बांग्लादेशी न्यायाधिकरण अभियोजन ने सेवारत अधिकारियों के मुकदमे को लेकर सेना को चेतावनी दी
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) की अभियोजन टीम ने मंगलवार को सेना को चेतावनी दी कि अगर बुधवार को उसके 15 सेवारत अधिकारियों को अदालत में पेश नहीं किया गया, तो उन्हें ‘भगोड़ा’ घोषित कर दिया जाएगा।आईसीटी-बीडी के अभियोजक गाजी एमएच तमीम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर वे कल अदालत में पेश नहीं होते हैं, तो न्यायाधिकरण एक नयी तारीख तय करेगा और उनके खिलाफ समन के साथ नोटिस दो अखबारों में प्रकाशित किए जाएंगे। उस तारीख को पेश न होने पर उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा।’’उन्होंने कहा कि न्यायाधिकरण ने पहले कई पूर्व और वर्तमान अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे और पुलिस महानिरीक्षक को उस आदेश को तामील करने का आदेश दिया गया था जबकि ‘‘वारंट की प्रतियां संबंधित (सशस्त्र) बलों के प्रमुखों को भी भेजी गई थीं।’’सेना ने 11 अक्टूबर को मीडिया के साथ बातचीत में कहा था कि आईसीटी-बीडी द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी करने के तुरंत बाद उन्होंने 16 में से 15 अधिकारियों को ‘सैन्य हिरासत’ में ले लिया।हालांकि, सेना अधिनियम के तहत कोर्ट मार्शल के बजाय आईसीटी-बीडी अधिनियम के तहत दीवानी अदालत में उनके खिलाफ मुकदमे से जुड़ी चिंताजनक अटकलों के बीच सेना ने किसी भी वारंट की प्रति प्राप्त होने से इनकार किया है।
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) की अभियोजन टीम ने मंगलवार को सेना को चेतावनी दी कि अगर बुधवार को उसके 15 सेवारत अधिकारियों को अदालत में पेश नहीं किया गया, तो उन्हें ‘भगोड़ा’ घोषित कर दिया जाएगा।
आईसीटी-बीडी के अभियोजक गाजी एमएच तमीम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर वे कल अदालत में पेश नहीं होते हैं, तो न्यायाधिकरण एक नयी तारीख तय करेगा और उनके खिलाफ समन के साथ नोटिस दो अखबारों में प्रकाशित किए जाएंगे। उस तारीख को पेश न होने पर उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि न्यायाधिकरण ने पहले कई पूर्व और वर्तमान अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे और पुलिस महानिरीक्षक को उस आदेश को तामील करने का आदेश दिया गया था जबकि ‘‘वारंट की प्रतियां संबंधित (सशस्त्र) बलों के प्रमुखों को भी भेजी गई थीं।’’
सेना ने 11 अक्टूबर को मीडिया के साथ बातचीत में कहा था कि आईसीटी-बीडी द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी करने के तुरंत बाद उन्होंने 16 में से 15 अधिकारियों को ‘सैन्य हिरासत’ में ले लिया।
हालांकि, सेना अधिनियम के तहत कोर्ट मार्शल के बजाय आईसीटी-बीडी अधिनियम के तहत दीवानी अदालत में उनके खिलाफ मुकदमे से जुड़ी चिंताजनक अटकलों के बीच सेना ने किसी भी वारंट की प्रति प्राप्त होने से इनकार किया है।



