प्रमुख बैंकों ने RCOM के खातों को फ्रॉड घोषित कर दिया है।
ED का कहना है कि लगभग ₹13,600 करोड़ रुपये की रकम फर्जी लेनदेन के जरिए विभिन्न कंपनियों में पहुंचाई गई, जिनमें से कुछ रकम विदेशों तक भी भेजी गई। यह रकम पुराने कर्जों को चुकाने या कंपनियों के बीच फंड की हेराफेरी करके “एवर्ग्रीनिंग” के तौर पर इस्तेमाल की गई है।
फिलहाल न सिर्फ ED बल्कि CBI, SEBI, MCA जैसी कई सरकारी एजेंसियां भी रिलायंस ग्रुप के विभिन्न मामलों की जांच कर रही हैं। कंपनियों के बीच हुए फंड ट्रांसफर और वरिष्ठ स्तर पर जिम्मेदारी तय करने के लिए यह केस अब गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) को सौंपा गया है। मौजूद जानकारी के हिसाब से SFIO फंड फ्लो की गहराई से जांच करेगा और फिर आगे की कार्रवाई तय होगी।
हाल ही में ED ने रिलायंस ग्रुप की कंपनियों की लगभग ₹7,500 करोड़ की संपत्ति अटैच की है। इनमें रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर समेत कई रियल एस्टेट और निवेश से जुड़ी कंपनियां शामिल हैं। अगस्त में ED और CBI ने अंबानी के निवास और दफ्तरों पर भी छापे मारे थे, जिसके बाद एक वरिष्ठ अधिकारी को गिरफ्तार किया गया था।
कभी भारत की प्रमुख कारोबारी साम्राज्यों में गिने जाने वाले अनिल अंबानी के ग्रुप पर बीते कई वर्षों से भारी वित्तीय संकट के हालात बने हुए हैं। उनकी कई कंपनियां या तो दिवालिया प्रक्रिया में हैं या बैंकों और निवेशकों के साथ कानूनी विवादों में उलझी हुई हैं। इसी वजह से जांच एजेंसियों की नजर लगातार इस पूरे नेटवर्क पर बनी हुई हैं।