मुख्यमंत्री नहीं, मुख्यसेवक” – धामी जी ने आज इस भावना को फिर से साबित कर दिया।*
मुख्यमंत्री नहीं, मुख्यसेवक” – धामी जी ने आज इस भावना को फिर से साबित कर दिया।*

*“मुख्यमंत्री नहीं, मुख्यसेवक” – धामी जी ने आज इस भावना को फिर से साबित कर दिया।*
*आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने जिस प्रकार सीएम हेल्पलाइन-1905 के माध्यम से जनता से सीधे संवाद किया, वह उनकी मुख्यसेवक वाली पहचान को और भी गहरा बना देता है।* यह कोई साधारण औपचारिकता नहीं थी, बल्कि वास्तविक अर्थों में जनता की नब्ज़ टटोलने का प्रयास था।
धामी जी ने न केवल फोन पर लोगों से बात की बल्कि बड़ी आत्मीयता से यह भी पूछा कि – “क्या आपकी समस्या का समाधान समय पर हुआ? अधिकारीयों ने आपकी बात सुनी या नहीं? क्या आपको संतोषजनक उत्तर मिला?” यह सीधा संवाद इस बात का प्रमाण है कि वह केवल शिकायतों का रिकॉर्ड भरना नहीं चाहते, बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जनता को ठोस समाधान मिले।
जनता की प्रतिक्रिया सुनते समय उनकी आवाज़ में संवेदनशीलता, अपनापन और जिम्मेदारी साफ झलक रही थी। यह दुर्लभ दृश्य था कि एक मुख्यमंत्री खुद आम नागरिक से पूछे – “आप संतुष्ट हैं या नहीं?”। यही असली लोकतंत्र और लोकसेवा की मिसाल है।
सीएम धामी का यह प्रयास इस बात को दर्शाता है कि वे केवल मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि सचमुच के मुख्यसेवक हैं। जनता के द्वार तक पहुंचना और अब सीधे फोन के ज़रिए उनकी तकलीफ़ सुनना, यह प्रशासनिक पारदर्शिता और जनकल्याण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
आज के संवाद से यह साफ हो गया कि धामी जी केवल योजनाएँ बनाने तक सीमित नहीं रहते, बल्कि उनकी निगरानी और परिणाम पर भी बराबर ध्यान देते हैं। यही वजह है कि उत्तराखंड की जनता उन्हें दिल से चाहती है।