22 जून 2025 को अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने के बाद मीडिल ईस्ट का तनाव अपने चरम पर पहुंचा दिया। खबरें ऐसी हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को एफ-35 फाइटर जेट्स देने का ऑफर दिया। लेकिन बदले में कुछ ऐसी शर्तें पाकिस्तान के सामने रखी जिन्हें पाकिस्तान पूरा करेगा तो मरेगा और नहीं पूरा करेगा तो भी मरेगा। मतलब व्हाइट हाउस में बैठकर लंच करने के बाद मुनीर ने ट्रंप को फंसाया है या फिर ट्रंप ने मुनीक को फंसाया है। ये तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान चीन और रूस से दूरी बना ले। ट्रंप का पाकिस्तान को एफ 35 का ऑफर और ईरान के खिलाफ गठजोड़ बनाने की कोशिश एक नए रणनीतिक समीकरण की तरफ इशारा करती है।
पीडीएम सरकार गॉन, सेना ऑन
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भले ही आई लव पाकिस्तान के गुण गान रहे हो। आतंकी मुल्क को प्यारा देश बता रहे हो। लेकिन सबसे गौर करने वाली बात है कि किसी दो देशों के शीर्ष नेताओं के बीच मुलाकात तो आपने कई बार देखा होगा। लेकिन किसी देश के आर्मी चीफ को दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्ष से मिलते देखने की तस्वीर सारी कहानी बयान करती है। ऐसा लग रहा है कि मानो पाकिस्तान में चुनी गई सरकार को फील्ड मार्शल मुल्ला मुनीर की तरफ से नजरबंद कर रख लिया गया हो। वहीं ख्वाजा आसिफ, इसाक डार और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जैसे मुखर राजनेताओं की भी सार्वजनिक रूप से उपस्थिति नजर नहीं आ रही है। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तानी राजनेताओं ने दावा किया है कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से जुड़े मुख्य निवेश को नुकसान पहुंचा है।
असिम मुनीर और डोनाल्ड ट्रम्प की दोस्ती
ईरान पर अटैक से दो दिन पहले फील्ड मार्शल मुल्ला मुनीर और शहबाज सरकार ने ट्रंप और अमेरिका की जमकर तारीफ ही नहीं की बल्कि ट्रंप के लिए नोबेल पीस प्राइज की मांग भी कर दी। ये संदेश देने की कोशिश की गई कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ है। पाकिस्तान दुनियाभर में अपनी ताकत बढ़ा रहा है। लेकिन मुल्ला मुनीर का ये दांव उल्टा पड़ गया। अमेरिका ने इस मुलाकात के बाद ही ईरान पर बड़ा हमला करके उसकी न्यूक्लियर साइट्स को तबाह कर दिया। इसके बाद अब पाकिस्तानी आवान सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आई है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अमेरिका के बी2 बॉम्बर्स ने ईरान के परमाणु ठिकानों को उड़ाने के लिए पाकिस्तानी एयरस्पेस का इस्तेमाल किया था।
मुनीर के कदम का हो रहा विरोध
शिया-बहुल क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले मजलिस वहदत-ए-मुस्लिमीन के सीनेटर अल्लामा राजा नासिर अब्बास जाफरी ने मुनीर के कार्यों के संबंध में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है। इसी तरह, पीटीएम के एक पश्तून अली वज़ीर ने सेना की अतिशयता और मुनीर द्वारा सेना का राजनीतिकरण करने की कड़ी निंदा की है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पीटीआई नेतृत्व ने भी मुनीर पर तटस्थता छोड़ने का आरोप लगाया है। पत्रकार हामिद मीर ने ट्रंप के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग की आलोचना की है, जबकि उन्होंने ईरान पर हमला करते हुए इसे पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी बताया है।