तेल-गैस नीति में सात दशक बाद ऐतिहासिक बदलाव:बाड़मेर ऑयल फील्ड्स को मिलेगा 30 साल का एक्सटेंशन, निवेश-उत्पादन बढ़ेंगे
देश के पेट्रोलियम और ऊर्जा क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा और निर्णायक सुधार करते हुए सात दशक पुराने कानून में संशोधन किया है। इस फैसले का सीधा और सबसे बड़ा असर राजस्थान के बाड़मेर ऑयल फील्ड्स पर पड़ने वाला है, जहां से देश के कुल कच्चे तेल का करीब 25 प्रतिशत उत्पादन होता है। नए नियमों से बाड़मेर–सांचौर बेसिन में उत्पादन बढ़ाने की राह और आसान होगी, साथ ही पुराने एग्रीमेंट के नवीनीकरण में लगने वाला लंबा इंतजार भी खत्म हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी की पहल पर अधिसूचित इन नए नियमों को ऊर्जा क्षेत्र में ऐतिहासिक मोड़ माना जा रहा है। दशकों से घरेलू उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता घटाने की चुनौती झेल रहे भारत के लिए यह फैसला नई दिशा तय करता नजर आ रहा है, जिसमें बाड़मेर की भूमिका सबसे अहम मानी जा रही है। बाड़मेर–सांचौर बेसिन को मिलेगा 30 साल का एक्सटेंशन नई नीति के तहत अब बाड़मेर–सांचौर बेसिन में संचालित ऑयल ब्लॉक्स को पहले मिलने वाले 10 साल के विस्तार के बजाय 30 साल तक का एक्सटेंशन मिल सकेगा। इससे यहां काम कर रही कंपनियों को दीर्घकालिक योजना बनाने, नए निवेश और आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल का अवसर मिलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार इससे बाड़मेर के तेल क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ने के साथ रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। अनिल अग्रवाल बोले- ऊर्जा इतिहास का ‘मील का पत्थर’ देश के कुल तेल-गैस उत्पादन में करीब 25 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने इस फैसले को भारत के ऊर्जा इतिहास का ‘मील का पत्थर’ बताया है। उन्होंने कहा कि बाड़मेर जैसे क्षेत्रों में हाइड्रोकार्बन संसाधनों की अपार क्षमता है, लेकिन पुराने नियमों के कारण इसका पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा था। नए संशोधन इन संभावनाओं को पूरी तरह सामने लाएंगे। घरेलू उत्पादन बढ़ेगा, आयात पर निर्भरता घटेगी अनिल अग्रवाल ने कहा कि भारत दुनिया के सबसे किफायती तेल और गैस उत्पादक देशों में से एक है। बाड़मेर के ऑयल फील्ड्स में उत्पादन बढ़ने से न केवल घरेलू आपूर्ति मजबूत होगी, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी। इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को सस्ती और सुलभ ऊर्जा के रूप में मिलेगा, खासकर गरीब और मध्यम वर्ग को। बाड़मेर में निवेश और रोजगार के नए अवसर नई नीति से ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के दरवाजे और ज्यादा खुलेंगे। इससे बाड़मेर में तेल-गैस से जुड़े स्टार्ट-अप्स, ठेकेदारों और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होने की संभावना है। अब तेल और गैस अन्वेषण केवल बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि नए निवेशकों और युवाओं को भी इस क्षेत्र में मौका मिलेगा। ऊर्जा सुरक्षा में बाड़मेर की अहम भूमिका अनिल अग्रवाल ने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा भारत के लिए सबसे बड़ा चैलेंज भी है और सबसे बड़ा अवसर भी। इन सुधारों के साथ उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में भारत अपनी कम से कम 50 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतें घरेलू उत्पादन से पूरी कर सकेगा। इसमें बाड़मेर ऑयल फील्ड्स की भूमिका निर्णायक रहेगी, जिससे न केवल देश आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि सीमावर्ती जिले बाड़मेर की रणनीतिक और आर्थिक अहमियत भी और बढ़ेगी।
देश के पेट्रोलियम और ऊर्जा क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा और निर्णायक सुधार करते हुए सात दशक पुराने कानून में संशोधन किया है। इस फैसले का सीधा और सबसे बड़ा असर राजस्थान के बाड़मेर ऑयल फील्ड्स पर पड़ने वाला है, जहां से देश के कुल कच्चे तेल का करीब 25 प्रतिशत उत्पादन होता है। नए नियमों से बाड़मेर–सांचौर बेसिन में उत्पादन बढ़ाने की राह और आसान होगी, साथ ही पुराने एग्रीमेंट के नवीनीकरण में लगने वाला लंबा इंतजार भी खत्म हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी की पहल पर अधिसूचित इन नए नियमों को ऊर्जा क्षेत्र में ऐतिहासिक मोड़ माना जा रहा है। दशकों से घरेलू उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता घटाने की चुनौती झेल रहे भारत के लिए यह फैसला नई दिशा तय करता नजर आ रहा है, जिसमें बाड़मेर की भूमिका सबसे अहम मानी जा रही है। बाड़मेर–सांचौर बेसिन को मिलेगा 30 साल का एक्सटेंशन नई नीति के तहत अब बाड़मेर–सांचौर बेसिन में संचालित ऑयल ब्लॉक्स को पहले मिलने वाले 10 साल के विस्तार के बजाय 30 साल तक का एक्सटेंशन मिल सकेगा। इससे यहां काम कर रही कंपनियों को दीर्घकालिक योजना बनाने, नए निवेश और आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल का अवसर मिलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार इससे बाड़मेर के तेल क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ने के साथ रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। अनिल अग्रवाल बोले- ऊर्जा इतिहास का ‘मील का पत्थर’ देश के कुल तेल-गैस उत्पादन में करीब 25 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने इस फैसले को भारत के ऊर्जा इतिहास का ‘मील का पत्थर’ बताया है। उन्होंने कहा कि बाड़मेर जैसे क्षेत्रों में हाइड्रोकार्बन संसाधनों की अपार क्षमता है, लेकिन पुराने नियमों के कारण इसका पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा था। नए संशोधन इन संभावनाओं को पूरी तरह सामने लाएंगे। घरेलू उत्पादन बढ़ेगा, आयात पर निर्भरता घटेगी अनिल अग्रवाल ने कहा कि भारत दुनिया के सबसे किफायती तेल और गैस उत्पादक देशों में से एक है। बाड़मेर के ऑयल फील्ड्स में उत्पादन बढ़ने से न केवल घरेलू आपूर्ति मजबूत होगी, बल्कि आयात पर निर्भरता भी कम होगी। इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को सस्ती और सुलभ ऊर्जा के रूप में मिलेगा, खासकर गरीब और मध्यम वर्ग को। बाड़मेर में निवेश और रोजगार के नए अवसर नई नीति से ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के दरवाजे और ज्यादा खुलेंगे। इससे बाड़मेर में तेल-गैस से जुड़े स्टार्ट-अप्स, ठेकेदारों और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होने की संभावना है। अब तेल और गैस अन्वेषण केवल बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि नए निवेशकों और युवाओं को भी इस क्षेत्र में मौका मिलेगा। ऊर्जा सुरक्षा में बाड़मेर की अहम भूमिका अनिल अग्रवाल ने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा भारत के लिए सबसे बड़ा चैलेंज भी है और सबसे बड़ा अवसर भी। इन सुधारों के साथ उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में भारत अपनी कम से कम 50 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतें घरेलू उत्पादन से पूरी कर सकेगा। इसमें बाड़मेर ऑयल फील्ड्स की भूमिका निर्णायक रहेगी, जिससे न केवल देश आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि सीमावर्ती जिले बाड़मेर की रणनीतिक और आर्थिक अहमियत भी और बढ़ेगी।