गुरुग्राम के कुत्तों की जबलपुर की सोसाइटी करेगी नसबंदी:एनिमल बर्थ कंट्रोल के लिए दो साल का कॉन्ट्रैक्ट, 700 रुपए प्रति डॉग खर्च करेगा MCG
गुरुग्राम में आवारा कुत्तों की संख्या को कंट्रोल करने के लिए नगर निगम ने जबलपुर की एक सोसाइटी को कॉन्ट्रैक्ट दिया है। एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) कार्यक्रम के तहत नसबंदी एवं मास वैक्सीनेशन के लिए शुरू किए अभियान के तहत दो वर्ष तक यह मां बगलामुखी सेवा समिति को यह काम सौंपा गया है। नगर निगम गुरुग्राम(MCG) द्वारा जारी आदेश के अनुसार यह अभियान 29 नवंबर 2025 से 28 नवंबर 2027 तक चलेगा। एजेंसी को प्रति कुत्ता नसबंदी शुल्क 700 रुपए तथा मास टीकाकरण शुल्क 250 रुपए दिया जाएंगे। इससे शहर में कुत्तों की आबादी को वैज्ञानिक और मानवीय तरीके से नियंत्रित किया जा सकेगा और हर कुत्ते को समय पर रैबीज के टीके लगाकर संक्रमण का खतरा कम किया जाएगा। एमसीजी के सीएमओ की देखरेख में होगी कार्रवाई एमसीजी प्रवक्ता सत्यबीर रोहिल्ला ने बताया कि गुरुग्राम में आवारा कुत्तों की संख्या और उनमें रेबीज के संभावित खतरे को देखते हुए यह पहल शहर के नागरिकों की सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा कदम है। इस व्यापक अभियान के माध्यम से पशु कल्याण को बढ़ावा मिलेगा, आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित होगी और शहर के लोगों को सुरक्षित माहौल प्राप्त होगा। उन्होंने नागरिकों से भी सहयोग की अपील की है ताकि इस अभियान को सफल बनाया जा सके और लोगों को सुरक्षित, स्वच्छ और स्वास्थ्य-अनुकूल माहौल मिल सकें। तीन प्वाइंट में समझे एनिमल बर्थ कंट्रोल का तरीका..... कुत्तों को पकड़ना: मां बगलामुखी सेवा समिति की टीमें नगर निगम टीम के साथ मिलकर शहर के विभिन्न क्षेत्रों से मानवीय तरीके से आवारा कुत्तों को पकड़ेगी और उन्हें अस्थायी शेल्टर व ऑपरेशन सेंटर पर लाया जाएगा। नसबंदी और रैबीज टीका: पकड़े गए कुत्ते की नसबंदी की जाएगी और साथ ही एंटी-रैबीज वैक्सीन (ARV) लगाई जाएगी। नसबंदी के बाद कुत्तों को रिकवरी के लिए कुछ दिन रखा जाएगा और उनके कान पर निशान लगाया जाएगा ताकि दोबारा न पकड़ा जा सकें। वापस छोड़ना और निगरानी:ऑपरेशन व वैक्सीनेशन के बाद कुत्तों को ठीक होने पर उसी क्षेत्र में वापस छोड़ा जाएगा जहां से पकड़ा गया था। पूरे अभियान की निगरानी MCG के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) करेंगे और नियमित रिपोर्टिंग होगी। कमिश्नर ने कहा रैबीज से सुरक्षा मिलेगी निगमायुक्त प्रदीप दहिया ने बताया कि आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और रैबीज के खतरे को देखते हुए यह अभियान अत्यंत आवश्यक था। हमारा उद्देश्य शहर में पशु कल्याण, सार्वजनिक सुरक्षा और स्वास्थ्य तीनों को साथ लेकर चलना है। नसबंदी और वैक्सीनेशन से न केवल कुत्तों की बढ़ोतरी रुकेगी, बल्कि रैबीज जैसी खतरनाक बीमारी से भी सुरक्षा मिलेगी।



