आज मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत है, यह अत्यंत पवित्र और शुभ दिन माना जाता है। यह व्रत प्रदोष तिथि और सोमवार दोनों ही भगवान शिव को समर्पित दिनों के संयोग में आता है। मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत के दिन की गई पूजा-अर्चना विशेष फल देती है तो आइए हम आपको मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत के बारे में
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। पंडितों के अनुसार प्रदोष महादेव की प्रिय तिथि मानी गई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति पूरी भक्ति और पवित्र मन से इस दिन शिवजी की आराधना करता है उसकी सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। इस समय मार्गशीर्ष यानी अगहन मास चल रहा है जिसे हिन्दू धर्म में काफी महत्व माना गया है। यह हिंदू धर्म के सबसे पवित्र महीना में से एक है। यह सोम प्रदोष व्रत मार्गशीर्ष मास का पहला प्रदोष है। यह व्रत सोमवार के दिन आ रहा है जिसकी वजह से इसका महत्व बहुत बढ़ गया है। मार्गशीर्ष मास का पहला सोम प्रदोष व्रत आज यानी 17 नवंबर को रखा जाएगा। सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है, जो कि भगवान शिव को समर्पित होता है। देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए सोम प्रदोष व्रत विशेष रूप से फलदायी कहा गया है। धर्म शास्त्रों में प्रदोष व्रत की महिमा का वर्णन किया गया है।
सोमवार के दिन प्रदोष का व्रत आने से यह बहुत खास हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक जब प्रदोष तिथि सोमवार को आती है तो अपने साथ अत्यंत दुर्लभ और शुभ परिणाम लेकर आते हैं। इस दिन की गई भगवान शिव की उपासना, मंत्र जाप, रुद्राभिषेक विशेष पुण्य और कृपा देने का काम करते हैं।
मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
शास्त्रों में सोम प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में श्रेष्ठ मानी गई है। प्रदोष काल का समय सूर्यास्त के बाद डेढ़ घंटे तक माना जाता है। इसी पवित्र अवधि में भगवान शिव का जलाभिषेक, पूजन, दीपाराधना और प्रदोष स्तोत्र का पाठ अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। इस बार सोम प्रदोष के दिन अभिजित मुहूर्त का शुभ संयोग भी बन रहा है। अभिजित मुहूर्त सुबह 11:45 मिनट से 12:27 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में किए गए पूजा-पाठ, जप और संकल्प शीघ्र फलदायी माने जाते हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।
मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत से होते ये लाभ
सोम प्रदोष व्रत रखने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है.शिव पार्वती की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. विवाहित और अविवाहित दोनों के लिए यह व्रत शुभ माना गया है। अच्छे जीवनसाथी और वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है। अष्ट सिद्धि और नव निधियों का आशीर्वाद मिलता है। सोम प्रदोष का व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। चंद्रदोष दूर करने के लिए भी इस शुभ माना गया है। इस दिन जो शिव पार्वती की पूजा करता है उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है। जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ है उनके लिए विवाह के संयोग निर्मित होने लगते हैं। अगर अच्छा जीवन साथी प्राप्त करना है तो यह व्रत किया जा सकता है। यह व्रत अष्ट सिद्धि और नव निधियों का आशीर्वाद देता है।
मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें
पंडितों के अनुसार मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत के दौरान शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, और गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए। साथ ही, ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए बिल्व पत्र, धतूरा, और अन्य शिव को प्रिय चीजें चढ़ाएं और फिर धूप-दीप जलाकर शिव चालीसा और आरती करें।
मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में पूजा
मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रदोष व्रत के दिन मंदिर में की गई प्रदोष पूजा का फल 100 गुना अधिक मिलता है। प्रदोष व्रत में फलाहार ग्रहण करना चाहिए और अन्न नहीं खाना चाहिए।
मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत के दिन ऐसे करें पूजा
पंडितों के अनुसार सुबह स्नान कर हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें। घर के मंदिर को साफ कर शाम के समय गोधूलि बेला में दीपक जलाएं। भगवान शिव का अभिषेक करें और सबसे पहले शुद्ध जल अर्पित करें। फिर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर (पंचामृत) से अभिषेक करें। हर सामग्री चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए। अंत में फिर से शुद्ध जल अर्पित कर चंदन, गुलाल और पुष्प चढ़ाएं। बेलपत्र और शमी पत्र अर्पित कर भोग में फल और मिठाई अर्पित करें। अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रदोष व्रत की कथा सुनें।
मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सोम प्रदोष व्रत मानसिक शांति, वैवाहिक सुख और पारिवारिक समृद्धि प्रदान करता है। पंडितों के अनुसार सोम प्रदोष व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है, दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है और चंद्र दोष से मुक्ति के लिए भी यह व्रत लाभकारी माना जाता है।
मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत के दिन बन रहे ये शुभ संयोग
मार्गशीर्ष प्रदोष व्रत के दिन अभिजीत मुहूर्त का शुभ संयोग बन रहा है। इस सहयोग को बहुत शक्तिशाली, दुर्लभ और कार्य सिद्धि देने वाला माना जाता है। पंडितों के अनुसार जो भक्त इस मुहूर्त में पूजा या जाप करता है उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अभिजीत मुहूर्त का समय 11:45 से 12:27 तक रहेगा। जो दिव्य संयोग बन रहे हैं उसकी वजह से यह व्रत और भी सिद्धि दायक बन चुका है।
मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत में यें करें, होगा लाभ
पंडितों के अनुसार दिन की शुरुआत स्वच्छता और मन की शुद्धि के साथ करें। शिवजी के समक्ष व्रत का संकल्प लें। सोम प्रदोष में निर्जल या जल-फलाहार व्रत किया जाता है। अपनी क्षमता के अनुसार उपवास रखें। सूर्यास्त के बाद का 1.5 घंटे प्रदोष काल माना जाता है। इसी समय शिवजी की पूजा व्रत का मुख्य भाग है। शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंत्रजप से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। ब्राह्मण या जरूरतमंदों को भोजन–दान करें।
मार्गशीष सोम प्रदोष में इन चीजों से बचें, होगा लाभ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार क्रोध, अभद्र भाषा और नकारात्मक सोच से दूर रहें। व्रत के दिन मन शांत और संयमित रखना आवश्यक है। लहसुन, प्याज, मांसाहार व शराब से दूर रहें, व्रतधारी को दिनभर सात्त्विकता बनाए रखनी चाहिए। संभव हो तो दिन शांतिपूर्वक घर में बिताएं और शाम की पूजा पर ध्यान दें। प्रदोष काल में न सोएं। यह समय शिव आराधना का है, इसलिए इस समय सोना अशुभ माना गया है। किसी का अपमान न करें। शिवजी की पूजा में टूटे-फूटे या मुरझाए फूल न चढ़ाएं।
मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत पर करें ये उपाय
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत पर तांबे के पात्र में गंगाजल के साथ गुड़ और हरी मूंग की दाल अर्पित करें। इस दौरान महादेव को कनेर के फूल और शहद भी चढ़ाएं। इससे विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। प्रदोष व्रत के दिन आप महादेव को 11 बेलपत्र अर्पित करें। इस दौरान शमी का एक फूल भी शामिल करें। इससे कार्यों में सफलता व मानसिक शांति की प्राप्ति होती हैं। प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर कच्चे चावल चढ़ाएं। इस दौरान ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।। मंत्र का जाप करें। इससे मानसिक शांति व विरोधियों से मुक्ति मिलती हैं।
- प्रज्ञा पाण्डेय