लालकिला दिल्ली बम ब्लास्ट के सुरक्षात्मक मायने बेहद गम्भीर हैं। इससे आतंकवादियों के दुःशाहस और षड्यंत्रकारियों की हिमाकत का पता चलता है। इसलिए इसका मतलब कई स्तरों पर समझा जा सकता है। पहला, यह ब्लास्ट दिल्ली के राष्ट्रीय प्रतीक और ऐतिहासिक स्थल लाल किले के पास हुआ, जहां 12 लोगों की मौत हुई और कई घायल हो गए। इससे देश के पर्यटन व्यवसाय को प्रभावित करने की पुनः नापाक कोशिश हुई है।
बेशक इस हमले को एक बड़ी आतंकी साजिश माना जा रहा है, जिसका संबंध पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़ा है। भले ही यह हमला आत्मघाती मिशन नहीं था, बल्कि गलती या जल्दबाज़ी में विस्फोटक उपकरण के असंपूर्ण निर्माण के कारण हुआ, जिससे उसका विनाशकारी प्रभाव सीमित रहा। वहीं, जांच में इस बात का पता चला है कि आतंकी डॉक्टर उमर मोहम्मद ने इस साजिश को अंजाम दिया, जो गिरफ्तारी के डर से विस्फोटक को कहीं और ले जाने या नष्ट करने की कोशिश कर रहा था।
निःसंदेह यह धमाका पैनिक अटैक का हिस्सा था और समय रहते सुरक्षा जांच और सतर्कता ने एक बड़ा खतरनाक हादसा होने से रोक लिया। इसके लिए सुरक्षा एजेंसियां बधाई की पात्र हैं। बहरहाल, इस ब्लास्ट ने देश को आतंकी खतरे की गम्भीरता के प्रति जागरूक किया और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता को भी परखा। वहीं, इस घटना के बाद कई स्थानों पर छापेमारी और गिरफ्तारी हुई हैं, ताकि ऐसे आतंकवादी मॉड्यूल को पूरी तरह खत्म किया जा सके।
देखा जाए तो लालकिला दिल्ली बम ब्लास्ट एक बड़ी आतंकवादी साजिश का छोटा और अनहोनी रूप से हुआ विस्फोट था, जिसने सुरक्षा की जरूरत और आतंकवाद के खतरे को फिर से उभारा है। इसकी जांच अभी भी चल रही है और जिम्मेदारों को न्याय के अंतर्गत लाया जाएगा। कहना न होगा कि इस बम ब्लास्ट के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव गहरे और बहुआयामी रहे हैं। इस घटना के बाद न केवल कई देशों ने भारत के प्रति संवेदना जताई, बल्कि वैश्विक कूटनीतिक विमर्श में सुरक्षा, आतंकवाद और नागरिक सुरक्षा संबंधी मुद्दे चर्चा में आ गए हैं.
जहां तक अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ का सवाल है तो अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, जापान, ईरान, मलेशिया, अर्जेंटीना, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, मोरक्को, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव सहित एशिया, यूरोप, मध्य-पूर्व के अनेक देशों ने दुख और संवेदना जताई है। वहीं, अमेरिका और ब्रिटेन ने अपने नागरिकों के लिए नई दिल्ली में यात्रा और सुरक्षा को लेकर अलर्ट जारी किया और पर्यटन स्थलों में सतर्कता बरतने को कहा। कई देशों, जैसे मलेशिया, ने संभावित आतंकवादी कृत्य की सख्त निंदा की और आम नागरिकों को निशाना बनाने की आलोचना की।
जहां तक इसके कूटनीतिक और सुरक्षा संबंधी प्रभाव का प्रश्न है तो ब्लास्ट के बाद भारत के कई महत्वपूर्ण दूतावास क्षेत्रों, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों और सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई। क्योंकि नई दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी भी है। लिहाजा, वैश्विक स्तर पर भारत के आंतरिक सुरक्षा सहयोग के प्रति महत्वपूर्ण देशों द्वारा भी समर्थन व्यक्त किया गया। वहीं, आतंकवाद-विरोधी सहयोग और सूचना साझा करने के मुद्दे पर भारत को अतिरिक्त समर्थन मिलने की संभावना है।
जहां तक इस घटना के क्षेत्रीय और वैश्विक संदेश का सवाल है तो इस घटनाक्रम ने भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित अन्य देशों (श्रीलंका, भूटान, नेपाल, मालदीव) को भी आशंकित कर दिया, जिन्होंने न केवल संवेदना जताई, बल्कि अपनी आंतरिक सतर्कता बढ़ा दी। वहीं, वैश्विक नेताओं ने भारत की सरकार से घटनाक्रम के जांच पर भरोसा जताया और पीड़ित परिवारों को साहस बनाए रखने का संदेश दिया।
लालकिला बम ब्लास्ट ने पुनः आतंकवाद पर अन्तरराष्ट्रीय विमर्श को तेज कर दिया है। पश्चिमी देशों और कई मुस्लिम राष्ट्रों ने दोहराया कि आतंकवादी कृत्यों के लिए कोई औचित्य नहीं हो सकता। अंतरराष्ट्रीय मीडिया और राजनयिक चैनलों ने क्षेत्रीय सुरक्षा प्रयोजनों के लिए सूचना-साझाकरण और निगरानी तंत्र को और मजबूत करने के संकेत दिए हैं। इस घटना से भारत और अन्य देशों में सुरक्षा-विचार, आतंकवाद-निरोध, नागरिक सुरक्षा और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के एजेंडे में तीव्रता आई है।
वहीं, लालकिला दिल्ली बम ब्लास्ट के घायलों और मृतकों के परिवारों के लिए दिल्ली सरकार ने विशेष सहायता और मुआवजे का ऐलान किया है। मृतकों के परिवारों को ₹10 लाख की एकमुश्त राशि दी जाएगी। स्थायी रूप से विकलांग (अक्षम) हुए पीड़ितों को ₹5 लाख का मुआवजा मिलेगा। गंभीर रूप से घायल लोगों को ₹2 लाख की आर्थिक सहायता दी जाएगी। साधारण चोटिल हुए व्यक्ति को ₹20,000 तक की सहायता मिल सकती है।
इसके अतिरिक्त, सभी घायलों का इलाज सरकारी खर्च पर किया जाएगा, जिसमें सरकारी या निजी अस्पताल में नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार ने प्रशासन को निर्देश दिया है कि राहत राशि शीघ्र जारी की जाए और प्रक्रिया में पीड़ितों को कोई परेशानी न हो। यह मुआवजा आयकर से मुक्त रहेगा, ताकि लाभार्थियों को पूरी राशि प्राप्त हो सके। इस घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए दिल्ली सरकार ने पीड़ित परिवारों के सहारा और इलाज को पहली प्राथमिकता दी है।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक