निर्मला सीतारमण ने एमपीलैड योजना के तहत कर्नाटक में किसान प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन किया
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीलैड) योजना के तहत एक किसान प्रशिक्षण एवं सामान्य सुविधा केंद्र का उद्घाटन किया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि कासपुरा गांव में स्थित इस केंद्र का उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित करना है ताकि उनकी कृषि उपज का मूल्यवर्धन किया जा सके। उन्होंने बताया कि यह सुविधा राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सहयोग से स्थापित की गई है। एमपीलैड की शुरूआत 1993 में की गयी थी। इस योजना के तहत सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सड़क, पेयजल और स्वच्छता जैसी सामुदायिक विकास परियोजनाओं के लिये धन आवंटित करने की अनुमति होती है। सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित, इन परियोजनाओं का उद्देश्य जिला अधिकारियों द्वारा कार्यान्वित टिकाऊ बुनियादी ढांचे के माध्यम से स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करना है। वित्त मंत्री के कार्यालय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ये प्रयास मिलकर न केवल मूंगफली और इमली की मूल्य श्रृंखलाओं को सशक्त बनाएंगे, बल्कि विपणन सहायता के साथ किसान-उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को भी मजबूती प्रदान करेंगे। वर्तमान में, इस इकाई को सालाना लगभग 200 मीट्रिक टन इमली के प्रसंस्करण के लिए डिज़ाइन किया गया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीलैड) योजना के तहत एक किसान प्रशिक्षण एवं सामान्य सुविधा केंद्र का उद्घाटन किया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि कासपुरा गांव में स्थित इस केंद्र का उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित करना है ताकि उनकी कृषि उपज का मूल्यवर्धन किया जा सके।
उन्होंने बताया कि यह सुविधा राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सहयोग से स्थापित की गई है। एमपीलैड की शुरूआत 1993 में की गयी थी। इस योजना के तहत सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सड़क, पेयजल और स्वच्छता जैसी सामुदायिक विकास परियोजनाओं के लिये धन आवंटित करने की अनुमति होती है।
सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित, इन परियोजनाओं का उद्देश्य जिला अधिकारियों द्वारा कार्यान्वित टिकाऊ बुनियादी ढांचे के माध्यम से स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करना है।
वित्त मंत्री के कार्यालय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ये प्रयास मिलकर न केवल मूंगफली और इमली की मूल्य श्रृंखलाओं को सशक्त बनाएंगे, बल्कि विपणन सहायता के साथ किसान-उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को भी मजबूती प्रदान करेंगे। वर्तमान में, इस इकाई को सालाना लगभग 200 मीट्रिक टन इमली के प्रसंस्करण के लिए डिज़ाइन किया गया है।



