टोहाना में महिलाओं ने डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य:नहर किनारे व्रती महिलाओं और श्रद्धालुओं की भीड़, मंगल कामना के लिए छठ पूजा
फतेहाबाद के टोहाना में छठ पूजा के अवसर पर महिलाओं ने नहर के विभिन्न घाटों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान शहर में पर्व को लेकर भारी उत्साह देखने को मिला। शाम के समय डीजे की धुन पर लोग नाचते और पटाखे चलाते नजर आए। डॉ. परशुराम राय और पूनम राय ने बताया कि यह पर्व दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है। सोमवार को छठ पूजा का तीसरा दिन था, जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है। यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, जब परिवार के सभी सदस्य नदी किनारे जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। उन्होंने बताया कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और यह अर्घ्य उन्हीं को समर्पित किया जाता है। छठ का पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है। इस दौरान जल में दूध मिलाकर सूर्य की अंतिम किरणों को अर्घ्य देने की परंपरा है। बच्चों की लंबी आयु की कामना सत्यवान और मिथुन ने बताया कि महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु की कामना के साथ यह व्रत करती हैं। इस पूजा से नेत्र ज्योति बढ़ने, लंबी आयु प्राप्त होने और आर्थिक संपन्नता आने की मान्यता है। विद्यार्थियों द्वारा अर्घ्य देने से शिक्षा में भी लाभ होता है। अर्घ्य देने के लिए एक लोटे में जल, कच्चा दूध की कुछ बूंदें, लाल चंदन, चावल, लाल फूल और कुश डालकर सूर्य की ओर मुख करके सूर्य मंत्र का जप करते हुए जल की धारा धीरे-धीरे प्रवाहित की जाती है। इसके बाद भगवान सूर्य को पुष्पांजलि अर्पित की जाती है।
फतेहाबाद के टोहाना में छठ पूजा के अवसर पर महिलाओं ने नहर के विभिन्न घाटों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान शहर में पर्व को लेकर भारी उत्साह देखने को मिला। शाम के समय डीजे की धुन पर लोग नाचते और पटाखे चलाते नजर आए। डॉ. परशुराम राय और पूनम राय ने बताया कि यह पर्व दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है। सोमवार को छठ पूजा का तीसरा दिन था, जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है। यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, जब परिवार के सभी सदस्य नदी किनारे जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। उन्होंने बताया कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और यह अर्घ्य उन्हीं को समर्पित किया जाता है। छठ का पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है। इस दौरान जल में दूध मिलाकर सूर्य की अंतिम किरणों को अर्घ्य देने की परंपरा है। बच्चों की लंबी आयु की कामना सत्यवान और मिथुन ने बताया कि महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु की कामना के साथ यह व्रत करती हैं। इस पूजा से नेत्र ज्योति बढ़ने, लंबी आयु प्राप्त होने और आर्थिक संपन्नता आने की मान्यता है। विद्यार्थियों द्वारा अर्घ्य देने से शिक्षा में भी लाभ होता है। अर्घ्य देने के लिए एक लोटे में जल, कच्चा दूध की कुछ बूंदें, लाल चंदन, चावल, लाल फूल और कुश डालकर सूर्य की ओर मुख करके सूर्य मंत्र का जप करते हुए जल की धारा धीरे-धीरे प्रवाहित की जाती है। इसके बाद भगवान सूर्य को पुष्पांजलि अर्पित की जाती है।