हरियाणा में सितंबर का इतिहास दोहरा रही यमुना:जलस्तर लगातार 7 घंटे 3 लाख क्यूसेक पार; पहली बार 50 घंटे में दिल्ली पहुंचेगा पानी
हरियाणा में यमुना नदी का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है। 1 सितंबर को लगातार 7 घंटे तक हथिनीकुंड बैराज पर नदी का जलस्तर 3 लाख क्यूसेक से ऊपर रहा। दिन में अधिकतम 3,39,313 क्यूसेक पानी आया। दोपहर बाद यह कुछ घटना शुरू हुआ। शाम 6 बजे तक यह 2,63,317 दर्ज किया गया। आजादी के बाद से 78 साल में 7 ऐसे मौके आए हैं जब यमुना का जलस्तर 5 लाख क्यूसेक से ज्यादा दर्ज किया गया। इन 7 में से 6 बार यह सितंबर महीने में हुआ है। इस बार भी सितंबर में ही नदी उफान पर है। इसलिए यमुना किनारे के 5 जिलों यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत व फरीदाबाद में अलर्ट की स्थिति है।यमुनानगर के हथिनीकुंड बैराज से जो पानी सोमवार दिन में निकला है, वो मंगलवार सुबह तक आगे के जिलों में पहुंचेगा। उसके बाद मंगलवार शाम तक दिल्ली को खतरा पैदा होता है। ये पानी दिल्ली के राजघाट तक मार करता है। 1978 की बाढ़ में ताजेवाला हेड डैमेज हुआ
3 सितंबर 1978 को यमुना नदी में भीषण बाढ़ आई थी। तब अंग्रेजों के जमाने में बना ताजेवाला हेड भी क्षतिग्रस्त हो गया था। उस दिन नदी का जलस्तर 7,09,239 क्यूसेक दर्ज हुआ था। उस बाढ़ को न झेल पाने की वजह से ताजेवाला हेड को रिटायर कर दिया गया। बाद में ताजेवाला से अपस्ट्रीम की तरफ हथिनीकुंड बैराज बनाने का काम शुरू हुआ। 1999 में हथिनीकुंड बैराज का निर्माण पूरा हुआ। इसकी क्षमता ताजेवाला हेड से ज्यादा है। सितंबर में यमुना के उफान पर आने के 4 बड़े कारण अब जानिए यमुना किनारे के 5 जिलों में क्या स्थिति.... यमुनानगरः जमीन-श्मशान घाट नदी में समाए
सोमवार को कलेसर, बेलगढ़, मांडेवाला, नवाजपुर में कई जगह यमुना के उफनते पानी की वजह से भूमि कटाव शुरू हो गया। रुकाली गांव में नदी का पानी श्मशान घाट के शेड को बहा ले गया। लापरा गांव की सड़क पर पानी भर गया। कई गांवों में बाढ़ रोकथाम के लिए लगाए पत्थर से स्टड बह चुके हैं। 100 एकड़ से ज्यादा फसलें डूबी हैं। करनालः यमुना का बढ़ता पानी देख 20 गांवों में बेचैनी
यमुना किनारे के 20 गांवों में बेचैनी है। यमुना का पानी बढ़ने से इन्हें डर सता रहा है। इससे पहले जुलाई 2023 में इंद्री ब्लॉक में यमुना की पटरी टूटने से 20 गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे। उससे पहले जुलाई 2018 में 14 गांव जलमग्न हो गए थे। पानीपतः तामशाबाद की फसलें जलमग्न
जिले के यमुना किनारे वाले 7 गांवों पर बाढ़ का खतरा है। तामशाबाद में नदी ओवरफ्लो होने से फसलें जलमग्न हो गई हैं। साल 2023 में तामशाबाद में तटबंध टूटने से बड़ा इलाका बाढ़ की चपेट में आ गया था। यमुनानगर से यहां तक यमुना का पानी आने में सामान्यतः 36 से 48 घंटे लगते हैं। सोनीपतः कई गांवों में फसलों तक पहुंचा नदी का पानी
सोनीपत जिले में यमुना नदी गन्नौर से दिल्ली बॉर्डर तक 30 गांव सटे हुए हैं। इन गांवों में साल 2023 में बाढ़ आई थी। सोमवार शाम तक नदी किनारे कई जगह कटाव होना शुरू हो गया। फसलों में पानी है। गन्नौर और राई के 6-7 गांवों के खेतों में पानी पहुंचता है। गन्नौर के पपनेरा, राई के भैंरा व दहिसरा, मुरथल के बख्ततावरपुर, गढ़ी, मेहंदीपुर और जैनपुर में बाढ़ का खतरा है। फरीदाबादः बसंतपुर आबादी में पहुंचा पानी, 250 एकड़ फसलें पानी में
फरीदाबाद में यमुना करीब 30 किलोमीटर एरिया से गुजरती है। नदी किनारे के 17 गांव बसंतपुर, किढ़ावली, लालपुर, महावतपुर, राजपुर कलां, तिलौरी खादर, अमीपुर, चीरसी, मंझावली, चांदपुर, मोठूका, अरुआ, छांयसा, लतीफपुर, शाहजहांपुर, मोहना आते हैं। इनमें से 14 गांवों को बाढ़ का गंभीर खतरा बना हुआ है। सोमवार तक बसंतपुर गांव के आबादी वाले क्षेत्र में पानी घुसा हुआ है। यहां 200 मकानों को खाली करा लिया गया है। मझावाली, मोहना, राजपुरा, चांदपुर में खेतों पानी घुसा है। 250 एकड़ में पानी है। (इनपुट: यमुनानगर से अजय जौली, करनाल से रिंकू नरवाल, पानीपत से अमन वर्मा, सोनीपत से राम सिंहमार, फरीदाबाद में रुषतम जाखड़।)
हरियाणा में यमुना नदी का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है। 1 सितंबर को लगातार 7 घंटे तक हथिनीकुंड बैराज पर नदी का जलस्तर 3 लाख क्यूसेक से ऊपर रहा। दिन में अधिकतम 3,39,313 क्यूसेक पानी आया। दोपहर बाद यह कुछ घटना शुरू हुआ। शाम 6 बजे तक यह 2,63,317 दर्ज किया गया। आजादी के बाद से 78 साल में 7 ऐसे मौके आए हैं जब यमुना का जलस्तर 5 लाख क्यूसेक से ज्यादा दर्ज किया गया। इन 7 में से 6 बार यह सितंबर महीने में हुआ है। इस बार भी सितंबर में ही नदी उफान पर है। इसलिए यमुना किनारे के 5 जिलों यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत व फरीदाबाद में अलर्ट की स्थिति है।यमुनानगर के हथिनीकुंड बैराज से जो पानी सोमवार दिन में निकला है, वो मंगलवार सुबह तक आगे के जिलों में पहुंचेगा। उसके बाद मंगलवार शाम तक दिल्ली को खतरा पैदा होता है। ये पानी दिल्ली के राजघाट तक मार करता है। 1978 की बाढ़ में ताजेवाला हेड डैमेज हुआ
3 सितंबर 1978 को यमुना नदी में भीषण बाढ़ आई थी। तब अंग्रेजों के जमाने में बना ताजेवाला हेड भी क्षतिग्रस्त हो गया था। उस दिन नदी का जलस्तर 7,09,239 क्यूसेक दर्ज हुआ था। उस बाढ़ को न झेल पाने की वजह से ताजेवाला हेड को रिटायर कर दिया गया। बाद में ताजेवाला से अपस्ट्रीम की तरफ हथिनीकुंड बैराज बनाने का काम शुरू हुआ। 1999 में हथिनीकुंड बैराज का निर्माण पूरा हुआ। इसकी क्षमता ताजेवाला हेड से ज्यादा है। सितंबर में यमुना के उफान पर आने के 4 बड़े कारण अब जानिए यमुना किनारे के 5 जिलों में क्या स्थिति.... यमुनानगरः जमीन-श्मशान घाट नदी में समाए
सोमवार को कलेसर, बेलगढ़, मांडेवाला, नवाजपुर में कई जगह यमुना के उफनते पानी की वजह से भूमि कटाव शुरू हो गया। रुकाली गांव में नदी का पानी श्मशान घाट के शेड को बहा ले गया। लापरा गांव की सड़क पर पानी भर गया। कई गांवों में बाढ़ रोकथाम के लिए लगाए पत्थर से स्टड बह चुके हैं। 100 एकड़ से ज्यादा फसलें डूबी हैं। करनालः यमुना का बढ़ता पानी देख 20 गांवों में बेचैनी
यमुना किनारे के 20 गांवों में बेचैनी है। यमुना का पानी बढ़ने से इन्हें डर सता रहा है। इससे पहले जुलाई 2023 में इंद्री ब्लॉक में यमुना की पटरी टूटने से 20 गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे। उससे पहले जुलाई 2018 में 14 गांव जलमग्न हो गए थे। पानीपतः तामशाबाद की फसलें जलमग्न
जिले के यमुना किनारे वाले 7 गांवों पर बाढ़ का खतरा है। तामशाबाद में नदी ओवरफ्लो होने से फसलें जलमग्न हो गई हैं। साल 2023 में तामशाबाद में तटबंध टूटने से बड़ा इलाका बाढ़ की चपेट में आ गया था। यमुनानगर से यहां तक यमुना का पानी आने में सामान्यतः 36 से 48 घंटे लगते हैं। सोनीपतः कई गांवों में फसलों तक पहुंचा नदी का पानी
सोनीपत जिले में यमुना नदी गन्नौर से दिल्ली बॉर्डर तक 30 गांव सटे हुए हैं। इन गांवों में साल 2023 में बाढ़ आई थी। सोमवार शाम तक नदी किनारे कई जगह कटाव होना शुरू हो गया। फसलों में पानी है। गन्नौर और राई के 6-7 गांवों के खेतों में पानी पहुंचता है। गन्नौर के पपनेरा, राई के भैंरा व दहिसरा, मुरथल के बख्ततावरपुर, गढ़ी, मेहंदीपुर और जैनपुर में बाढ़ का खतरा है। फरीदाबादः बसंतपुर आबादी में पहुंचा पानी, 250 एकड़ फसलें पानी में
फरीदाबाद में यमुना करीब 30 किलोमीटर एरिया से गुजरती है। नदी किनारे के 17 गांव बसंतपुर, किढ़ावली, लालपुर, महावतपुर, राजपुर कलां, तिलौरी खादर, अमीपुर, चीरसी, मंझावली, चांदपुर, मोठूका, अरुआ, छांयसा, लतीफपुर, शाहजहांपुर, मोहना आते हैं। इनमें से 14 गांवों को बाढ़ का गंभीर खतरा बना हुआ है। सोमवार तक बसंतपुर गांव के आबादी वाले क्षेत्र में पानी घुसा हुआ है। यहां 200 मकानों को खाली करा लिया गया है। मझावाली, मोहना, राजपुरा, चांदपुर में खेतों पानी घुसा है। 250 एकड़ में पानी है। (इनपुट: यमुनानगर से अजय जौली, करनाल से रिंकू नरवाल, पानीपत से अमन वर्मा, सोनीपत से राम सिंहमार, फरीदाबाद में रुषतम जाखड़।)