क्या हैं DPDP Act के प्रावधान, जिसे लेकर पीसीआई और देशभर के पत्रकार संगठनों ने जताई आपत्ति

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (PCI) ने देशभर के 21 पत्रकार संगठनों और 1,000 से अधिक पत्रकारों व फोटो जर्नलिस्टों के साथ मिलकर डेटा संरक्षण कानून यानी डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) एक्ट, 2023 के प्रावधानों पर गंभीर आपत्ति जताई है। पीसीआई का कहना है ...

Jun 28, 2025 - 22:41
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क्या हैं DPDP Act के प्रावधान, जिसे लेकर पीसीआई और देशभर के पत्रकार संगठनों ने जताई आपत्ति

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (PCI) ने देशभर के 21 पत्रकार संगठनों और 1,000 से अधिक पत्रकारों व फोटो जर्नलिस्टों के साथ मिलकर डेटा संरक्षण कानून यानी डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) एक्ट, 2023 के प्रावधानों पर गंभीर आपत्ति जताई है। पीसीआई का कहना है कि यह कानून पत्रकारों के काम करने के मौलिक अधिकार के खिलाफ है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव को सौंपे गए एक संयुक्त ज्ञापन में पीसीआई और अन्य प्रेस संगठनों ने मांग की है कि प्रिंट, ऑनलाइन और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यरत पत्रकारों के पेशेवर काम को डीपीडीपी एक्ट के दायरे से बाहर रखा जाए।  डीपीडीपी एक्ट का लक्ष्य भारत में एक मजबूत डेटा सुरक्षा ढांचा स्थापित करना है, जो नागरिकों के डिजिटल अधिकारों की रक्षा करे और साथ ही डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास को भी बढ़ावा दे।

 

क्या है एक्ट 

डीपीडीपी एक्ट का पूरा नाम डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (Digital Personal Data Protection Act, 2023) है। यह भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

 

क्यों लाया गया यह एक्ट

आज के डिजिटल युग में, हमारा व्यक्तिगत डेटा (जैसे नाम, पता, फ़ोन नंबर, ईमेल, वित्तीय जानकारी, ऑनलाइन गतिविधियाँ आदि) विभिन्न कंपनियों, ऐप्स और वेबसाइटों द्वारा एकत्र और उपयोग किया जाता है। इस डेटा के दुरुपयोग या उल्लंघन से व्यक्तियों को भारी नुकसान हो सकता है। डीपीडीपी एक्ट इसी समस्या का समाधान करने के लिए लाया गया है ताकि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर व्यक्तियों के डेटा को सुरक्षित रखा जा सके।

 

क्या हैं एक्ट के प्रावधान 

व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा का अधिकार : यह व्यक्तियों को अपने व्यक्तिगत डेटा पर नियंत्रण रखने का अधिकार देता है।

 

सहमति आधारित प्रसंस्करण : कंपनियों को किसी भी व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने से पहले संबंधित व्यक्ति से स्पष्ट सहमति लेनी होगी। यह सहमति स्पष्ट और समझने योग्य भाषा में होनी चाहिए (भारतीय संविधान की 22 भाषाओं में से किसी में भी)।

 

पारदर्शिता और जवाबदेही : डेटा एकत्र करने वाली संस्थाओं (जिन्हें "डेटा फिड्युशरी" कहा जाता है) को डेटा के प्रसंस्करण में पारदर्शिता बरतनी होगी और वे डेटा सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होंगी।

 

डेटा न्यूनीकरण : कंपनियों को केवल वही डेटा एकत्र करना चाहिए जो आवश्यक हो और उसे केवल उस उद्देश्य के लिए उपयोग करना चाहिए जिसके लिए उसे एकत्र किया गया है।

 

डेटा उल्लंघन की रोकथाम : कंपनियों को डेटा उल्लंघन को रोकने के लिए उचित सुरक्षा उपाय लागू करने होंगे और किसी भी उल्लंघन की स्थिति में उपयोगकर्ताओं और संबंधित अधिकारियों को सूचित करना होगा।

 

बच्चों के डेटा की सुरक्षा : अधिनियम में बच्चों (18 वर्ष से कम आयु) के व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के लिए विशेष प्रावधान हैं, ताकि उनके डेटा का दुरुपयोग न हो और उन्हें लक्षित विज्ञापनों से बचाया जा सके।

 

अधिकार और प्रावधान : व्यक्तियों को अपने डेटा तक पहुंचने, उसे सुधारने, मिटाने और अपनी सहमति रद्द करने का अधिकार मिलता है।

 

भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड (DPB) की स्थापना : यह बोर्ड अधिनियम के अनुपालन की निगरानी, शिकायतों का समाधान और उल्लंघनों के लिए दंड लगाने का काम करेगा।

 

जुर्माना और दंड : गैर-अनुपालन के लिए कठोर दंड का प्रावधान है, जिसमें उल्लंघन के लिए भारी जुर्माना शामिल है (न्यूनतम 50 करोड़ रुपए)। Edited by : Sudhir Sharma