Vyasa Pooja 2025: आषाढ़ पूर्णिमा पर मनाई जाती है व्यास पूजा, जानिए मुहूर्त और महत्व

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। इसको व्यास पूर्णिमा और व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन अपने माता-पिता और बड़े बुजुर्गों के साथ गुरु का आशीर्वाद लेने का महत्व है। गुरु ही गोविंद का ज्ञान करते हैं और गुरु ही अंधकार से उजाले की तरफ ले जाते हैं। गुरु सिर्फ शिक्षक नहीं होते और जीवन पद के मार्गदर्शक होते हैं। बिना गुरु के कुछ भी संभव नहीं है। यह दिन गुरु के प्रति कृतार्थ व्यक्त करने का है। इस दिन आप बृहस्पति बीज मंत्र 'ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः' का 108 बार जाप करें। साथ ही इस दिन गुरु को यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें।इंद्र और वैधृति योगहिंदू पंचांग के मुताबिक 10 जुलाई को भद्रा का समय सुबह 05:31 से लेकर दोपहर 01:55 तक रहेगा। इस दिन सुबह 05:31 मिनट से लेकर 07:15 तक चौघड़िया का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस समय पर स्नान दान और पूजा करने के लिए अच्छा समय रहेगा। इस दिन इंद्र योग और वैधृति योग का भी शुभ संयोग बन रहा है।पूजन मूहूर्तगुरु पूर्णिमा पर स्नान-दान का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:10 मिनट से सुबह 04:50 मिनट तक रहेगा। सुबह 11:59 से दोपहर 12:54 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। वहीं दोपहर 02:45 बजे से दोपहर 03:40 मिनट तक विजय मुहूर्त दान-पुण्य के लिए उत्तम समय है।ऐसे करें पूजाइस दिन पवित्र नदी में स्नान करें और ऐसा संभव नहीं हो, तो बाल्टी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर पानी भर लें। इसमें स्नान करने से आपको गंगा स्नान जैसा लाभ मिलता है। इसके बाद भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी का पूजन और जलाभिषेक करना चाहिए।भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल और हल्दी चढ़ाएं। फिर मां लक्ष्मी को लाल चंदन, लाल रंग के फूल और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। इसके बाद मंदिर में घी का दीपक जलाकर गुरु पूर्णिमा की व्रत कथा पढ़ें। वहीं संभव हो तो व्रत लेने का संकल्प करें और शाम को सत्यनारायण की कथा करें। फिर शाम के समय लक्ष्मी सूक्त का पाठ करें और लक्ष्मीनारायण की आरती करें। रात में चंद्रोदय के समय अर्घ्य दें।

Jul 11, 2025 - 02:15
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Vyasa Pooja 2025: आषाढ़ पूर्णिमा पर मनाई जाती है व्यास पूजा, जानिए मुहूर्त और महत्व
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। इसको व्यास पूर्णिमा और व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन अपने माता-पिता और बड़े बुजुर्गों के साथ गुरु का आशीर्वाद लेने का महत्व है। गुरु ही गोविंद का ज्ञान करते हैं और गुरु ही अंधकार से उजाले की तरफ ले जाते हैं। गुरु सिर्फ शिक्षक नहीं होते और जीवन पद के मार्गदर्शक होते हैं। बिना गुरु के कुछ भी संभव नहीं है। यह दिन गुरु के प्रति कृतार्थ व्यक्त करने का है। इस दिन आप बृहस्पति बीज मंत्र 'ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः' का 108 बार जाप करें। साथ ही इस दिन गुरु को यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें।

इंद्र और वैधृति योग

हिंदू पंचांग के मुताबिक 10 जुलाई को भद्रा का समय सुबह 05:31 से लेकर दोपहर 01:55 तक रहेगा। इस दिन सुबह 05:31 मिनट से लेकर 07:15 तक चौघड़िया का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस समय पर स्नान दान और पूजा करने के लिए अच्छा समय रहेगा। इस दिन इंद्र योग और वैधृति योग का भी शुभ संयोग बन रहा है।

पूजन मूहूर्त

गुरु पूर्णिमा पर स्नान-दान का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:10 मिनट से सुबह 04:50 मिनट तक रहेगा। सुबह 11:59 से दोपहर 12:54 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। वहीं दोपहर 02:45 बजे से दोपहर 03:40 मिनट तक विजय मुहूर्त दान-पुण्य के लिए उत्तम समय है।

ऐसे करें पूजा

इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें और ऐसा संभव नहीं हो, तो बाल्टी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर पानी भर लें। इसमें स्नान करने से आपको गंगा स्नान जैसा लाभ मिलता है। इसके बाद भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी का पूजन और जलाभिषेक करना चाहिए।

भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल और हल्दी चढ़ाएं। फिर मां लक्ष्मी को लाल चंदन, लाल रंग के फूल और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। इसके बाद मंदिर में घी का दीपक जलाकर गुरु पूर्णिमा की व्रत कथा पढ़ें। वहीं संभव हो तो व्रत लेने का संकल्प करें और शाम को सत्यनारायण की कथा करें। फिर शाम के समय लक्ष्मी सूक्त का पाठ करें और लक्ष्मीनारायण की आरती करें। रात में चंद्रोदय के समय अर्घ्य दें।